पुत्रदा एकादशी-

Started by Atul Kaviraje, August 06, 2025, 10:29:58 AM

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Atul Kaviraje

पुत्रदा एकादशी-

पुत्रदा एकादशी का महत्व और भक्तिभाव पूर्ण लेख-

आज, मंगलवार, ५ अगस्त २०२५, को पुत्रदा एकादशी का पावन पर्व है। यह एकादशी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आती है, इसलिए इसे श्रावण पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है और संतान से संबंधित सभी समस्याएँ दूर होती हैं।

पुत्रदा एकादशी का महत्व (१० मुख्य बिंदु)

१.  नाम का अर्थ: 'पुत्रदा' का अर्थ है 'पुत्र देने वाली'। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतानहीन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति कराना है। 👪
२.  पाप मुक्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
३.  संतान प्राप्ति: शास्त्रों के अनुसार, जो दंपत्ति सच्चे मन से इस व्रत को करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा से योग्य और यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है। 👨�👩�👧�👦
४.  व्रत विधि: इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन करना चाहिए। एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
५.  पूजा सामग्री: पूजा में तुलसी, फूल, फल, धूप, दीप और पंचामृत का उपयोग किया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
६.  व्रत कथा: पुत्रदा एकादशी की कथा सुनने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है। कथा में बताया गया है कि कैसे भद्रावती नगर के राजा सुकेतुमान ने इस व्रत को करके संतान सुख प्राप्त किया था।
७.  नियम और पालन: इस दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। फल, दूध और सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। व्रत द्वादशी तिथि को पारण करके ही खोला जाता है।
८.  मानसिक शांति: यह व्रत केवल भौतिक सुख ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान करता है। 🙏
९.  पुण्य का संचय: इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराने से अत्यधिक पुण्य मिलता है।
१०. उद्धार: जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करता है, उसके पूर्वजों को भी सद्गति मिलती है। 🕉�

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-05.08.2025-मंगळवार.
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