31 जुलाई, 2025: शीतला सप्तमी और बृहस्पति पूजन का महत्व-

Started by Atul Kaviraje, August 01, 2025, 10:47:41 AM

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Atul Kaviraje

1-शीतला सप्तमी-

2-बृहस्पती पूजन-

31 जुलाई, 2025: शीतला सप्तमी और बृहस्पति पूजन का महत्व-

आज, 31 जुलाई 2025, गुरुवार का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज शीतला सप्तमी और बृहस्पति पूजन का विशेष संयोग बन रहा है। ये दोनों ही पर्व अपने आप में गहरा महत्व रखते हैं और भक्तों को सुख-शांति तथा आरोग्य प्रदान करते हैं। आइए, इन दोनों के महत्व और भक्तिभाव पर विस्तार से चर्चा करें।

शीतला सप्तमी का महत्व 🙏
शीतला सप्तमी का पर्व देवी शीतला को समर्पित है, जिन्हें रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। यह पर्व मुख्यतः चैत्र मास में मनाया जाता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में श्रावण मास में भी शीतला सप्तमी मनाई जाती है, जिसे श्रावण शीतला सप्तमी कहा जाता है। 31 जुलाई को पड़ने वाली यह सप्तमी भी इसी श्रेणी में आ सकती है, यदि स्थानीय पंचांग में इसका उल्लेख हो।

1. आरोग्य और स्वास्थ्य की देवी: देवी शीतला को चेचक, खसरा, और अन्य त्वचा संबंधी बीमारियों से बचाने वाली देवी माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्त निरोगी रहते हैं और उन्हें बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

2. बासी भोजन का भोग: इस दिन विशेष रूप से बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा स्वच्छता और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने का संदेश देती है। एक दिन पहले भोजन बनाकर उसे अगले दिन ग्रहण किया जाता है, जो शीतला माता को प्रसन्न करने का एक तरीका है।

3. परिवार की सुख-शांति: भक्त देवी शीतला से अपने परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं। यह पर्व परिवार के सदस्यों के बीच स्नेह और एकता को बढ़ावा देता है।

4. प्रकृति का सम्मान: शीतला माता की सवारी गधा है और उनके हाथों में झाड़ू और नीम के पत्ते होते हैं। ये सभी प्रतीक प्रकृति और स्वच्छता के महत्व को दर्शाते हैं। यह पर्व हमें पर्यावरण को स्वच्छ रखने और प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान करने की प्रेरणा देता है।

5. बच्चों के लिए विशेष: यह पर्व विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है। माताएं अपने बच्चों को रोगों से बचाने के लिए शीतला माता का पूजन करती हैं।

बृहस्पति पूजन का महत्व ✨
गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति (गुरु) को समर्पित है, जो देवताओं के गुरु और ज्ञान, धन, संतान और वैवाहिक सुख के कारक माने जाते हैं। 31 जुलाई को गुरुवार होने के कारण आज बृहस्पति पूजन का भी विशेष महत्व है।

6. ज्ञान और बुद्धि का प्रदाता: भगवान बृहस्पति को ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को विद्या, ज्ञान और सद्बुद्धि प्राप्त होती है। छात्रों और शिक्षकों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

7. वैवाहिक सुख और संतान प्राप्ति: विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए बृहस्पति देव की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भी इस दिन विशेष पूजा करते हैं।

8. धन और समृद्धि: देवगुरु बृहस्पति को धन और समृद्धि का कारक भी माना जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को आर्थिक लाभ होता है और दरिद्रता दूर होती है।

9. पीली वस्तुओं का महत्व: इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। भक्त पीले वस्त्र पहनते हैं, पीली वस्तुओं का दान करते हैं और भगवान को पीली मिठाई या चने की दाल का भोग लगाते हैं। यह रंग शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक है।

10. नैतिक मूल्यों का विकास: बृहस्पति पूजन से व्यक्ति में धैर्य, ईमानदारी, दया और न्याय जैसे नैतिक गुणों का विकास होता है। यह पूजा आत्म-अनुशासन और सकारात्मक जीवन शैली अपनाने की प्रेरणा देती है।

आज का दिन इन दोनों पावन अवसरों के अद्भुत संगम से और भी अधिक पवित्र हो गया है। भक्त इस दिन देवी शीतला और देवगुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त कर अपने जीवन को सुखमय और आरोग्यपूर्ण बना सकते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-31.07.2025-गुरुवार.
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