पंचक का दिन: एक भक्तिपूर्ण कविता (१७ जुलाई २०२५ - गुरुवार)-📅🌙⭐🙏✨🪵🚫🏠🔨🚫🗺️

Started by Atul Kaviraje, July 18, 2025, 05:37:19 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

पंचक का दिन: एक भक्तिपूर्ण कविता (१७ जुलाई २०२५ - गुरुवार)-

आज सत्रां जुला'ई है, दिन गुरुवार का आया,
पंचक का ये विशेष पल, प्रकृति ने दिखलाया।
नक्षत्रों का है ये संगम, जिसमें चाँद विराजे,
सावधानियाँ हैं कुछ इसकी, पर भक्तिभाव भी साजे।
अर्थ: आज १७ जुलाई गुरुवार का दिन है, और यह पंचक का विशेष समय है। यह पाँच नक्षत्रों का संगम है, जहाँ चंद्रमा का गोचर होता है। इसकी कुछ सावधानियां हैं, लेकिन इसमें भक्तिभाव का भी महत्व है।

चन्द्रमा जब धनिष्ठा से, रेवती तक जाता,
पाँच दिनों का ये सफर, पंचक तब कहलाता।
शुभ कार्यों से दूर रहें, कुछ बातों का ध्यान धरे,
पर मन में प्रभु का नाम हो, तो हर संकट टरे।
अर्थ: जब चंद्रमा धनिष्ठा से रेवती नक्षत्रों तक गोचर करता है, तो यह पाँच दिनों की अवधि पंचक कहलाती है। इसमें कुछ शुभ कार्यों से बचना चाहिए, पर यदि मन में प्रभु का नाम हो, तो हर संकट टल जाता है।

लकड़ी का संग्रह न करें, छत डालने से बचें,
दक्खिन दिशा की यात्रा को, थोड़ा सा टालें अब।
मृत्यु हो जो इस काल में, पुतले पाँच बनाएं,
परम्पराओं का पालन कर, शांति मन में लाएं।
अर्थ: पंचक में लकड़ी का संग्रह न करें और छत डालने से बचें। दक्षिण दिशा की यात्रा टाल दें। यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो, तो पाँच पुतले बनाकर दाह संस्कार करने की परंपरा है, जिससे मन को शांति मिलती है।

पर ना घबराएं, ना डरें, ये तो बस एक काल है,
आत्म-चिंतन का अवसर है, प्रभु की बस एक चाल है।
पूजा-पाठ और जाप से, मन को शांति मिलती है,
दान-पुण्य के कार्यों से, किस्मत चमकती है।
अर्थ: इस अवधि से घबराना नहीं चाहिए, यह सिर्फ एक समय है। यह आत्म-चिंतन का अवसर है। पूजा-पाठ और जाप से मन को शांति मिलती है और दान-पुण्य से किस्मत चमकती है।

हरि नाम का जप करो, सुमिरन करो निरंतर,
हर मुश्किल आसान हो, मन हो शांत और स्थिर।
सच्चे मन से जो मांगा, वो फल तुम्हें मिलेगा,
पंचक भी तब शुभ बने, भाग्य तेरा चमकेगा।
अर्थ: निरंतर भगवान का नाम जपते रहें। ऐसा करने से हर मुश्किल आसान होगी और मन शांत व स्थिर रहेगा। सच्चे मन से जो मांगा जाएगा, वह अवश्य मिलेगा, और पंचक भी शुभ हो जाएगा, भाग्य चमक उठेगा।

गुरुवार का है ये दिन, विष्णु कृपा बनी रहे,
धन-धान्य और सुख-शांति, जीवन में सदा बहे।
ज्ञान और विवेक से, हर निर्णय अब लेना,
पंचक का ये काल भी, खुशियों में बदल देना।
अर्थ: आज गुरुवार है, भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे, जिससे धन, धान्य, सुख और शांति जीवन में हमेशा बनी रहे। ज्ञान और विवेक से हर निर्णय लेना, और पंचक का यह काल भी खुशियों में बदल जाएगा।

पंचक का ये पर्व नहीं, एक संकेत है बस,
जीवन के हर पड़ाव पर, बनाए रखना ध्यास।
नकारात्मकता को त्यागो, सकारात्मकता अपनाओ,
हर पल को आनंद से, तुम जीते जाओ।
अर्थ: पंचक कोई त्योहार नहीं, बल्कि एक संकेत है। यह हमें जीवन के हर पड़ाव पर ध्यान बनाए रखने की सीख देता है। नकारात्मकता को त्याग कर सकारात्मकता अपनाएं, और हर पल को आनंद से जीते रहें।

कविता के प्रतीक और इमोजी:

📅 गुरुवार का कैलेंडर: दिन को दर्शाता है।

🌙 चाँद और ⭐ तारा: पंचक में चंद्रमा के नक्षत्र गोचर को दर्शाता है।

🙏 हाथ जोड़ना: भक्ति और प्रार्थना का प्रतीक।

✨ चमक: शुभता और सकारात्मकता।

🪵 लकड़ी🚫: वर्जित कार्य (लकड़ी खरीदना)।

🏠🔨🚫 घर बनाना/छत डालना: वर्जित कार्य।

🗺�🚗🚫 यात्रा: वर्जित यात्रा।

🕊�⚰️ मृत्यु: पंचक में मृत्यु से संबंधित क्रिया।

🧘�♂️ ध्यान: आत्म-चिंतन और शांति।

💖 दिल: प्रेम और सकारात्मक भावनाएं।

🕉� ॐ: आध्यात्मिकता और ईश्वर का नाम।

✅ सही का निशान: करने योग्य कार्य।

🌟 चमकता तारा: भाग्य और चमक।

🌿 पौधा: प्रकृति और शुभता।

इमोजी सारांश: 📅🌙⭐🙏✨🪵🚫🏠🔨🚫🗺�🚗🚫🕊�⚰️🧘�♂️💖🕉�✅🌟🌿 - ये इमोजी कविता के मुख्य भावों, पंचक के नियमों, भक्तिभाव और सकारात्मकता को संक्षेप में व्यक्त करते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-17.07.2025-गुरुवार.
===========================================