"मुझसे कुछ भी पूछो" - यात्रा अनुभव (कविता)-

Started by Atul Kaviraje, July 23, 2025, 06:13:01 PM

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Atul Kaviraje

"मुझसे कुछ भी पूछो" - यात्रा अनुभव (कविता)-

चरण 1: यात्रा की पुकार
जब मन में हो हलचल न्यारी,
दुनिया देखे की हो तैयारी।
नया सफर, नया है नज़ारा,
"मुझसे कुछ भी पूछो" तुम्हारा।

अर्थ: जब मन में नई जगहों को देखने की इच्छा हो और एक नए सफर पर निकलने की तैयारी हो, तब "मुझसे कुछ भी पूछो" का यह मंच आपके लिए है।

चरण 2: राहों की कहानी
अनदेखे रास्तों की कहानी,
दिल में बसी मीठी निशानी।
कच्ची पक्की सब है डगर,
हर मोड़ पर कुछ है नया सफर।

अर्थ: उन रास्तों की कहानी जो अभी तक देखे नहीं हैं, जो दिल में मीठी यादें छोड़ जाते हैं। चाहे रास्ते कच्चे हों या पक्के, हर मोड़ पर कुछ नया अनुभव मिलता है।

चरण 3: मीठे पल और यादें
मौसम बदलें, लोग भी बदलें,
अनुभव की धारा में सब चलें।
मीठे पल, अनमोल यादें,
मन को भर दें खुशियों की सादें।

अर्थ: यात्रा में मौसम और लोग बदलते हैं, और हम अनुभव की धारा में बहते चले जाते हैं। ये मीठे पल और अनमोल यादें मन को खुशियों से भर देते हैं।

चरण 4: प्रकृति का आँचल
पर्वत ऊँचे, नदियाँ गहरी,
प्रकृति की गोद कितनी प्यारी।
फूलों की खुशबू, भवरों का गान,
ईश्वर का अद्भुत ये वरदान।

अर्थ: ऊँचे पर्वत और गहरी नदियाँ, प्रकृति की गोद में अद्भुत शांति मिलती है। फूलों की खुशबू और भवरों का गान, यह सब ईश्वर का दिया हुआ एक सुंदर वरदान है।

चरण 5: सीख और समझ
हर कदम पर नई है सीख,
बढ़ती जाती जीवन की भीख।
खुले मन से दुनिया को देखो,
ज्ञान की बातें अब तो परखो।

अर्थ: यात्रा के हर कदम पर कुछ नया सीखने को मिलता है, जिससे जीवन की समझ बढ़ती है। खुले मन से दुनिया को देखना चाहिए और ज्ञान की बातों को समझना चाहिए।

चरण 6: श्रद्धा और भक्ति
रंग बिरंगी धरती सारी,
ईश्वर की ये लीला न्यारी।
दिल में जगा भक्ति का भाव,
जीवन में आए सुख का नाव।

अर्थ: यह पूरी दुनिया जो रंग-बिरंगी है, वह ईश्वर की अद्भुत लीला है। इसे देखकर मन में भक्ति का भाव जागता है, और जीवन में सुख की नाव आती है।

चरण 7: अंतिम यात्रा
यह जीवन भी एक यात्रा है,
प्रभु चरणों में ही इसका सार है।
हर पल जियो प्रेम से तुम,
"मुझसे कुछ भी पूछो" का ये है गम।

अर्थ: यह जीवन भी एक यात्रा के समान है, जिसका अंतिम सार प्रभु के चरणों में ही है। हर पल को प्रेम से जीना चाहिए, और "मुझसे कुछ भी पूछो" का यही संदेश है।

--अतुल परब
--दिनांक-23.07.2025-बुधवार.
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