श्री गुरुदेव दत्त और उनकी दार्शनिक शिक्षाएँ पर हिंदी कविता-🧘‍♂️🙏🌌📚🐕🐕🐕🐕🌸

Started by Atul Kaviraje, July 18, 2025, 10:04:08 AM

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Atul Kaviraje

श्री गुरुदेव दत्त और उनकी दार्शनिक शिक्षाएँ पर हिंदी कविता-

दत्त गुरुदेव, त्रिदेवावतार,
ज्ञान और भक्ति का, फैलाया सार।
अवधूत रूप में, जग को सिखाया,
हर कण में प्रभु है, यही दर्शाया।
अर्थ: गुरुदेव दत्त, तीनों देवों के अवतार, उन्होंने ज्ञान और भक्ति का सार फैलाया। अवधूत रूप में उन्होंने दुनिया को सिखाया कि हर कण में भगवान हैं, यही उन्होंने दिखाया।

चौबीस गुरुओं से, सीखा हर पाठ,
प्रकृति से ज्ञान लिया, बना दिया ठाठ।
पृथ्वी से धैर्य लिया, जल से निर्मलता,
वायु से निर्लिप्तता, यह है सरलता।
अर्थ: उन्होंने चौबीस गुरुओं से हर पाठ सीखा, प्रकृति से ज्ञान लेकर उसे शानदार बना दिया। पृथ्वी से धैर्य लिया, जल से निर्मलता, वायु से निर्लिप्तता, यही सरलता है।

गुरु बिना ज्ञान नहीं, यह उपदेश दिया,
गुरु कृपा से ही, अज्ञान मिटा दिया।
शिष्य को उन्होंने, राह दिखाई,
सत्य की खोज में, ज्योति जगाई।
अर्थ: उन्होंने उपदेश दिया कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं, गुरु की कृपा से ही अज्ञान मिटा दिया। उन्होंने शिष्य को राह दिखाई, सत्य की खोज में ज्योति जगाई।

कर्म, भक्ति, ज्ञान का, अद्भुत समन्वय,
मोक्ष की राह पर, मिलता है निश्चय।
योग और साधना से, निर्मल हो मन,
जीवन का लक्ष्य पाए, हर एक जन।
अर्थ: कर्म, भक्ति और ज्ञान का अद्भुत समन्वय है, इससे मोक्ष की राह पर निश्चितता मिलती है। योग और साधना से मन निर्मल होता है, हर व्यक्ति जीवन का लक्ष्य पाता है।

सादा जीवन उनका, निर्लिप्त थे सदा,
जगत के बंधनों से, थे वे मुक्त सदा।
अहंकार को त्याग कर, विनम्र रहें हम,
ज्ञान की प्यास में, आगे बढ़ें हम।
अर्थ: उनका जीवन सादा था, वे हमेशा निर्लिप्त थे, वे हमेशा जगत के बंधनों से मुक्त थे। अहंकार को त्याग कर हम विनम्र रहें, ज्ञान की प्यास में हम आगे बढ़ें।

वेदों के ज्ञाता, कुत्तों संग विचरे,
हर जीव में ईश्वर को, वे ही दिखलाएं।
गृहस्थ या संन्यासी, सबको दिया ज्ञान,
हर कर्तव्य निभाते हुए, करें प्रभु का ध्यान।
अर्थ: वेदों के ज्ञाता, कुत्तों के साथ घूमते थे, हर जीव में ईश्वर को वही दिखाते थे। गृहस्थ या संन्यासी, सबको ज्ञान दिया, हर कर्तव्य निभाते हुए भगवान का ध्यान करें।

दत्त जयंती पर हम, करते हैं वंदन,
उनके चरणों में करते, शत-शत नमन।
यह है उनका तत्त्वज्ञान, यह है शिक्षण,
जो हमें सिखाता है, जीवन का दर्पण।
अर्थ: दत्त जयंती पर हम वंदन करते हैं, उनके चरणों में शत-शत नमन करते हैं। यही उनका दर्शन है, यही उनकी शिक्षा है, जो हमें जीवन का दर्पण सिखाती है।

कविता का संक्षिप्त अर्थ
यह कविता श्री गुरुदेव दत्त के तत्त्वज्ञान और शिक्षण पद्धति को भक्तिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करती है। इसमें उन्हें त्रिदेवों का अवतार, 24 गुरुओं से सीखने वाले, और गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व पर जोर देने वाले के रूप में दर्शाया गया है। कविता उनके द्वारा कर्म, भक्ति और ज्ञान के समन्वय, योग साधना, सादगी, निर्लिप्तता और सामाजिक समरसता के संदेश को भी उजागर करती है। यह बताती है कि उनके उपदेश आज भी हमें जीवन का सच्चा अर्थ और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग दिखाते हैं।

कविता के लिए प्रतीक और इमोजी
गुरु की आकृति: 🧘�♂️ आध्यात्मिक मार्गदर्शक।

हाथ जोड़े हुए: 🙏 भक्ति और श्रद्धा।

सूर्य और तारे: 🌌 ब्रह्मांडीय ज्ञान।

किताब: 📚 वेदों और शिक्षाओं का प्रतीक।

चार कुत्ते: 🐕🐕🐕🐕 वेदों के प्रतीक।

कमल का फूल: 🌸 पवित्रता और आध्यात्मिक विकास।

हृदय: ❤️ प्रेम और करुणा।

कविता का इमोजी सारांश
🧘�♂️🙏🌌📚🐕🐕🐕🐕🌸❤️

--अतुल परब
--दिनांक-17.07.2025-गुरुवार.
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