🌹 जलवायु परिवर्तन: प्रकृति का क्रंदन 🌹🌍💔🌱🌳🤝✨

Started by Atul Kaviraje, August 06, 2025, 10:10:25 PM

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Atul Kaviraje

🌹 जलवायु परिवर्तन: प्रकृति का क्रंदन 🌹

चरण 1: मौसम का बदला मिजाज
मौसम ने बदला है अपना मिजाज,
कभी गर्मी, कभी बारिश हो रही है आज।
सर्दियों का भी अब, कहाँ रहा है वो राज,
प्रकृति का क्रंदन, सुन लो तुम आज।

अर्थ: मौसम ने अपना मिजाज बदल दिया है, कभी बहुत गर्मी होती है तो कभी बेमौसम बारिश। सर्दियों का वो प्रभाव भी अब नहीं रहा। आज हमें प्रकृति का यह दर्द सुनना चाहिए।

चरण 2: धरती का बढ़ता तापमान
धरती का बढ़ता है, हर रोज़ तापमान,
पिघल रहे हैं ग्लेशियर, बढ़ रहा है पानी का मान।
नदियाँ भी उफन रही हैं, ये कैसा तूफान,
जल प्रलय का अब, हो रहा है अनुमान।

अर्थ: धरती का तापमान हर दिन बढ़ रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और नदियों में पानी बढ़ रहा है। यह एक ऐसा तूफान है जिससे अब जल प्रलय का अनुमान लगाया जा रहा है।

चरण 3: खेती की वो मुश्किलें
किसान बेचारा, बैठा है निराश,
बेमौसम बारिश से, टूटी है हर आस।
फसलें हैं बर्बाद, और सूखी है प्यास,
कैसे चलेगा जीवन, कैसे होगा विकास।

अर्थ: किसान बेचारा बहुत निराश है। बेमौसम बारिश से उसकी सारी उम्मीदें टूट गई हैं। फसलें बर्बाद हो गई हैं और सिंचाई के लिए पानी की कमी है। ऐसे में जीवन और विकास कैसे संभव होगा।

चरण 4: शहरों का बढ़ता शोर
शहरों का बढ़ता है, हर रोज़ शोर,
वाहनों का धुआँ, भरता है हर ओर।
प्रदूषण की चादर, फैली है हर ओर,
साँस लेना भी अब, हो गया है मुश्किल।

अर्थ: शहरों में हर दिन शोर बढ़ रहा है और हर जगह वाहनों का धुआँ फैल रहा है। प्रदूषण की चादर चारों ओर फैल गई है, जिससे साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है।

चरण 5: जीवों का खोता घर
जंगल हो रहे हैं कम, और कट रहे हैं पेड़,
जीवों का खो रहा है, अब उनका बसेरा।
जैव विविधता भी, हो रही है कम,
प्रकृति के इस चक्र को, कैसे करें हम खत्म।

अर्थ: जंगल कम हो रहे हैं और पेड़ काटे जा रहे हैं। इससे जानवरों का घर छिन रहा है और जैव विविधता भी कम हो रही है। हम प्रकृति के इस चक्र को कैसे ठीक करें।

चरण 6: अब उठो तुम जागो
अब उठो तुम जागो, ये है वक्त की पुकार,
पर्यावरण को बचाओ, और करो तुम सुधार।
अपनी आदतें बदलो, ये है एक उपचार,
भविष्य के लिए, यही है हमारा आधार।

अर्थ: अब हमें जागना होगा, क्योंकि यह समय की पुकार है। हमें पर्यावरण को बचाना चाहिए और अपनी आदतों में सुधार करना चाहिए। भविष्य के लिए यही हमारा आधार है।

चरण 7: एक नई शुरुआत
जब हर कोई समझेगा, ये प्रकृति का राज,
तब ही तो होगी, हर ओर नई शुरुआत।
पेड़ लगाओ तुम सब, और बचाओ ये आज,
आने वाली पीढ़ी को, दो तुम एक नया ताज।

अर्थ: जब हर कोई प्रकृति का रहस्य समझेगा, तभी एक नई शुरुआत होगी। हमें पेड़ लगाकर आज को बचाना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को एक नया और हरा-भरा भविष्य देना चाहिए।

📝 सारांश
यह कविता जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों को दर्शाती है और हमें प्रकृति को बचाने के लिए अपनी आदतों में बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती है।

इमोजी सारांश: 🌍💔🌱🌳🤝✨

--अतुल परब
--दिनांक-06.08.2025-बुधवार.
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