🌹 स्वामी समर्थ: गृहस्थ जीवन का सार 🌹🙏🏡❤️✨👨‍👩‍👧‍👦

Started by Atul Kaviraje, August 07, 2025, 09:33:16 PM

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Atul Kaviraje

🌹 स्वामी समर्थ: गृहस्थ जीवन का सार 🌹

चरण 1: अक्कलकोट के राजा
अक्कलकोट के राजा, स्वामी समर्थ,
गृहस्थ जीवन का, दिया है सच्चा अर्थ।
घर-बार छोड़ो नहीं, दिया ये उपदेश,
परिवार में ही देखो, तुम ईश्वर का वेश।

अर्थ: अक्कलकोट के राजा स्वामी समर्थ ने गृहस्थ जीवन का सच्चा अर्थ समझाया। उन्होंने उपदेश दिया कि घर-बार छोड़ने की जरूरत नहीं है, बल्कि अपने परिवार में ही ईश्वर को देखना चाहिए।

चरण 2: कर्तव्यों का पालन
पति हो या पत्नी, निभाओ तुम हर धर्म,
अपने बच्चों का भी, करो पालन-पोषण।
यह ही तो है सच्चा, तुम्हारा एक कर्म,
इसमें ही छिपा है, जीवन का वो मर्म।

अर्थ: पति या पत्नी, हमें अपने सभी कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और बच्चों का भी पालन-पोषण करना चाहिए। यही हमारा सच्चा कर्म है और इसमें ही जीवन का गहरा रहस्य छिपा है।

चरण 3: काम में भी नाम
काम करते हुए भी, तुम नाम लो उनका,
हर एक काम में, देखो तुम उनको।
ऑफिस हो या घर, दिल में रखो ये ज्ञान,
हर कर्म ही बने, ईश्वर का वरदान।

अर्थ: हमें काम करते हुए भी उनका नाम लेना चाहिए और हर काम में उन्हें देखना चाहिए। चाहे हम ऑफिस में हों या घर में, हमें यह ज्ञान रखना चाहिए कि हर कर्म ईश्वर का वरदान बन सकता है।

चरण 4: श्रद्धा और सबूरी
श्रद्धा और सबूरी, ये हैं दो मंत्र,
हर मुश्किल में, यही तो हैं तंत्र।
डरो नहीं कभी तुम, मैं हूँ तुम्हारे साथ,
स्वामी समर्थ देते, यही तो है आश्वासन।

अर्थ: श्रद्धा और सबूरी (विश्वास और धैर्य) ये दो मंत्र हैं। हर मुश्किल में ये ही हमारा सहारा होते हैं। स्वामी समर्थ हमें यही आश्वासन देते हैं कि "डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

चरण 5: धन का सही उपयोग
धन कमाओ तुम, पर मोह को तुम छोड़ो,
जरूरतमंदों से, तुम रिश्ता जोड़ो।
पैसों को रखो तुम, सेवा के काम में,
सच्ची भक्ति है, यही तो है नाम।

अर्थ: हमें धन कमाना चाहिए, लेकिन हमें मोह छोड़ देना चाहिए। हमें जरूरतमंदों से रिश्ता जोड़ना चाहिए। पैसों का उपयोग सेवा के कामों में करना ही सच्ची भक्ति है।

चरण 6: परिवार ही है मंदिर
घर ही तो है मंदिर, और परिवार ही भगवान,
प्रेम और सद्भाव से, करो तुम उनका सम्मान।
झगड़ों को छोड़ो, और रखो तुम ये ध्यान,
जहाँ प्रेम है, वहाँ ही है सच्चा ज्ञान।

अर्थ: हमारा घर ही मंदिर है और परिवार ही भगवान है। हमें प्रेम और सद्भाव से उनका सम्मान करना चाहिए। झगड़ों को छोड़कर हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जहाँ प्रेम है, वहीं सच्चा ज्ञान है।

चरण 7: स्वामी का ये दर्शन
स्वामी का ये दर्शन, जीवन का है सार,
घर में ही रहो, पर मन में भक्ति अपार।
हर एक कर्तव्य को, मानो तुम एक पूजा,
यही तो है सच्ची, जीवन की वो खुशिया।

अर्थ: स्वामी का दर्शन ही जीवन का सार है। घर में रहते हुए भी मन में अपार भक्ति रखो। हर कर्तव्य को एक पूजा मानो, यही जीवन की सच्ची खुशी है।

📝 सारांश
यह कविता श्री स्वामी समर्थ के गृहस्थ जीवन में संतुलन के दर्शन को सरल और भक्तिपूर्ण शब्दों में बताती है। यह हमें परिवार, कर्तव्य और भक्ति के बीच एक सुंदर संतुलन स्थापित करने की प्रेरणा देती है।

इमोजी सारांश: 🙏🏡❤️✨👨�👩�👧�👦

--अतुल परब
--दिनांक-07.08.2025-गुरुवार.
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