श्रावणी सोमवार शिवपूजन: 28 जुलाई 2025 (सोमवार) - शिवमुठ (चावल)-

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2025, 10:10:23 AM

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Atul Kaviraje

श्रावणी सोमवार शिवपूजन-शिवमुठ-चावल -

श्रावणी सोमवार शिवपूजन: 28 जुलाई 2025 (सोमवार) - शिवमुठ (चावल)

28 जुलाई 2025, सोमवार का दिन विशेष है क्योंकि यह श्रावण मास का पहला सोमवार है। श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है और इस पूरे महीने शिव भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। सोमवार का दिन स्वयं भगवान शिव का दिन माना जाता है, इसलिए श्रावण मास में आने वाले सोमवार का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन शिवपूजन और शिवमुठ चढ़ाने की परंपरा का विशेष महत्व है, खासकर चावल की शिवमुठ का। 🙏🔱

1. श्रावण मास का महत्व: शिव भक्ति का महीना
श्रावण मास हिंदू पंचांग के अनुसार पाँचवाँ महीना होता है और यह भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। यह महीना प्रकृति की हरियाली और भक्तिमय वातावरण से भरा होता है। 🌿💧

2. सोमवार का विशेष महत्व: शिव का प्रिय दिन
सप्ताह के दिनों में सोमवार भगवान शिव को समर्पित है। श्रावण मास में सोमवार का व्रत और पूजन करने से भक्तों को भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। अविवाहित कन्याएँ उत्तम वर पाने के लिए, और विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। 🌙

3. शिवमुठ की परंपरा: श्रद्धा का प्रतीक
श्रावणी सोमवार को शिवमुठ चढ़ाने की एक विशेष परंपरा है। इसमें हर सोमवार को एक विशेष अनाज की मुट्ठी भर भगवान शिव को अर्पित की जाती है। यह अनाज महीने के चारों या पाँचों सोमवार को अलग-अलग हो सकता है, जैसे पहले सोमवार को चावल, दूसरे को तिल, तीसरे को मूँग और चौथे को जौ। यह परंपरा शिव के प्रति अटूट श्रद्धा और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करती है। 🌾

4. चावल की शिवमुठ (28 जुलाई 2025): अन्न का दान
28 जुलाई 2025 को श्रावण मास का पहला सोमवार है, इसलिए इस दिन चावल की शिवमुठ चढ़ाई जाएगी। चावल को अन्न का प्रतीक माना जाता है और इसे पवित्रता व समृद्धि का सूचक भी मानते हैं। शिव को चावल चढ़ाने का अर्थ है अन्न की कभी कमी न होना और जीवन में स्थिरता व समृद्धि आना। यह दरिद्रता दूर करने में सहायक माना जाता है। 🍚

5. शिवपूजन विधि: भक्ति और समर्पण
श्रावणी सोमवार को शिव मंदिर जाकर या घर पर ही शिव की प्रतिमा या शिवलिंग पर जल 💧, दूध 🥛, दही, घी, शहद 🍯 और बेलपत्र 🍃 अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद चंदन का लेप, धूप 🕯� और दीप जलाकर पूजा की जाती है। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए शिवमुठ (चावल) अर्पित की जाती है।

6. व्रत का विधान: आत्मिक शुद्धि का मार्ग
जो भक्त श्रावणी सोमवार का व्रत रखते हैं, वे पूरे दिन उपवास करते हैं। कुछ लोग निराहार व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग फलाहार करते हैं। व्रत का पालन करने से मन शुद्ध होता है और इंद्रियों पर नियंत्रण आता है। यह आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है। 🧘�♀️

7. पौराणिक कथाएँ: शिव महिमा का बखान
श्रावण मास और सोमवार व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। उदाहरण के लिए, समुद्र मंथन के दौरान जब विष निकला, तो भगवान शिव ने उसे पीकर समस्त संसार को बचाया था। इस घटना के कारण श्रावण मास में उनकी पूजा का विशेष महत्व है। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस मास में कठोर तपस्या की थी। 📖

8. मनोकामना पूर्ति: आशीर्वाद का साधन
माना जाता है कि श्रावणी सोमवार का व्रत और शिवमुठ चढ़ाने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। चाहे वह संतान प्राप्ति हो, विवाह में देरी दूर करना हो, या आर्थिक समस्याओं से मुक्ति हो, शिव भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। ✨

9. पर्यावरण और प्रकृति से जुड़ाव: शिव का संदेश
बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि जैसी प्राकृतिक वस्तुएँ शिव पूजन में उपयोग की जाती हैं, जो प्रकृति के साथ हमारे संबंध को दर्शाती हैं। यह हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने का संदेश भी देता है। 🌳

10. सामूहिक भक्ति का पर्व: एकता और सौहार्द
श्रावणी सोमवार सिर्फ व्यक्तिगत पूजा का नहीं, बल्कि सामूहिक भक्ति का भी पर्व है। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, भजन-कीर्तन होते हैं, और एक साथ पूजा-अर्चना करने से सामाजिक सौहार्द बढ़ता है। यह त्योहार हमें आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से जोड़ता है। 🚶�♀️🚶�♂️

इमोजी सारांश:
🙏: श्रद्धा, प्रार्थना, आशीर्वाद

🔱: त्रिशूल, भगवान शिव का प्रतीक

🌿: हरियाली, प्रकृति, श्रावण मास

💧: जल, अभिषेक

🌙: चंद्रमा, सोमवार का प्रतीक

🌾: अनाज, अन्न, शिवमुठ

🍚: चावल, पहले सोमवार की शिवमुठ

🥛: दूध, अभिषेक

🍯: शहद, अभिषेक

🍃: बेलपत्र, शिव का प्रिय

🕯�: दीप/धूप, प्रकाश, पूजा

🧘�♀️: व्रत, ध्यान, आत्मिक शुद्धि

📖: पौराणिक कथाएँ, ज्ञान

✨: आशीर्वाद, सकारात्मकता, दैवीय शक्ति

🌳: पेड़, पर्यावरण

🚶�♀️🚶�♂️: सामूहिक भक्ति, समुदाय

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.07.2025-सोमवार.
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