गुरु कृपा और संत महिमा-🙏🌟👑🪔🍌🕉️😄

Started by Atul Kaviraje, August 07, 2025, 09:55:27 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

भक्तिपूर्ण हिंदी कविता-

शीर्षक: गुरु कृपा और संत महिमा-

(१)
आज गुरुवार का दिन है, गुरु बृहस्पति का मान,
ज्ञान, धन और सुख का, देते हैं वे वरदान।
पीले वस्त्र, पीला फूल, पूजा का है विधान,
केले की पूजा से बढ़ता है, घर में यश और सम्मान।
अर्थ: यह पद गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा का महत्व बताता है, जो ज्ञान और धन का वरदान देते हैं। पीले वस्त्र और फूलों से उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

(२)
लिंबा में रामभाऊ रामदासी, पुण्यतिथि का है दिन,
सेवा और भक्ति का संदेश, दिया जिसने हर पल।
संतों की कृपा से जीवन, होता है निर्मल,
उनकी शिक्षाओं से मिलती है, हमें जीवन की राह।
अर्थ: यह पद लिंबा-दिग्रस में रामभाऊ रामदासी महाराज की पुण्यतिथि को समर्पित है। उन्होंने जीवन भर सेवा और भक्ति का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं हमें सही रास्ता दिखाती हैं और जीवन को शुद्ध बनाती हैं।

(३)
मोशी में गूँजे आज, कानिफनाथ का जयकारा,
पालखी यात्रा में शामिल, भक्तों का है सहारा।
भक्ति की यह धार, बहती है निरंतर,
प्रभु की कृपा से भरता है, हर भक्त का घर।
अर्थ: यह पद गिलबिलेनगर, मोशी में कानिफनाथ महाराज की पालखी यात्रा का वर्णन करता है। पालखी यात्रा में भक्तों का उत्साह चरम पर होता है और यह भक्ति की निरंतर बहती धारा का प्रतीक है।

(४)
ज्ञान का दीपक जलाकर, जीवन को रोशन करते,
गुरु और संत हमारे, हर दुख को हरते।
उनकी कृपा से मन में, आती है शांति,
दूर होती है हर बाधा, मिटती है हर भ्रांति।
अर्थ: इस पद में, कवि गुरुओं और संतों को ज्ञान का दीपक मानता है जो हमारे जीवन को रोशन करते हैं और हर दुख को दूर करते हैं। उनकी कृपा से मन शांत होता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं।

(५)
एकता और भाईचारे का, यह पावन संदेश,
भक्ति की इस गंगा में, मिट जाए हर क्लेश।
मिलकर मनाएँ यह उत्सव, हर भेद को भूलाकर,
ईश्वर के नाम की महिमा, गाएँ मिलकर हर बार।
अर्थ: यह पद एकता और भाईचारे का संदेश देता है। भक्ति की इस गंगा में मिलकर उत्सव मनाने से सभी क्लेश दूर हो जाते हैं।

(६)
सेवा और परोपकार की, यही है सच्ची राह,
किसी भूखे को खिलाना, है सबसे बड़ी चाह।
संतों के इस आदर्श को, हम जीवन में अपनाएँ,
मानवता की सच्ची सेवा, हर पल करते जाएँ।
अर्थ: यह पद सेवा और परोपकार के महत्व पर जोर देता है। संतों के आदर्शों पर चलकर हमें जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, यही सच्ची मानवता है।

(७)
हे गुरु बृहस्पति, हे संतो, तुम्हें प्रणाम,
तुम्हारी कृपा से ही, मिलता है सुख-आराम।
आज के इस शुभ दिन पर, करें तुम्हें वंदन,
जीवन भर मिले हमें, तुम्हारा ही संरक्षण।
अर्थ: अंतिम पद में, कवि बृहस्पति देव और सभी संतों को प्रणाम करता है और उनसे सुख-शांति और संरक्षण का आशीर्वाद मांगता है।

प्रतीक, चित्र और इमोजी:

बृहस्पति देव 🌟

पालखी 👑

पूजा की थाली 🪔

केला 🍌

हाथ जोड़े हुए 🙏

मंदिर 🕉�

खुश चेहरे 😄

इमोजी सारांश: 🙏🌟👑🪔🍌🕉�😄

--अतुल परब
--दिनांक-07.08.2025-गुरुवार.
===========================================