बुद्ध एवं पर्यावरण तत्त्वज्ञान-

Started by Atul Kaviraje, July 09, 2025, 10:12:31 PM

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Atul Kaviraje

बुद्ध एवं पर्यावरण तत्त्वज्ञान-

चरण 1: प्रकृति का सम्मान, बुद्ध का ज्ञान
🌳🌍🙏
पेड़, पर्वत, नदियाँ, जल,
हर जीव में देखा हल।
ज्ञान मिला, समझा सार,
प्रकृति संग ही जीवन पार।

अर्थ: बुद्ध ने हमें सिखाया कि पेड़, पर्वत, नदियाँ और सभी जीव-जंतु हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने प्रकृति के हर रूप में जीवन का समाधान देखा और यह ज्ञान दिया कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर ही हम जीवन को सफल बना सकते हैं।

चरण 2: अहिंसा की धुन, करुणा की गूँज
💖🕊�🌿
हर पत्ती में जीवन देखा,
हर साँस में प्रेम की रेखा।
नुकसान किसी को न देना,
यही बुद्ध का है गहना।

अर्थ: बुद्ध ने प्रत्येक पत्ती और प्रत्येक जीव में जीवन का स्पंदन देखा। उन्होंने सिखाया कि किसी को भी हानि न पहुँचाना ही बुद्ध की सबसे बड़ी शिक्षा है, जो करुणा और प्रेम से ओत-प्रोत है।

चरण 3: मध्य मार्ग का पथ, संतुलन का रथ
⚖️🌟♻️
अतिभोग या अति त्याग नहीं,
संतुलन ही है सही।
संसाधनों का हो सदुपयोग,
बचें हम, बच जाए ये लोक।

अर्थ: बुद्ध ने मध्य मार्ग का उपदेश दिया, जिसका अर्थ है अत्यधिक भोग और अत्यधिक त्याग से बचना। हमें संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए ताकि हम और यह संसार दोनों सुरक्षित रह सकें।

चरण 4: अनित्यता का बोध, परिवर्तन का शोध
⏳🔄🌬�
सब कुछ है क्षणिक, बदले हर पल,
प्रकृति का नियम, ये अटल।
स्वीकारें हम हर बदलाव,
नित नूतन ये जीवन भाव।

अर्थ: बुद्ध ने समझाया कि सब कुछ क्षणभंगुर है और निरंतर बदलता रहता है। प्रकृति का यह नियम अटल है। हमें परिवर्तनों को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि जीवन हमेशा नए अनुभवों से भरा होता है।

चरण 5: ध्यान में प्रकृति, शांति की स्वीकृति
🧘�♀️🏞�👂
वन, उपवन में बुद्ध विचरे,
मन को शांत, आत्म-ज्ञान भरे।
प्रकृति संग जो जुड़ेगा मन,
पाएगा शांति का पावन क्षण।

अर्थ: बुद्ध ने अक्सर वनों और उद्यानों में विहार किया, जहाँ उन्होंने ध्यान कर मन को शांत किया और आत्मज्ञान प्राप्त किया। जो व्यक्ति प्रकृति से अपना मन जोड़ता है, उसे सच्ची शांति मिलती है।

चरण 6: भिक्षु धर्म, पर्यावरण का मर्म
📿🌲💧
वृक्षों का संरक्षण करते,
जल को निर्मल रखते।
धार्मिकता का यही प्रतीक,
प्रकृति से नाता हो ठीक।

अर्थ: बौद्ध भिक्षु पेड़ों की रक्षा करते हैं और जल स्रोतों को स्वच्छ रखते हैं। यही धार्मिकता का सच्चा अर्थ है, जिसमें प्रकृति के साथ एक अच्छा संबंध बनाए रखना शामिल है।

चरण 7: सादगी का वरदान, पर्यावरण का मान
🤏🌍💚
कम में जीना, कम उपभोग,
यही है सच्चा आनंद योग।
प्रकृति पर न डालें भार,
हो खुशहाल ये संसार।

अर्थ: सादगी से जीवन जीना और कम उपभोग करना ही सच्चा सुख है। जब हम प्रकृति पर अनावश्यक भार नहीं डालते, तभी यह संसार खुशहाल रह सकता है।

--अतुल परब
--दिनांक-09.07.2025-बुधवार.
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