८ अगस्त २०२५: अपनी माँ के आभूषण पहनें दिन-(कविता)-

Started by Atul Kaviraje, August 09, 2025, 01:42:01 PM

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Atul Kaviraje

८ अगस्त २०२५: अपनी माँ के आभूषण पहनें दिन-(कविता)-

१. प्रथम चरण

आज है ८ अगस्त, मन में प्यार की डोर,
माँ के गहने पहनूँ, चले यादों का दौर,
कानों में झुमके, हाथों में कंगन,
हर गहने में है माँ की यादों का बंधन।

अर्थ: आज ८ अगस्त है और मन में अपनी माँ के लिए प्यार है। मैं माँ के गहने पहनकर पुरानी यादों को ताज़ा कर रही हूँ। कानों के झुमके और हाथों के कंगन में माँ की यादों का अटूट बंधन है।

२. द्वितीय चरण

वो हार, जो माँ की शादी का है निशानी,
आज पहना है मैंने, बनके उनकी रानी,
हर एक दाने में है एक नई कहानी,
माँ का आशीर्वाद है, ये है मेरी जिंदगानी।

अर्थ: यह वह हार है जो माँ की शादी की निशानी है। आज मैं उसे पहनकर उनकी रानी बन गई हूँ। हार के हर एक दाने में एक नई कहानी छिपी है, और यह मेरे लिए माँ के आशीर्वाद जैसा है।

३. तृतीय चरण

छोटी सी अंगूठी, माँ की उंगली का प्यार,
आज मेरी उंगली में, हो गई है सरकार,
हर काम में मेरा, माँ का हो गया सहारा,
ये अंगूठी है माँ का एक प्यारा सा किनारा।

अर्थ: माँ की उंगली में जो छोटी अंगूठी थी, आज वह मेरी उंगली में है। यह अंगूठी मुझे हर काम में माँ का सहारा और प्यार महसूस कराती है, जैसे माँ हमेशा मेरे साथ हैं।

४. चतुर्थ चरण

वो पुरानी चूड़ियाँ, उनकी खनक की आवाज़,
आज मेरे हाथों में, हर पल का है राज,
खुशी और गम में, ये रहती हैं साथ,
माँ का प्यार है, जो देता है साथ।

अर्थ: माँ की पुरानी चूड़ियाँ, जिनकी खनक की आवाज़ मुझे याद है, आज मेरे हाथों में हैं। ये चूड़ियाँ मुझे सुख-दुःख में माँ के प्यार का एहसास कराती हैं।

५. पंचम चरण

हर आभूषण में माँ की मेहनत और त्याग,
मेरे लिए उन्होंने दिया सब कुछ त्याग,
आज पहनकर उन्हें, मैं करूँ ये ऐलान,
माँ से बढ़कर नहीं कोई इस जहान में।

अर्थ: माँ के हर आभूषण में उनकी मेहनत और त्याग छिपा है। उन्होंने मेरे लिए अपना सब कुछ दिया। आज मैं उनके गहने पहनकर यह कहना चाहती हूँ कि इस दुनिया में माँ से बढ़कर कोई नहीं है।

६. षष्ठम चरण

यह दिन है एक मीठा सा एहसास,
माँ और बेटी का रिश्ता है खास,
ना गहने का है ये सिर्फ एक दिन,
ये तो है माँ-बेटी का प्यार और यकीन।

अर्थ: यह दिन एक मीठा एहसास देता है, जो माँ और बेटी के खास रिश्ते को दर्शाता है। यह केवल गहने पहनने का दिन नहीं, बल्कि माँ-बेटी के प्यार और विश्वास का दिन है।

७. सप्तम चरण

माँ के गहने पहनकर मैं इतराऊँ,
उनकी कहानियों को सबको सुनाऊँ,
यह दिन मुबारक हो, खुशियाँ मनाऊँ,
माँ, तुम हो मेरी जिंदगी, यही गाऊँ।

अर्थ: मैं माँ के गहने पहनकर गर्व महसूस करूँगी और उनकी कहानियाँ सबको सुनाऊँगी। मैं इस दिन की बधाई देती हूँ और कहती हूँ कि माँ, तुम ही मेरी जिंदगी हो।

--अतुल परब
--दिनांक-08.08.2025-शुक्रवार.
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