31 जुलाई, 2025: गोस्वामी तुलसीदास जयंती और नाना शंकरशेठ पुण्यतिथि का महत्व-

Started by Atul Kaviraje, August 01, 2025, 10:48:14 AM

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Atul Kaviraje

1-गोस्वामी तुलसीदास जयंती-

2-नाना शंकरशेठ पुण्यदिन-

31 जुलाई, 2025: गोस्वामी तुलसीदास जयंती और नाना शंकरशेठ पुण्यतिथि का महत्व-

आज, 31 जुलाई, 2025, गुरुवार का दिन दो महान विभूतियों को याद करने का अवसर है जिन्होंने भारतीय समाज और संस्कृति पर अमिट छाप छोड़ी है। आज एक ओर गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती है, वहीं दूसरी ओर नाना शंकरशेठ की पुण्यतिथि है। ये दोनों ही व्यक्तित्व अपने-अपने क्षेत्रों में अद्वितीय थे और इनके योगदान आज भी प्रासंगिक हैं। आइए, इनके महत्व और उनसे जुड़ी भावनाओं पर विस्तार से चर्चा करें।

गोस्वामी तुलसीदास जयंती 🙏
गोस्वामी तुलसीदास जी, हिंदी साहित्य के भक्ति काल के एक महान कवि और संत थे। उनका जन्म श्रावण शुक्ल सप्तमी को हुआ था, और इसलिए यह दिन उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

1. रामचरितमानस के रचयिता: तुलसीदास जी को उनके महाकाव्य 'रामचरितमानस' के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। यह ग्रंथ भगवान राम के जीवन और आदर्शों का एक अद्भुत वर्णन है, जो भारतीय समाज में धर्म, नैतिकता और मानवीय मूल्यों का प्रतीक बन गया है।

2. भक्ति और समन्वय के अग्रदूत: उन्होंने रामभक्ति परंपरा को जन-जन तक पहुँचाया। उनकी रचनाओं ने समाज में भक्ति और समन्वय का संदेश दिया, जिससे विभिन्न वर्गों के लोग एक सूत्र में बंधे।

3. साहित्यिक और भाषाई योगदान: तुलसीदास जी ने अवधी और ब्रजभाषा में अपनी रचनाएँ कीं, जिससे इन भाषाओं को साहित्यिक ऊँचाई मिली। उनकी भाषा सरल, सुबोध और प्रभावशाली थी, जो आम जनता को आसानी से समझ आती थी।

4. लोक कल्याण का संदेश: उनकी रचनाएँ केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वे जीवन जीने की कला, परिवारिक मूल्यों, सामाजिक कर्तव्यों और आत्मिक शांति का मार्ग भी दिखाती हैं। वे हमेशा लोक कल्याण और मानव सेवा का संदेश देते रहे।

5. आदर्श जीवन का प्रतीक: तुलसीदास जी का स्वयं का जीवन भी त्याग, तपस्या और भक्ति का आदर्श था। उन्होंने सांसारिक मोहमाया त्याग कर अपना जीवन ईश्वर और समाज की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जीवन आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

नाना शंकरशेठ पुण्यतिथि 🕊�
जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे, जिन्हें आमतौर पर नाना शंकरशेठ के नाम से जाना जाता है, 19वीं सदी के महाराष्ट्र के एक दूरदर्शी परोपकारी और शिक्षाविद थे। 31 जुलाई 1865 को उनका निधन हुआ, और इसलिए यह दिन उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।

6. आधुनिक मुंबई के निर्माता: नाना शंकरशेठ को 'आधुनिक मुंबई के निर्माता' के रूप में जाना जाता है। उन्होंने मुंबई के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें रेलवे, बंदरगाह और अन्य नागरिक सुविधाओं का विकास शामिल है।

7. शिक्षा के प्रबल समर्थक: वे शिक्षा के एक महान समर्थक थे। उन्होंने एल्फिन्स्टन कॉलेज और जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट जैसी कई शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण को भी बढ़ावा दिया।

8. समाज सुधारक: नाना शंकरशेठ ने सामाजिक सुधारों में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह और बाल विवाह के विरोध में आवाज उठाई। वे जातिवाद और अंधविश्वासों के खिलाफ थे और एक समतावादी समाज के निर्माण के लिए प्रयासरत थे।

9. रेलवे के प्रणेता: भारत में रेलवे की शुरुआत में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है। वे उन शुरुआती भारतीयों में से थे जिन्होंने मुंबई से ठाणे तक पहली रेलवे लाइन बिछाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

10. दूरदर्शी और परोपकारी व्यक्तित्व: नाना शंकरशेठ ने अपने धन का उपयोग केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के उत्थान के लिए किया। वे एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने महाराष्ट्र और भारत के भविष्य के लिए नींव रखी। उनका परोपकारी स्वभाव और निस्वार्थ सेवा आज भी हमें प्रेरित करती है।

आज का यह दिन हमें इन दो महान आत्माओं के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेने का अवसर देता है। तुलसीदास जी हमें भक्ति, नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक शांति का मार्ग दिखाते हैं, जबकि नाना शंकरशेठ हमें शिक्षा, समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-31.07.2025-गुरुवार.
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