राम और हनुमान की भक्ति - 🙏💖🚩🐒

Started by Atul Kaviraje, July 30, 2025, 09:56:25 PM

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Atul Kaviraje

राम और हनुमान की भक्ति - एक भक्तिपूर्ण कविता-

चरण 1
राम नाम का जपा करते, पवनसुत बलवान,
सेवा का वो पाठ पढ़ाए, हनुमान महान।
जब राम आए वन में, सीता की थी खोज,
पहले वो मिले उनको, मन में थी न कोई ओझ।
🙏🐒
अर्थ: पवनपुत्र हनुमान, जो बहुत बलवान हैं, हमेशा राम नाम का जाप करते हैं। वे सेवा का महान पाठ पढ़ाते हैं। जब भगवान राम वन में सीता की खोज में आए, तब हनुमान उनसे पहली बार मिले, और उनके मन में कोई दुविधा नहीं थी।

चरण 2
किष्किंधा की पावन भूमि, हुआ वो प्रथम मिलन,
पहचान ली दिव्यता, मन में हुआ समर्पण।
स्वामी काज करने को, तत्पर हो गए वीर,
लंका जाने की ठानी, मन में बांधा धीर।
🤝🏞�
अर्थ: किष्किंधा की पवित्र भूमि पर उनका पहला मिलन हुआ। हनुमान ने राम की दिव्यता को पहचान लिया और तुरंत समर्पण कर दिया। वे अपने स्वामी का कार्य करने के लिए तैयार हो गए और लंका जाने का धैर्यपूर्ण निर्णय लिया।

चरण 3
लंबी छलांग लगाई, सागर को वो लांघे,
सीता की खोज में, ना कोई बाधा वो मांगें।
अशोक वाटिका तोड़ी, रावण को ललकारा,
नाम राम का लेकर, लंका को भी संहारा।
🌊🌴🔥
अर्थ: उन्होंने लंबी छलांग लगाई और सागर को पार कर गए। सीता की खोज में उन्हें कोई बाधा नहीं रोक पाई। उन्होंने अशोक वाटिका को तोड़ा, रावण को चुनौती दी, और राम का नाम लेकर लंका को भी जला दिया।

चरण 4
लक्ष्मण जब मूर्छित हुए, संजीवनी की थी आस,
ले आए पर्वत ही पूरा, मिटा दिया निराशा का वास।
गति उनकी पवन सी थी, राम कृपा का बल,
अजर-अमर हुए वो, हर युग हर पल।
⛰️🌿💨
अर्थ: जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए और संजीवनी बूटी की आवश्यकता थी, तब हनुमान पूरा पर्वत ही ले आए और निराशा को दूर कर दिया। उनकी गति पवन के समान थी, और यह राम की कृपा का बल था। वे हर युग में, हर पल अजर-अमर हो गए।

चरण 5
अहंकार से दूर वो, दास्य भाव में लीन,
राम नाम ही शक्ति है, ये था उनका यकीन।
सीने में राम-सीता, दिखाए थे जब चीर,
भक्ति की वो पराकाष्ठा, अद्भुत उनके वीर।
🙇�♂️💖❤️�🔥
अर्थ: वे अहंकार से दूर थे और सेवक के भाव में लीन रहते थे। उनका विश्वास था कि राम नाम ही उनकी शक्ति है। जब उन्होंने अपना सीना चीरकर राम और सीता को दिखाया, तो वह उनकी भक्ति की चरम सीमा थी, वे एक अद्भुत वीर थे।

चरण 6
नवधा भक्ति का रूप, हर गुण उनमें समाया,
श्रवण, कीर्तन, स्मरण, सब उनमें पाया।
राम के वो प्यारे, हनुमान बलशाली,
भक्तों के संकट हरते, महिमा उनकी निराली।
9️⃣🙏🌟
अर्थ: नवधा भक्ति के सभी नौ रूप और हर गुण उनमें समाहित थे। श्रवण (सुनना), कीर्तन (गाना), स्मरण (याद करना) - ये सभी उनमें पाए जाते थे। वे राम के प्रिय हैं, बलशाली हनुमान हैं, और भक्तों के संकट हरते हैं, उनकी महिमा अद्वितीय है।

चरण 7
आदर्श भक्त हैं वो, हर युग के कहलाए,
उनकी भक्ति से ही तो, राम भी खुश हो पाए।
आओ हम भी सीखें, सेवा और निस्वार्थ प्रेम,
हनुमान की तरह पाएं, राम के पवित्र नेम।
🚩🐒💖
अर्थ: वे हर युग के आदर्श भक्त कहलाए। उनकी भक्ति से ही तो भगवान राम भी प्रसन्न हुए। आओ हम भी सेवा और निस्वार्थ प्रेम सीखें, और हनुमान की तरह राम के पवित्र नियमों को प्राप्त करें।

सारांश
यह कविता राम और हनुमान के अटूट भक्तिमय संबंध का वर्णन करती है। यह हनुमान के बल, सेवाभाव, राम नाम में आस्था, विनम्रता, और उनकी चिरंजीवी होने का बखान करती है। कविता में उनके द्वारा किए गए महान कार्यों जैसे सीता की खोज, लंका दहन और संजीवनी लाने का उल्लेख है, जो उनकी अटूट निष्ठा और प्रेम को दर्शाते हैं। अंत में, यह हनुमान को आदर्श भक्त के रूप में प्रस्तुत करते हुए हमें उनकी निस्वार्थ सेवा से प्रेरणा लेने का संदेश देती है। 🙏💖🚩🐒

--अतुल परब
--दिनांक-30.07.2025-बुधवार.
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