श्री स्वामी समर्थ और जीवन साधना पद्धति पर हिंदी कविता-🧘‍♂️🙏🌳💧✨❤️⏳

Started by Atul Kaviraje, July 18, 2025, 10:05:44 AM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ और जीवन साधना पद्धति पर हिंदी कविता-

अक्कलकोट के स्वामी, गुरुदेव महान,
दत्तात्रेय का रूप, करते थे कल्याण।
उनकी जीवन साधना, हमें राह दिखाए,
'भिऊ नकोस' कहकर, हर भय मिटाए।
अर्थ: अक्कलकोट के स्वामी, महान गुरुदेव, दत्तात्रेय का रूप, वे सभी का कल्याण करते थे। उनकी जीवन साधना हमें राह दिखाती है, 'डरो मत' कहकर वे हर भय को मिटाते हैं।

अनासक्ति का पाठ, उन्होंने सिखाया,
मोह-माया से ऊपर, जीवन बिताया।
किसी वस्तु से ना बंधे, किसी जन से नहीं,
आंतरिक शांति ही, है सच्चा प्रेम यहीं।
अर्थ: उन्होंने अनासक्ति का पाठ सिखाया, मोह-माया से ऊपर जीवन बिताया। वे किसी वस्तु से नहीं बंधे, किसी व्यक्ति से नहीं, सच्ची शांति ही सच्चा प्रेम है।

गुरु भक्ति में लीन, स्वयं थे वे गुरु,
समर्पण से मिलती है, मुक्ति की सुरु।
उनकी दया दृष्टि, सब पर समान,
ना कोई छोटा, ना कोई है महान।
अर्थ: वे स्वयं गुरु होते हुए भी गुरु भक्ति में लीन थे, समर्पण से ही मुक्ति की शुरुआत मिलती है। उनकी दया दृष्टि सब पर समान थी, कोई छोटा नहीं, कोई महान नहीं।

मौन में उनकी शक्ति, ध्यान की गहराई,
भीतर के ईश्वर से, थी उनकी मिलाई।
कर्म करो निष्ठा से, सेवा का भाव,
यह है सच्चा जीवन, यह है सद्भाव।
अर्थ: उनकी शक्ति मौन में थी, ध्यान की गहराई में, भीतर के ईश्वर से उनका मिलन था। निष्ठा से कर्म करो, सेवा का भाव रखो, यही सच्चा जीवन है, यही सद्भाव है।

वटवृक्ष के नीचे, उनका था वास,
प्रकृति से जुड़ाव, हर पल का एहसास।
सादगी उनके जीवन की, थी एक मिसाल,
आडंबर से दूर थे, थे वे बेमिसाल।
अर्थ: वटवृक्ष के नीचे उनका वास था, प्रकृति से जुड़ाव का हर पल एहसास था। सादगी उनके जीवन की एक मिसाल थी, वे आडंबर से दूर, बेमिसाल थे।

धैर्य रखो प्यारे, सबूरी का दान,
समय आने पर देगा, प्रभु हर सम्मान।
उनकी कृपा से मिलता, आत्मज्ञान का प्रकाश,
जीवन बन जाता है, खुशियों का आकाश।
अर्थ: प्यारे, धैर्य रखो, सबूरी का दान दो, समय आने पर प्रभु हर सम्मान देगा। उनकी कृपा से आत्मज्ञान का प्रकाश मिलता है, जीवन खुशियों का आकाश बन जाता है।

स्वामी समर्थ की महिमा, है अपरंपार,
हमें सदा सिखाती, जीवन का सार।
उनके चरणों में करते, शत-शत नमन,
भक्ति से भरा है, हर एक भक्त का मन।
अर्थ: स्वामी समर्थ की महिमा अपरंपार है, वे हमें हमेशा जीवन का सार सिखाते हैं। उनके चरणों में हम शत-शत नमन करते हैं, हर भक्त का मन भक्ति से भरा है।

कविता का संक्षिप्त अर्थ
यह कविता श्री स्वामी समर्थ और उनकी अनूठी जीवन साधना पद्धति को भक्तिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करती है। इसमें उनके प्रसिद्ध संदेश 'भिऊ नकोस, मी तुझ्या पाठीशी आहे' से शुरू होकर, उनकी अनासक्ति, गुरुभक्ति, समदृष्टि, मौन साधना, कर्मयोग, प्रकृति से जुड़ाव, सादगी और धैर्य जैसी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला गया है। कविता स्वामी समर्थ के माध्यम से मिलने वाले आध्यात्मिक आत्मविश्वास और आंतरिक शांति के महत्व को बताती है, और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करती है।

कविता के लिए प्रतीक और इमोजी
स्वामी समर्थ की छवि: 🧘�♂️ गुरु का प्रतीक।

आशीर्वाद देते हाथ: 🙏 आशीर्वाद और सुरक्षा।

वटवृक्ष: 🌳 स्थिरता और प्रकृति।

जल: 💧 निर्मलता और त्याग।

प्रकाश पुंज: ✨ ज्ञान और आध्यात्मिक जागरण।

हृदय: ❤️ प्रेम और भक्ति।

घड़ी: ⏳ धैर्य।

कविता का इमोजी सारांश
🧘�♂️🙏🌳💧✨❤️⏳

--अतुल परब
--दिनांक-17.07.2025-गुरुवार.
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