कृक हिरण्यकेशी श्रावणी पर भक्तिमय कविता 🌿✨📖🌿✨📖💧🙏🕉️🌟

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2025, 10:12:37 PM

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Atul Kaviraje

कृक हिरण्यकेशी श्रावणी पर भक्तिमय कविता 🌿✨📖

यहाँ कृक हिरण्यकेशी श्रावणी के पावन अवसर पर एक सुंदर, अर्थपूर्ण और सरल कविता प्रस्तुत है, जिसमें प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ भी दिया गया है:

चरण 1:
श्रावण मास की पावन बेला,
कृक हिरण्यकेशी श्रावणी मेला।
मंगलवार का शुभ दिन आया,
वेद ज्ञान का दीप जलाया।

अर्थ: श्रावण मास का पवित्र समय है, कृक हिरण्यकेशी श्रावणी का उत्सव है। मंगलवार का शुभ दिन आया है, और वेद ज्ञान का दीपक जलाया गया है।

चरण 2:
हिरण्यकेशी शाखा की ये रीत,
ज्ञान की गंगा, गहरी है प्रीत।
उपाकर्म का पावन अनुष्ठान,
शुद्धि का मार्ग, वेद का मान।

अर्थ: यह हिरण्यकेशी शाखा की परंपरा है, ज्ञान की गंगा है, और गहरी आस्था है। उपाकर्म का यह पवित्र अनुष्ठान है, जो शुद्धि का मार्ग और वेदों का सम्मान करता है।

चरण 3:
पवित्र जल में स्नान करें भक्त,
तन-मन शुद्ध हो, भाव हो सख्त।
देवताओं, ऋषियों का तर्पण करें,
पूर्वजों को श्रद्धा सुमन अर्पण करें।

अर्थ: भक्त पवित्र जल में स्नान करते हैं, जिससे उनका शरीर और मन शुद्ध हो और भाव दृढ़ हो। देवताओं और ऋषियों को तर्पण करते हैं, और पूर्वजों को श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं।

चरण 4:
नया जनेऊ धारण करें आज,
ब्रह्मचर्य का संकल्प, ज्ञान का ताज।
पुराने पापों का हो प्रायश्चित,
मन शुद्ध हो, आत्मा हो पवित्र।

अर्थ: आज नया जनेऊ धारण करते हैं, यह ब्रह्मचर्य का संकल्प और ज्ञान का मुकुट है। पुराने पापों का प्रायश्चित हो, मन शुद्ध हो और आत्मा पवित्र हो।

चरण 5:
स्वाध्याय का ले संकल्प महान,
वेदों का करें नित प्रतिदिन गान।
गुरु-शिष्य परंपरा का हो गौरव,
ज्ञान की मशाल जले, हो ना कोई रव।

अर्थ: स्वाध्याय का महान संकल्प लेते हैं, वेदों का प्रतिदिन पाठ करते हैं। गुरु-शिष्य परंपरा का गौरव हो, ज्ञान की मशाल जलती रहे, कोई रुकावट न हो।

चरण 6:
ऋषि-मुनियों ने जो पथ दिखाया,
उस पर चलकर जीवन सजाया।
संस्कृति का ये अद्भुत आधार,
पीढ़ी-पीढ़ी हो इसका विस्तार।

अर्थ: ऋषि-मुनियों ने जो मार्ग दिखाया, उस पर चलकर जीवन को संवारा। यह संस्कृति का अद्भुत आधार है, इसका विस्तार पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता रहे।

चरण 7:
कृक हिरण्यकेशी श्रावणी की जय,
ज्ञान और शुद्धि का हो ना क्षय।
हर घर में फैले वेद का प्रकाश,
आनंद, सुख और शांति का वास।

अर्थ: कृक हिरण्यकेशी श्रावणी की जय हो, ज्ञान और शुद्धि का कभी नाश न हो। हर घर में वेदों का प्रकाश फैले, और आनंद, सुख तथा शांति का निवास हो।

कविता का इमोजी सारांश 🌿✨📖💧🙏🕉�🌟
कृक हिरण्यकेशी श्रावणी 🌿 वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण दिन है ✨। यह ज्ञान के नवीनीकरण 📖, पवित्र स्नान 💧 और पितरों के तर्पण 🙏 का पर्व है। इस दिन नया जनेऊ धारण करके स्वाध्याय का संकल्प लिया जाता है 🕉�। यह ज्ञान और आध्यात्मिक शुद्धिकरण 🌟 का प्रतीक है।

--अतुल परब
--दिनांक-29.07.2025-मंगळवार.
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