नाग यात्राएँ: महाराष्ट्र की पावन परंपरा और भक्ति 🐍🙏 दिनांक: 29 जुलाई, 2025-

Started by Atul Kaviraje, July 30, 2025, 09:26:39 AM

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Atul Kaviraje

1-नाग पंचमी यात्रा-कस्बा बावड़ा, जिला-कोल्हापुर-

2-ज्योतिर्लिंग और  नाग यात्रा-वाघापुर, तालुका-भुदरगढ़-

3-श्री नागराज यात्रा-कासेगाव, तालुका-वालवा-

नाग यात्राएँ: महाराष्ट्र की पावन परंपरा और भक्ति 🐍🙏

दिनांक: 29 जुलाई, 2025
दिन: मंगलवार

नाग पंचमी का त्योहार, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, महाराष्ट्र में अपनी अनूठी नाग यात्राओं के लिए प्रसिद्ध है। यह दिन नाग देवता के प्रति गहरी आस्था और सम्मान को दर्शाता है। ये यात्राएँ न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और सामुदायिक सौहार्द का भी प्रतीक हैं। आइए, हम कोल्हापुर के कस्बा बावड़ा, भुदरगढ़ के वाघापुर और वालवा के कासेगाँव में होने वाली इन प्रमुख नाग यात्राओं के महत्व और भक्तिभाव पर विस्तार से चर्चा करें।

नाग यात्राओं का महत्व और विवेचन (10 प्रमुख बिंदु)
कस्बा बावड़ा, जिला-कोल्हापुर की नाग पंचमी यात्रा: कोल्हापुर जिले का कस्बा बावड़ा गाँव अपनी पारंपरिक नाग पंचमी यात्रा के लिए जाना जाता है। यहाँ भक्त नाग देवता को पूजते हैं और सांपों को सुरक्षित रूप से यात्रा में शामिल करते हैं। यह यात्रा स्थानीय समुदाय के बीच एकता और धार्मिक उत्साह का प्रतीक है।

ज्योतिर्लिंग और नाग यात्रा-वाघापुर, तालुका-भुदरगढ़: भुदरगढ़ तालुका के वाघापुर में ज्योतिर्लिंग के साथ नाग यात्रा का आयोजन होता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है। यहाँ भक्त भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा करते हैं, क्योंकि नाग शिवजी के प्रिय हैं। यह यात्रा आध्यात्मिक और पारिस्थितिकीय महत्व का संगम है।

श्री नागराज यात्रा-कासेगाँव, तालुका-वालवा: सांगली जिले के वालवा तालुका में स्थित कासेगाँव में श्री नागराज यात्रा बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह यात्रा नागों को सम्मान देने और उनसे सुरक्षा तथा समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

सर्प संरक्षण और जागरूकता: इन यात्राओं का एक आधुनिक पहलू यह भी है कि अब इनमें सर्प संरक्षण और जागरूकता पर जोर दिया जाता है। प्रशिक्षित सर्पमित्रों द्वारा सांपों को सावधानीपूर्वक संभाला जाता है और पूजा के बाद उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है, जिससे सांपों को अनावश्यक नुकसान से बचाया जा सके।

पौराणिक जड़ें और आस्था: ये यात्राएँ प्राचीन पौराणिक कथाओं में निहित हैं, जहाँ नागों को दिव्य शक्तियों और धन का रक्षक माना जाता है। भक्त मानते हैं कि नागों की पूजा करने से सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में खुशहाली आती है।

पारंपरिक अनुष्ठान और उत्सव: इन यात्राओं में पारंपरिक लोकगीत, नृत्य और विशेष अनुष्ठान शामिल होते हैं। भक्त बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और नाग देवता की महिमा का गुणगान करते हैं। यह एक उत्सव का माहौल बनाता है।

कृषि और नागों का संबंध: नाग किसानों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे चूहों और अन्य कीटों को नियंत्रित करके फसलों की रक्षा करते हैं। ये यात्राएँ कृषि समुदाय में नागों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करती हैं।

सामुदायिक भागीदारी: इन यात्राओं का आयोजन ग्राम समितियों और स्थानीय निवासियों के सक्रिय सहयोग से होता है। यह सामुदायिक भावना को मजबूत करता है और लोगों को एक साथ लाता है।

भय मुक्ति और कल्याण की कामना: नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से लोग सर्प भय से मुक्ति की कामना करते हैं और अपने परिवार के सदस्यों के कल्याण और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करते हैं।

स्थानीय पहचान और पर्यटन: ये नाग यात्राएँ इन क्षेत्रों की अनूठी पहचान बन गई हैं और दूर-दूर से पर्यटकों और भक्तों को आकर्षित करती हैं। ये महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.07.2025-मंगळवार.
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