स्वतंत्रता संग्राम में काव्य और साहित्य का योगदान-1-🇮🇳✊📜✒️🔥❤️📚

Started by Atul Kaviraje, July 31, 2025, 10:26:31 AM

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Atul Kaviraje

स्वतंत्रता संग्राम में काव्य और साहित्य का योगदान-

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में केवल तलवार और बंदूक की ही नहीं, बल्कि शब्दों और विचारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। काव्य और साहित्य ने लोगों को जगाने, उनमें देशभक्ति की भावना भरने और उन्हें अन्याय के खिलाफ खड़े होने के लिए प्रेरित करने का अतुलनीय कार्य किया। यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि एक शक्तिशाली हथियार था जिसने जन-जन तक क्रांति की अलख जगाई। ✊🇮🇳

1. जन-जागरण और प्रेरणा का स्रोत 📢
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साहित्य ने सोई हुई जनता को जगाने का काम किया। कवियों और लेखकों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से ब्रिटिश शासन के अत्याचारों और भारतीय संस्कृति पर हो रहे हमलों को उजागर किया। भारतेंदु हरिश्चंद्र, मैथिलीशरण गुप्त और सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे साहित्यकारों ने अपनी कविताओं और नाटकों से लोगों में राष्ट्रीय चेतना का संचार किया। उनकी रचनाएँ घर-घर पहुँचीं और लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया।

2. देशभक्ति की भावना का संचार ❤️
काव्य और साहित्य ने लोगों के दिलों में देशभक्ति की गहरी भावना पैदा की। "जन गण मन," "वंदे मातरम," और "सरफरोशी की तमन्ना" जैसे गीतों और कविताओं ने लाखों लोगों को एक सूत्र में बांधा। ये गीत रैलियों, सभाओं और प्रदर्शनों में गाए जाते थे, जिससे लोगों में उत्साह और बलिदान की भावना प्रबल होती थी। इन गीतों ने उन्हें यह महसूस कराया कि वे एक बड़े उद्देश्य के लिए लड़ रहे हैं।

3. ब्रिटिश नीतियों की आलोचना और प्रतिरोध 📝
साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों, आर्थिक शोषण और सामाजिक असमानताओं पर तीखा प्रहार किया। प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों ने ग्रामीण भारत की दुर्दशा और किसानों के शोषण को उजागर किया। उनकी कहानियों ने आम आदमी के संघर्षों को सामने लाया और लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।

4. सांस्कृतिक पहचान का पुनरुत्थान 🎭
अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को हीन दिखाने की कोशिश की। इसके जवाब में, साहित्यकारों ने भारत के गौरवशाली अतीत, उसकी समृद्ध संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान की विरासत को अपनी रचनाओं के माध्यम से पुनः स्थापित किया। रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी जैसे लेखकों ने भारतीय दर्शन, इतिहास और कला पर आधारित रचनाएँ लिखकर लोगों में अपनी सांस्कृतिक पहचान के प्रति गर्व की भावना पैदा की। यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

5. क्रांति और बलिदान की प्रेरणा ⚔️
कई साहित्यिक कृतियों ने सीधे तौर पर क्रांति और बलिदान का आह्वान किया। भगत सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने भी जेल में रहते हुए साहित्य का अध्ययन किया और अपनी विचारधारा को कविताओं और लेखों के माध्यम से व्यक्त किया। रामप्रसाद बिस्मिल की "सरफरोशी की तमन्ना" जैसी रचनाएँ क्रांतिकारियों के बीच बहुत लोकप्रिय थीं और उन्हें देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा देती थीं। ये रचनाएँ सिर्फ शब्द नहीं थीं, बल्कि प्रेरणा की अग्नि थीं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.07.2025-बुधवार.
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