देवी दुर्गा का 'बोध' और 'अधिकार' पर आधारित दर्शन-

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 11:38:31 AM

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Atul Kaviraje

भावपूर्ण भक्ति कविता-

देवी दुर्गा का 'बोध' और 'अधिकार' पर आधारित दर्शन-

1. बोध की ज्योति ✨🕯�
अंधकार में जब डूबा जग,
देवों ने खोया जब अपना बल।
बोध रूप में तू प्रकट हुई,
जगाया मन में नया संबल।
(हे देवी! जब दुनिया अज्ञानता में डूब गई और देवताओं ने अपनी शक्ति खो दी, तब आप बोध के रूप में प्रकट हुईं और मन में नई शक्ति जगाई।)

2. शस्त्रों का संदेश 🗡�🛡�
हाथों में तेरे ज्ञान की तलवार,
अज्ञान का करती तू संहार।
त्रिशूल से तीन गुण पर अधिकार,
चक्र से कर्म का करती संचार।
(आपके हाथों में ज्ञान की तलवार है जो अज्ञान को काटती है। आप त्रिशूल से तीन गुणों पर अधिकार रखती हैं और चक्र से कर्म के सिद्धांत को चलाती हैं।)

3. सिंह की दहाड़ 🦁💪
अहंकार रूपी सिंह पर तू सवार,
दिखाती है सबको शक्ति अपार।
नियंत्रण का बोध है तेरा अवतार,
सच्चे बल का देती अधिकार।
(आप अहंकार रूपी सिंह पर सवार होकर अपनी अपार शक्ति दिखाती हैं। आपका यह अवतार हमें नियंत्रण का बोध कराता है और सच्चे बल का अधिकार देता है।)

4. महिषासुर मर्दिनी 👹⚔️
महिषासुर का जब किया तूने नाश,
अहंकार का हुआ तब सर्वनाश।
न्याय का अधिकार किया तूने प्रकाशित,
सत्य की शक्ति से मन हुआ उत्साहित।
(जब आपने महिषासुर का वध किया, तब अहंकार का नाश हुआ। आपने न्याय के अधिकार को प्रकाशित किया, जिससे मन सत्य की शक्ति से उत्साहित हो गया।)

5. स्त्री शक्ति 👩�👧�👦💖
तू जननी, तू ही महाकाली,
शक्ति, प्रेम और ममता वाली।
स्त्री शक्ति का तू ही है आधार,
अधिकार और सम्मान का बोध कराती हर बार।
(आप जननी भी हैं और महाकाली भी। आप शक्ति, प्रेम और ममता का संगम हैं। आप स्त्री शक्ति का आधार हैं और हमें हर बार अधिकार व सम्मान का बोध कराती हैं।)

6. नौ रूपों की यात्रा 🙏🧘�♀️
नवरात्रि में नौ रूप तेरे,
बोध की यात्रा के नौ चरण हैं मेरे।
शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक,
पहुँचाती तू मोक्ष के पथ तक।
(आपकी नवरात्रि के नौ रूप, मेरे बोध की यात्रा के नौ चरण हैं। आप शैलपुत्री से सिद्धिदात्री बनकर मुझे मोक्ष के मार्ग तक ले जाती हैं।)

7. दुर्गतिनाशिनी 🌺🌈
हे दुर्गतिनाशिनी, हे जगदम्बे माँ,
जीवन के हर दुख को मिटाती तू।
बोध से शक्ति, अधिकार से मुक्ति,
देती तू हर प्राणी को नई युक्ति।
(हे दुर्गतिनाशिनी, हे जगदम्बा माँ, आप जीवन के हर दुख को मिटाती हैं। आप बोध से शक्ति और अधिकार से मुक्ति देती हैं, जिससे हर प्राणी को नई राह मिलती है।)

--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
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