संतोषी माता और 'अच्छे धार्मिक आचरण' का महत्व-1-

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 11:53:30 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

(संतोषी माता और 'अच्छे धार्मिक आचरण' का महत्व)
(Santoshi Mata and the Importance of 'Good Religious Conduct')
Importance of Santoshi Mata and 'good religious behaviour'-

संतोषी माता और 'अच्छे धार्मिक आचरण' का महत्व
संतोषी माता, जिन्हें संतोष, धैर्य और प्रेम की देवी के रूप में पूजा जाता है, केवल एक देवी नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन को दिशा देने वाली एक महत्वपूर्ण दार्शनिक अवधारणा का प्रतीक हैं। उनका दर्शन 'अच्छे धार्मिक आचरण' पर आधारित है, जो हमें सिखाता है कि जीवन में सच्चा सुख और शांति केवल संतोष और सही व्यवहार से ही प्राप्त हो सकती है। उनका व्रत और उनकी पूजा-अर्चना हमें यह बोध कराती है कि बाहरी दिखावे से ज्यादा हमारे आंतरिक आचरण और व्यवहार का महत्व है।

1. संतोष का महत्व: परम सुख की कुंजी 😊🔑
संतोषी माता के नाम में ही संतोष निहित है। उनका व्रत हमें सिखाता है कि जो कुछ हमारे पास है, उसी में संतुष्ट रहना ही परम सुख की कुंजी है। यह हमें अनावश्यक इच्छाओं और लालसाओं से मुक्त करता है, जो दुःख का मूल कारण हैं। 'अच्छे धार्मिक आचरण' का पहला सिद्धांत ही संतोष है, क्योंकि संतोष से ही मन शांत और प्रसन्न होता है।

2. विनम्रता और नम्रता 🙏💖
संतोषी माता की पूजा में विनम्रता और नम्रता का विशेष महत्व है। उनकी साधना हमें सिखाती है कि अहंकार और घमंड को त्यागकर ही हम दूसरों के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रख सकते हैं। विनम्रता से ही हमारे संबंधों में मिठास आती है और हम एक शांत और सौम्य जीवन जी पाते हैं। यह 'अच्छे धार्मिक आचरण' का एक महत्वपूर्ण अंग है।

3. सत्य बोलना और ईमानदारी 🗣�✨
संतोषी माता का व्रत करने वाले भक्तों को सत्य और ईमानदारी का पालन करने का निर्देश दिया जाता है। झूठ, छल-कपट और बेईमानी से दूर रहना ही सच्चा धार्मिक आचरण है। जब हम सत्य का मार्ग अपनाते हैं, तो हमारा मन शुद्ध होता है और हमें आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। यह हमें जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता देता है।

4. क्रोध और ईर्ष्या का त्याग 😠🚫➡️🥰
क्रोध और ईर्ष्या हमारे मन की शांति को भंग करते हैं। संतोषी माता की पूजा हमें इन नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने की शक्ति देती है। उनका व्रत करने से मन शांत होता है और हम दूसरों की सफलता से ईर्ष्या करने के बजाय उनके प्रति सद्भाव का भाव रखते हैं। यह 'अच्छे धार्मिक आचरण' हमें एक सकारात्मक और दयालु व्यक्ति बनाता है।

5. शुद्ध शाकाहार और सात्विक भोजन 🍽�🥕
संतोषी माता के व्रत में खटाई (खट्टे पदार्थ) का सेवन वर्जित है, और शुद्ध शाकाहार का पालन करना अनिवार्य है। यह नियम हमें सिखाता है कि हमारे शरीर और मन की शुद्धि के लिए सात्विक भोजन आवश्यक है। सात्विक भोजन से मन शांत रहता है और आध्यात्मिक साधना में मन लगता है। यह 'अच्छे धार्मिक आचरण' का एक महत्वपूर्ण शारीरिक पहलू है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
===========================================