संविधान और अधिकार: लोकतंत्र का आधार (एक सुंदर कविता)-📅📜⚖️✊🕊️🤝🚫🧒🕉️✝️☪️📚🚨

Started by Atul Kaviraje, July 18, 2025, 05:44:36 PM

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Atul Kaviraje

संविधान और अधिकार: लोकतंत्र का आधार (एक सुंदर कविता)-

आज सत्रां जुला'ई है, दिन गुरुवार का आया,
संविधान और अधिकारों का, महत्व हमने गाया।
लोकतंत्र की ये आत्मा है, कानून की है ये शान,
हर नागरिक का इसमें है, मान और सम्मान।
अर्थ: आज १७ जुलाई, गुरुवार है, और हमने संविधान और अधिकारों का महत्व गाया है। यह लोकतंत्र की आत्मा और कानून की शान है; इसमें हर नागरिक का मान और सम्मान है।

एक किताब है ये न्यारी, जिसमें हर बात लिखी,
सरकार कैसे चलेगी, सीमाएं भी है दिखती।
मौलिक अधिकार हैं इसमें, जो जीवन की सांसें,
स्वतंत्रता और गरिमा की, भरती हैं ये आसें।
अर्थ: यह एक अनोखी किताब है, जिसमें हर बात लिखी है कि सरकार कैसे चलेगी और उसकी सीमाएं क्या हैं। इसमें मौलिक अधिकार हैं, जो जीवन की सांसें हैं, और स्वतंत्रता व गरिमा की आशाएं भरते हैं।

समानता का झंडा बुलंद, कोई न छोटा-बड़ा,
जाति-धर्म का भेद नहीं, हर इंसान है खड़ा।
शोषण के विरुद्ध लड़े, बच्चों को मिले आराम,
मानवता की रक्षा हो, हर दिल में हो ये काम।
अर्थ: समानता का झंडा बुलंद है, कोई छोटा-बड़ा नहीं है; जाति-धर्म का कोई भेद नहीं, हर इंसान समान है। शोषण के विरुद्ध लड़ें, बच्चों को आराम मिले; मानवता की रक्षा हो, यह काम हर दिल में हो।

धर्मनिरपेक्ष ये देश है, सबको अपनी राह,
पूजा-पाठ की आज़ादी, न कोई रोक-टोक या आह।
शिक्षा और संस्कृति का, अधिकार है अनमोल,
अपनी जड़ों से जुड़ें रहें, बजे जीवन का ढोल।
अर्थ: यह देश धर्मनिरपेक्ष है, सबको अपनी धार्मिक राह चुनने की आज़ादी है, बिना किसी रोक-टोक के। शिक्षा और संस्कृति का अधिकार अनमोल है; अपनी जड़ों से जुड़े रहें, जीवन का ढोल बजता रहे।

अधिकार जब छीने जाएं, तो है उपचार का द्वार,
न्यायालय में जाओ तुम, मिलता है अधिकार।
अंबेडकर जी ने इसे, संविधान की आत्मा कहा,
ये शक्ति है हमारी, जो अन्याय से रही बचा।
अर्थ: जब अधिकार छीने जाएं, तो उपचार का द्वार खुला है; न्यायालय में जाओ, अधिकार मिलता है। अंबेडकर जी ने इसे संविधान की आत्मा कहा था; यह हमारी वह शक्ति है, जो अन्याय से बचाती है।

कार्यपालिका, न्यायपालिका, और विधायिका का काम,
संविधान ने बाँटा है, सबका अलग-अलग नाम।
सत्ता का न हो केंद्रीकरण, संतुलन है बना,
लोकतंत्र की सुरक्षा है, ये नींव है घना।
अर्थ: कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका का काम संविधान ने बांटा है, सबका अलग-अलग नाम है। सत्ता का केंद्रीकरण न हो, संतुलन बना रहे; यह लोकतंत्र की सुरक्षा की मजबूत नींव है।

जीवंत है ये दस्तावेज़, बदलेगा समय संग,
हर नई चुनौती में, देगा ये नया रंग।
अधिकारों का सम्मान करें, निभाएं सब कर्तव्य,
भारत की ये शान रहे, है ये हमारा सर्वस्व।
अर्थ: यह एक जीवंत दस्तावेज़ है, जो समय के साथ बदलेगा और हर नई चुनौती में नया रंग देगा। अधिकारों का सम्मान करें, सभी कर्तव्य निभाएं; यह भारत की शान रहे, यह हमारा सब कुछ है।

कविता के प्रतीक और इमोजी:

📅 कैलेंडर: दिन को दर्शाता है।

📜 संविधान पुस्तक: संविधान का प्रतीक।

⚖️ तराजू: न्याय और समानता।

✊ उठी मुट्ठी: अधिकार और शक्ति।

🕊� कबूतर: स्वतंत्रता।

🤝 हाथ मिलाना: भाईचारा और एकता।

🚫 निषेध चिह्न: शोषण के खिलाफ।

🧒 बच्चा: बाल श्रम उन्मूलन।

🕉�✝️☪️ धार्मिक प्रतीक: धर्मनिरपेक्षता।

📚 किताबें: शिक्षा।

🚨 सायरन: उपचार का अधिकार।

👨�⚖️👩�⚖️ न्यायाधीश: न्यायालय।

👑 राजा का ताज: शक्ति पृथक्करण।

🇮🇳 भारत का झंडा: राष्ट्र और पहचान।

✨ चमक: जीवंतता और गौरव।

इमोजी सारांश: 📅📜⚖️✊🕊�🤝🚫🧒🕉�✝️☪️📚🚨👨�⚖️👩�⚖️👑🇮🇳✨ - ये इमोजी कविता के मूल विचारों को दर्शाते हैं, जिसमें संविधान का महत्व, मौलिक अधिकार, सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता, और लोकतांत्रिक व्यवस्था शामिल है।

--अतुल परब
--दिनांक-17.07.2025-गुरुवार.
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