संस्कार और शिक्षा - 🌷 ज्ञान और संस्कार 🌷📚🙏💡💖🏗️👤🌟✅❌👨‍👩‍👧‍👦🧘‍♀️😌🌱

Started by Atul Kaviraje, July 22, 2025, 10:31:17 PM

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Atul Kaviraje

संस्कार और शिक्षा पर भक्तिमय हिंदी कविता-

🌷 ज्ञान और संस्कार 🌷

१.
संस्कार और शिक्षा, ये हैं जीवन के दो आधार,
एक से मिले ज्ञान की ज्योति, दूजा दे जीवन में प्यार।
ज्ञान बिना संस्कार, जैसे दीप बिना बाती,
संस्कार बिना शिक्षा, अधूरी है हर बात ही।
(अर्थ: संस्कार और शिक्षा, ये जीवन के दो आधार हैं। एक से ज्ञान की ज्योति मिलती है, दूसरा जीवन में प्यार देता है। ज्ञान के बिना संस्कार, दीपक के बिना बाती के समान हैं, और संस्कार के बिना शिक्षा, हर बात अधूरी है।)
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२.
संस्कार नींव है अपनी, शिक्षा है उस पर महल,
बिन नींव के महल कहाँ, चाहे कितना भी हो प्रबल।
ईमानदारी, आदर, दया, ये हैं अनमोल गुण,
शिक्षा संग जो मिल जाएँ, जीवन हो जाए पावन।
(अर्थ: संस्कार अपनी नींव हैं, शिक्षा उस पर बना महल है। नींव के बिना महल कहाँ टिकेगा, चाहे वह कितना भी मजबूत क्यों न हो। ईमानदारी, आदर, दया, ये अनमोल गुण हैं, जो शिक्षा के साथ मिल जाएँ तो जीवन पवित्र हो जाता है।)
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३.
नैतिकता का पाठ पढ़ाते, हमें अपने संस्कार,
सही-गलत का भेद सिखाते, मिटाते हर अंधकार।
शिक्षित होकर भी जो, न करे बड़ों का मान,
तो व्यर्थ है उसकी शिक्षा, ना मिला उसे ज्ञान।
(अर्थ: अपने संस्कार हमें नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं, सही-गलत का भेद सिखाते और हर अंधकार मिटाते हैं। शिक्षित होकर भी जो बड़ों का सम्मान न करे, तो उसकी शिक्षा व्यर्थ है, उसे ज्ञान नहीं मिला।)
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४.
जीवन जीने की कला, संस्कारों से ही आए,
समाज में कैसे रहना, यह वही सिखाए।
पुस्तक ज्ञान अधूरा है, जो मन में हो मैल,
संस्कारों की शुद्धता ही, दे जीवन में खेल।
(अर्थ: जीवन जीने की कला संस्कारों से ही आती है, समाज में कैसे रहना है, वही सिखाता है। पुस्तक का ज्ञान अधूरा है, अगर मन में गंदगी हो, संस्कारों की शुद्धता ही जीवन में खेल (आनंद) देती है।)
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५.
डॉक्टर हो या इंजीनियर, कोई भी बड़ा नाम,
संस्कारों से ही बढ़ता, समाज में उसका काम।
अगर सेवा भाव ना हो, चाहे विद्या हो अपार,
व्यर्थ है वो ज्ञान सारा, न बदलेगा संसार।
(अर्थ: डॉक्टर हो या इंजीनियर, कोई भी बड़ा नाम, संस्कारों से ही समाज में उसका काम बढ़ता है। अगर सेवा भाव न हो, चाहे विद्या अपार हो, वह सारा ज्ञान व्यर्थ है, संसार नहीं बदलेगा।)
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६.
संस्कृति का संरक्षण, संस्कारों से होता,
पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान, यह बहता रहता।
एक बेहतर समाज का, यही तो है आधार,
शिक्षित और संस्कारवान, खुशियों का द्वार।
(अर्थ: संस्कृति का संरक्षण संस्कारों से होता है, ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी बहता रहता है। एक बेहतर समाज का यही तो आधार है, शिक्षित और संस्कारवान होना खुशियों का द्वार है।)
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७.
प्रार्थना है प्रभु से, हर बच्चा ये सीखे,
संस्कार और शिक्षा से, जीवन अपना लिखे।
ज्ञान की रौशनी संग, नैतिकता का मान हो,
भारत का हर नागरिक, सच्चा इंसान हो।
(अर्थ: प्रभु से प्रार्थना है कि हर बच्चा यह सीखे, संस्कार और शिक्षा से अपना जीवन लिखे। ज्ञान की रौशनी के साथ नैतिकता का मान हो, भारत का हर नागरिक सच्चा इंसान हो।)
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✨ इमोजी सारांश ✨
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--अतुल परब
--दिनांक-22.07.2025-मंगळवार.
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