देवी काली की 'आध्यात्मिक साधना' एवं 'विजय साधना'-

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 11:39:08 AM

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Atul Kaviraje

भावपूर्ण भक्ति कविता-

देवी काली की 'आध्यात्मिक साधना' एवं 'विजय साधना'-

1. काल की शक्ति ⏳🌌
काल चक्र तू, तू ही महाकाल,
हर पल, हर क्षण का तू ही है ताल।
अध्यात्म की साधना का तू आधार,
जीवन के सच का कराती एहसास।
(हे काली माँ, तुम ही समय हो, तुम ही महाकाल। तुम ही आध्यात्मिक साधना का आधार हो और जीवन की सच्चाई का एहसास कराती हो।)

2. भय पर विजय 😱➡️😊
तेरा स्वरूप है भयंकर, भयंकर।
पर मन को देता है धीर-गंभीर।
भय से नहीं, साधना से जीतूँ,
यह विजय साधना का मंत्र है तेरा।
(आपका स्वरूप भयंकर है, लेकिन वह मन को धैर्य और गंभीरता देता है। यह आपकी विजय साधना का मंत्र है कि मैं भय से नहीं, साधना से जीतूंगा।)

3. मुंडमाला का संदेश 💀⚔️
मुंडों की माला अहंकार का त्याग,
ज्ञान की तलवार से होता है अनुराग।
विजय साधना का यह है सार,
अपने मन के मुंडों को करना संहार।
(मुंडों की माला अहंकार के त्याग का प्रतीक है। ज्ञान की तलवार से अनुराग बढ़ता है। विजय साधना का सार है अपने मन के अहंकार का नाश करना।)

4. रक्तबीज का वध 👹🩸🚫
रक्तबीज का जब किया तूने अंत,
बुराई का हुआ तभी परित्याग।
मूल से नाश किया हर एक बूंद का,
विजय साधना का यह ही है नियम।
(जब आपने रक्तबीज का अंत किया, तभी बुराई का पूरी तरह से नाश हुआ। उसकी हर एक बूंद का आपने मूल से नाश किया, यही विजय साधना का नियम है।)

5. शमशान की रानी 👻👑
शमशान की रानी, तू वैराग्य की देवी,
मोह-माया से मुक्ति की तू ही तो देवी।
आध्यात्मिक साधना का यह ही तो मार्ग,
हर पल, हर क्षण का तू ही है सार।
(आप शमशान की रानी हैं, वैराग्य की देवी हैं। आप ही मोह-माया से मुक्ति दिलाती हैं। यही आध्यात्मिक साधना का मार्ग है, और आप ही हर पल का सार हैं।)

6. शिव-शक्ति का मिलन 🔱🤝
शिव पर खड़ी तू, शक्ति का प्रतीक,
चेतना और शक्ति का मिलन है यह प्रतीक।
विजय साधना से चेतना का बोध,
आध्यात्मिक शक्ति का होता है क्रोध।
(आप शिव पर खड़ी होकर शक्ति का प्रतीक हैं। यह चेतना और शक्ति का मिलन है। विजय साधना से चेतना का बोध होता है और आध्यात्मिक शक्ति का क्रोध होता है।)

7. मोक्ष की ओर 🌌🕉�
अंत में मोक्ष की ओर तू बढ़ाती है,
जन्म-मरण के बंधन को तू मिटाती है।
काली माँ, तेरी साधना है अनुपम,
जीवन की हर विजय का तू ही है हमसफ़र।
(अंत में आप मुझे मोक्ष की ओर बढ़ाती हैं और जन्म-मरण के बंधन को मिटाती हैं। हे काली माँ, आपकी साधना अनुपम है, और आप ही जीवन की हर विजय की हमसफ़र हैं।)
 
--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
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