शहरीकरण और पर्यावरण - शहर और प्रकृति का संगम 🌆🏙️🌳🌍🏗️🦜🚗🏭💧🗑️🌊🔥💡⚡🔊😡

Started by Atul Kaviraje, July 14, 2025, 10:35:54 PM

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Atul Kaviraje

शहरीकरण और पर्यावरण पर हिंदी कविता-

शहर और प्रकृति का संगम 🌆

१. चरण पहला:
शहरों का विस्तार जब होता, 🏗�
प्रकृति का दिल है रोता।
पेड़ कटते, वन सिकुड़ते जाएँ,
जैव विविधता कहीं खो जाए।
(अर्थ: जब शहरों का विस्तार होता है, तो प्रकृति का दिल रोता है। पेड़ कटते जाते हैं, वन सिकुड़ते जाते हैं, जैव विविधता कहीं खो जाती है।)

२. चरण दूसरा:
धुएँ से है लिपटा आकाश, 🌫�
दूषित वायु में लेते श्वास।
वाहन, उद्योग, निर्माण का शोर,
पर्यावरण पर देता ज़ोर।
(अर्थ: आकाश धुएँ से लिपटा है, दूषित वायु में साँस लेते हैं। वाहनों, उद्योगों और निर्माण का शोर पर्यावरण पर दबाव डालता है।)

३. चरण तीसरा:
नदियाँ, झीलें अब सूखती जाएँ, 💧
पानी की कमी हमें डराए।
भूजल स्तर भी नीचे गया,
क्या होगा जब पानी ना रहा?
(अर्थ: नदियाँ और झीलें अब सूखती जा रही हैं, पानी की कमी हमें डराती है। भूजल स्तर भी नीचे चला गया है, क्या होगा जब पानी नहीं रहेगा?)

४. चरण चौथा:
कचरे के ढेर, पहाड़ों से ऊँचे, 🗑�
जहाँ-तहाँ प्लास्टिक गूँजे।
धरती प्रदूषित, हवा विषाक्त,
कैसे रहेंगे हम सब स्वस्थ?
(अर्थ: कचरे के ढेर पहाड़ों से ऊँचे हैं, प्लास्टिक हर जगह गूँजता है। धरती प्रदूषित है, हवा जहरीली है, हम सब कैसे स्वस्थ रहेंगे?)

५. चरण पाँचवाँ:
गर्मी का बढ़ता ताप अब देखो, 🔥
शहरों में कैसे दम घुटना देखो।
कंक्रीट की सड़कें, इमारतें खड़ीं,
प्राकृतिक शीतलता कहाँ पड़ी?
(अर्थ: अब गर्मी का बढ़ता ताप देखो, शहरों में कैसे दम घुटता है देखो। कंक्रीट की सड़कें, इमारतें खड़ी हैं, प्राकृतिक शीतलता कहाँ है?)

६. चरण छठा:
ऊर्जा की भारी अब खपत, ⚡
जलवायु पर पड़ी है आफत।
आओ मिलकर सोचें एक राह,
बचा लें हम अपनी ये थाह।
(अर्थ: अब ऊर्जा की भारी खपत है, जलवायु पर आफत पड़ी है। आओ मिलकर एक राह सोचें, हम अपनी इस धरती को बचा लें।)

७. चरण सातवाँ:
हरी-भरी हो अपनी धरती, 🌳
प्रकृति से हो सच्ची दोस्ती।
सतत विकास का हो ये प्रण,
खुशहाल हो हर कण-कण।
(अर्थ: अपनी धरती हरी-भरी हो, प्रकृति से सच्ची दोस्ती हो। सतत विकास का यह प्रण हो, हर कण-कण खुशहाल हो।)

सारांश इमोजी: 🏙�🌳🌍🏗�🦜🚗🏭💧🗑�🌊🔥💡⚡🔊😡♻️🚆⛈️

शहरीकरण एक वास्तविकता है, लेकिन क्या हम इसे इस तरह से कर सकते हैं जिससे पर्यावरण का भी संतुलन बना रहे?

--अतुल परब
--दिनांक-14.07.2025-सोमवार.
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