प्रदूषण और उससे होने वाली हानियाँ - प्रदूषण का दानव 👹🏭🗑️😷💧🧪🔊🐢🐬💔🌡️🌧️

Started by Atul Kaviraje, July 14, 2025, 10:36:46 PM

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Atul Kaviraje

प्रदूषण और उससे होने वाली हानियाँ पर हिंदी कविता-

प्रदूषण का दानव 👹

१. चरण पहला:
आज धरती पे छाया है डर, 🌍
प्रदूषण का है ये ज़हर।
वायु, जल और मिट्टी में घुला,
जीवन को कर रहा है दूषित।
(अर्थ: आज धरती पर डर छाया है, यह प्रदूषण का ज़हर है। यह हवा, पानी और मिट्टी में घुल गया है, जीवन को दूषित कर रहा है।)

२. चरण दूसरा:
साँस लेते, विष अंदर जाए, 😷
फेफड़ों को वो अंदर से खाए।
गाड़ियों का धुआँ, कारखानों का,
रोगों का ये जाल बिछाए।
(अर्थ: साँस लेते ही विष अंदर जाता है, वह फेफड़ों को अंदर से खा जाता है। गाड़ियों का धुआँ, कारखानों का धुआँ, रोगों का जाल बिछा रहा है।)

३. चरण तीसरा:
नदियाँ, झीलें गंदी हुई हैं, 💧
ज़हरीले पानी से भरी हुई हैं।
पीने लायक पानी नहीं मिलता,
बीमारियों का अब राज चलता।
(अर्थ: नदियाँ और झीलें गंदी हो गई हैं, वे जहरीले पानी से भर गई हैं। पीने लायक पानी नहीं मिलता, अब बीमारियों का राज चलता है।)

४. चरण चौथा:
मिट्टी में घुल गए हैं रसायन, 🧪
फसलों में है अब धीमा ज़हर।
जो खाते, वो भी बीमार पड़ते,
हम अपनी ही कब्र खोदते।
(अर्थ: मिट्टी में रसायन घुल गए हैं, फसलों में अब धीमा ज़हर है। जो खाते हैं, वे भी बीमार पड़ते हैं, हम अपनी ही कब्र खोद रहे हैं।)

५. चरण पाँचवाँ:
शोरगुल से कान थकते हैं, 🔊
रात को नींद से मन भटकते हैं।
तनाव, चिड़चिड़ापन, दिल का रोग,
प्रदूषण का है ये बड़ा भोग।
(अर्थ: शोरगुल से कान थकते हैं, रात को नींद से मन भटकता है। तनाव, चिड़चिड़ापन, दिल की बीमारी, यह प्रदूषण का बड़ा परिणाम है।)

६. चरण छठा:
जीव-जंतु सब खो रहे घर, 🐢
विलुप्त हो रहे हैं अब हर डगर।
ग्लोबल वार्मिंग, तूफानों का कहर,
बदल रहा है मौसम का पहर।
(अर्थ: जीव-जंतु सब अपना घर खो रहे हैं, हर रास्ते पर विलुप्त हो रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग, तूफानों का कहर है, मौसम का मिजाज़ बदल रहा है।)

७. चरण सातवाँ:
आओ मिलकर शपथ लें आज, 🤝
स्वच्छ करें अपना हर राज।
प्रदूषण को जड़ से मिटाएँ,
सुरक्षित भविष्य हम बनाएँ।
(अर्थ: आओ मिलकर आज शपथ लें, अपने हर क्षेत्र को स्वच्छ करें। प्रदूषण को जड़ से मिटाएँ, एक सुरक्षित भविष्य बनाएँ।)

सारांश इमोजी: 🏭🗑�😷💧🧪🔊🐢🐬💔🌡�🌧�🌀☀️🔬📈🧑�💼❌🤝🌍♻️

प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है जिसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

--अतुल परब
--दिनांक-14.07.2025-सोमवार.
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