भारत में धार्मिक सहिष्णुता और उसकी आवश्यकता कविता-💥🔥⚔️🚧🌐📱🤝🕊️🌟📈💖

Started by Atul Kaviraje, July 24, 2025, 10:28:55 PM

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Atul Kaviraje

भारत में धार्मिक सहिष्णुता और उसकी आवश्यकता पर हिंदी कविता-

विविधता में एकता
(प्रत्येक चरण 04 लाइनों का)

चरण 1: भारत की पहचान
भारत की मिट्टी में, रंग अनेक धर्म के,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, सब प्रेम के कर्म के।
यह एकता ही पहचान है, सदियों के धर्म के,
सहिष्णुता ही नींव है, इस देश के मर्म के।
अर्थ: यह चरण भारत की धार्मिक विविधता को उसकी पहचान बताता है, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग प्रेम से रहते हैं। सहिष्णुता ही इस देश की आत्मा और एकता की नींव है।
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चरण 2: सहिष्णुता का अर्थ
स्वीकारो हर विश्वास को, हर पूजा की रीति,
न हो कोई द्वेष मन में, हो प्रेम की नीति।
यह सिर्फ बर्दाश्त नहीं, है आदर की प्रीति,
सहिष्णुता ही है, सच्ची मानवीय जीत।
अर्थ: इस चरण में सहिष्णुता का अर्थ बताया गया है: हर विश्वास और पूजा पद्धति को स्वीकार करना, मन में द्वेष न रखना, और प्रेम की नीति अपनाना। यह केवल बर्दाश्त करना नहीं, बल्कि आदर और प्रेम है, जो सच्ची मानवीय जीत है।
❤️🙏 aceptación

चरण 3: इतिहास की गाथा
अशोक के संदेशों में, अकबर की शान में,
सूफी और भक्ति के, हर एक गान में।
सहिष्णुता की धारा, बहती हर इंसान में,
यह भारत की परंपरा, हर युग के विधान में।
अर्थ: यह चरण भारत के इतिहास से सहिष्णुता के उदाहरण देता है, जैसे सम्राट अशोक और अकबर के शासनकाल, और सूफी-भक्ति आंदोलनों में। यह दर्शाता है कि सहिष्णुता भारत की सदियों पुरानी परंपरा का हिस्सा है।
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चरण 4: संविधान की वाणी
संविधान हमारा कहता, सब धर्म समान हैं,
राज्य न माने कोई, सब इसके मेहमान हैं।
स्वतंत्रता है सबको, अपने धर्म की जान हैं,
यह सहिष्णुता का वचन है, भारत की पहचान हैं।
अर्थ: यह चरण भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत को उजागर करता है, जो सभी धर्मों को समान मानता है और नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। यह सहिष्णुता का वचन और भारत की पहचान है।
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चरण 5: खतरे की घंटी
जब नफरत बढ़ती है, दिलों में दरारें हों,
अशांति फैलती है, जहाँ भी दीवारें हों।
विकास रुक जाता है, उठती तलवारें हों,
असहिष्णुता से टूटती, सारी मीनारें हों।
अर्थ: यह चरण धार्मिक असहिष्णुता के खतरों को दर्शाता है: नफरत से दिलों में दरारें पड़ती हैं, अशांति फैलती है, विकास रुकता है, और हिंसा होती है, जिससे समाज की नींव कमजोर होती है।
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चरण 6: आज की आवश्यकता
आज के इस युग में, जब विश्व है पास,
गलतफहमी बढ़ती है, होता है आभास।
संवाद जरूरी है, मिटाओ हर त्रास,
सद्भाव से ही बनेगी, शांति की मिठास।
अर्थ: यह चरण वर्तमान समय में सहिष्णुता की आवश्यकता पर जोर देता है। वैश्वीकरण के इस युग में गलतफहमी बढ़ सकती है, इसलिए संवाद और सद्भाव के माध्यम से शांति और मिठास लाना आवश्यक है।
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चरण 7: सुनहरा भविष्य
मिलकर जो चलेंगे, तो हर दुख मिटेगा,
खुशहाली आएगी, हर घर खिलेगा।
सहिष्णुता के संग, भारत आगे बढ़ेगा,
यह प्रेम का संदेश, हर दिल में जमेगा।
अर्थ: यह अंतिम चरण सहिष्णुता के साथ चलने पर एक सुनहरे भविष्य की कल्पना करता है। इससे दुख मिटेगा, खुशहाली आएगी, भारत प्रगति करेगा, और प्रेम का संदेश हर दिल में स्थापित होगा।
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इमोजी सारांश (कविता)
🇮🇳🌈🤝🕊�❤️🙏acceptance📜👑🎶✨🇮🇳⚖️🗣�freedom💥🔥⚔️🚧🌐📱🤝🕊�🌟📈💖🌍
 
--अतुल परब
--दिनांक-24.07.2025-गुरुवार.
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