नाग पंचमी: महत्व और भक्तिभाव का पर्व 🐍🙏 दिनांक: 29 जुलाई, 2025 दिन: मंगलवार-

Started by Atul Kaviraje, July 30, 2025, 09:23:27 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

नाग पंचमी-

नाग पंचमी: महत्व और भक्तिभाव का पर्व 🐍🙏
दिनांक: 29 जुलाई, 2025
दिन: मंगलवार

नाग पंचमी का पावन पर्व, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा में एक विशेष स्थान रखता है। यह दिन नागों को समर्पित है और उन्हें पूजने का विधान है। नागों को भगवान शिव के गले का हार माना जाता है और वे पाताल लोक के संरक्षक भी कहे जाते हैं। यह पर्व प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान और जीव-जंतुओं के साथ सह-अस्तित्व के संदेश को दर्शाता है।

नाग पंचमी का महत्व और विवेचन (10 प्रमुख बिंदु)
नागों का पौराणिक महत्व: हिंदू धर्म में नागों को देवताओं के समान पूजनीय माना जाता है। शेषनाग पर भगवान विष्णु विराजमान हैं, और वासुकी नाग भगवान शिव के गले का आभूषण हैं। कालिया नाग से भगवान कृष्ण ने युद्ध किया था और उसे पराजित कर आशीर्वाद दिया था। यह दर्शाता है कि नाग सिर्फ रेंगने वाले जीव नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक हैं।

पर्यावरण संतुलन में भूमिका: नाग पंचमी का पर्व पर्यावरण संतुलन के महत्व को भी दर्शाता है। नाग किसानों के मित्र होते हैं क्योंकि वे चूहों जैसे हानिकारक जीवों को नियंत्रित कर फसलों की रक्षा करते हैं। इस पर्व के माध्यम से हम प्रकृति के इस महत्वपूर्ण घटक के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

सर्प भय से मुक्ति: ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और सर्प भय दूर होता है। लोग अपने घरों और परिवार की रक्षा के लिए नाग देवता से प्रार्थना करते हैं।

शुभ और समृद्धि का प्रतीक: नागों को धन और समृद्धि का रक्षक भी माना जाता है। कई पौराणिक कथाओं में नागों को खजानों का संरक्षक बताया गया है। इस दिन उनकी पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

पारिवारिक कल्याण: नाग पंचमी पर महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों की सुरक्षा और कल्याण के लिए व्रत रखती हैं और नाग देवता की पूजा करती हैं। यह विशेष रूप से बेटों और भाइयों की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए किया जाता है।

पूजा विधि और अनुष्ठान: इस दिन नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लोग दूध, लावा (भुने हुए जौ या धान), फूल और चंदन चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करते हैं। कुछ लोग मिट्टी या धातु के नाग बनाकर उनकी पूजा करते हैं।

नाग पंचमी कथाएं: नाग पंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा महाभारत से संबंधित है। राजा जनमेजय ने सर्प यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें हजारों सर्प जलकर भस्म हो गए थे। आस्तिक मुनि के हस्तक्षेप से यह यज्ञ रुका और नागों को जीवनदान मिला। इसी दिन से नाग पंचमी मनाई जाने लगी।

क्षेत्रीय विविधता: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में नाग पंचमी अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। कहीं नागों की मूर्तियों की पूजा होती है तो कहीं जीवित नागों को दूध पिलाया जाता है (हालांकि अब जीवित नागों को दूध पिलाने से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है)।

आधुनिक दृष्टिकोण: आजकल, जागरूकता बढ़ने के साथ लोग जीवित सांपों को नुकसान पहुँचाए बिना या उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान किए बिना पूजा करते हैं। वन विभाग और पशु कल्याण संगठन भी सांपों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बनाए रखने पर जोर देते हैं।

भक्ति और विश्वास: अंततः, नाग पंचमी का पर्व भक्ति, विश्वास और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि हमें सभी जीवों का सम्मान करना चाहिए और उनके साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में रहना चाहिए।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.07.2025-मंगळवार.
===========================================