जया-पार्वती व्रतारंभ: डोमगाँव, परांडा -🙏💖🌿👰‍♀️💑✨🕉️🔔

Started by Atul Kaviraje, July 09, 2025, 10:11:08 AM

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Atul Kaviraje

जयI-पार्वती व्रतारम्भ-

जया-पार्वती व्रतारंभ: डोमगाँव, परांडा - एक विस्तृत विवेचन

08 जुलाई 2025, मंगलवार को जया-पार्वती व्रतारंभ का पावन दिन है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती के अटूट प्रेम और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। डोमगाँव, तालुका परांडा जैसे क्षेत्रों में भी यह व्रत अत्यंत श्रद्धा और भक्तिभाव के साथ आरंभ किया जाता है। आइए इस पवित्र व्रत के महत्व और इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

1. जया-पार्वती व्रत का परिचय
जया-पार्वती व्रत, जिसे विजय पार्वती व्रत भी कहा जाता है, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर पाँच दिनों तक चलता है और श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया को समाप्त होता है। यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन, संतान प्राप्ति, अच्छे पति और घर में सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है।

2. व्रत का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत का संबंध देवी पार्वती से है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए। इसलिए, यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखा जाता है।

3. व्रत की विधि और सामग्री
जया-पार्वती व्रत में पाँच दिनों तक निर्जल या फलाहार किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से देवी पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। इसमें सुबह स्नान कर शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। व्रत में गेहूँ, चावल, बाजरा, दाल, आदि अनाजों का सेवन वर्जित होता है। मुख्य रूप से, नमक के बिना अंकुरित अनाज (जैसे मूंग) का सेवन किया जाता है, जिसे ज्वारा या जावा कहते हैं।

4. व्रत का आरंभ और समापन
यह व्रत आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी को शुरू होता है। व्रत के पहले दिन, ज्वारे (जौ या मूँग के दाने) को बोया जाता है। पाँच दिनों तक इन ज्वारों की देखभाल की जाती है और व्रत के अंतिम दिन (जिसे जगराता कहा जाता है), जागरण करके पूजा की जाती है। अगले दिन, ज्वारों को नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है।

5. डोमगाँव में महत्व
डोमगाँव, जो महाराष्ट्र के परांडा तालुका में स्थित है, एक धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र है। यहाँ भी जया-पार्वती व्रत को स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। महिलाएँ और कुंवारी कन्याएँ सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना करती हैं और इस व्रत के पुण्य फल की कामना करती हैं।

6. भक्तिभावपूर्ण वातावरण
व्रत के दिनों में घरों और मंदिरों में भक्तिभावपूर्ण वातावरण बना रहता है। शिव-पार्वती के भजन, आरती और स्तुतियाँ गाई जाती हैं। महिलाएँ एक-दूसरे के साथ व्रत की कहानियाँ साझा करती हैं और आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

7. कुंवारी कन्याओं के लिए
कुंवारी कन्याएँ अच्छे और सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत श्रद्धापूर्वक रखती हैं। वे देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें भी शिव जैसा आदर्श पति मिले। यह व्रत उन्हें धैर्य, निष्ठा और समर्पण सिखाता है।

8. विवाहित महिलाओं के लिए
विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और घर में सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। यह व्रत उनके दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।

9. आत्म-शुद्धि और संयम
यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और संयम का प्रतीक भी है। पाँच दिनों तक अनाज का त्याग और सात्विक जीवन शैली अपनाने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है। यह आत्म-अनुशासन को भी बढ़ाता है।

10. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
जया-पार्वती व्रत भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है। यह परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों को मजबूत करता है और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देता है। यह व्रत नई पीढ़ी को हमारी प्राचीन धार्मिक विरासत से जोड़ता है।

चित्र, प्रतीक और इमोजी
चित्र/प्रतीक:

भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्ति/चित्र 🕉�

अंकुरित ज्वारे (व्रत का मुख्य प्रतीक) 🌱

लाल रंग का धागा या मौली (रक्षा बंधन का प्रतीक) 🧵

कलश (शुभता का प्रतीक) 🏺

श्रद्धापूर्वक पूजा करती महिलाएँ 🧍�♀️

इमोजी:

🙏 प्रणाम/भक्ति: श्रद्धा और पूजा व्यक्त करने के लिए।

💖 चमकता दिल: प्रेम, वैवाहिक सुख और संबंधों के लिए।

🌿 पौधा/अंकुर: ज्वारे और वृद्धि का प्रतीक।

👰�♀️ दुल्हन/कुंवारी कन्या: मनचाहे वर की कामना के लिए।

💑 जोड़ा: वैवाहिक सुख और प्रेम के लिए।

✨ चमक: शुभता और आशीर्वाद।

🕉� ओम का चिन्ह: शिव-पार्वती और आध्यात्मिकता।

🔔 घंटी: पूजा और प्रार्थना का संकेत।

इमोजी सारांश
🙏💖🌿👰�♀️💑✨🕉�🔔

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.07.2025-मंगळवार.
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