श्री कालभैरव यात्रा-नांदणी-तालुका-शिरोल, जिला-कोल्हापुर-📍🏞️🔱🗓️📜🚜🐂🌸🏺💪💃

Started by Atul Kaviraje, August 11, 2025, 10:35:12 AM

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Atul Kaviraje

श्री कालभैरव यात्रा-नांदणी-तालुका-शिरोल, जिला-कोल्हापुर-

नमस्ते! आज 10 अगस्त, रविवार को, हम महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित नांदणी गांव में मनाए जाने वाले श्री कालभैरव यात्रा उत्सव पर एक विस्तृत लेख प्रस्तुत कर रहे हैं। 🙏 यह यात्रा इस क्षेत्र के लोगों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जो उनकी धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाती है। 🥳

श्री कालभैरव यात्रा, नांदणी: एक विस्तृत विवेचन

श्री कालभैरव को भगवान शिव का एक क्रूर और शक्तिशाली रूप माना जाता है। वे क्षेत्रपाल (क्षेत्र के रक्षक) के रूप में पूजे जाते हैं और भक्तों को भय और बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में स्थित नांदणी गांव में, श्री कालभैरव की यात्रा (उत्सव) बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह उत्सव केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।

1. नांदणी गांव का परिचय 📍
नांदणी गांव कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में स्थित है, जो पंचगंगा नदी और कृष्णा नदी के संगम के पास बसा हुआ है। यह गांव अपनी हरियाली, ऐतिहासिक मंदिरों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। श्री कालभैरव मंदिर इस गांव का मुख्य आकर्षण है। 🏞�

2. कालभैरव देव का महत्त्व 🔱
भगवान कालभैरव को न्याय और दंड के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे भक्तों को हर प्रकार के डर, बुरी शक्तियों और बाधाओं से बचाते हैं। उनका पूजन करने से व्यक्ति को आत्मविश्वास और साहस मिलता है। वे समय के भी स्वामी माने जाते हैं।

3. यात्रा का समय और अवधि 🗓�
नांदणी में श्री कालभैरव की यात्रा आमतौर पर वार्षिक रूप से आयोजित होती है। यह उत्सव एक या दो सप्ताह तक चलता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इस दौरान पूरे गांव में एक उत्सव का माहौल होता है। 🥳

4. यात्रा की प्रमुख रस्में और अनुष्ठान 📜
यात्रा का आरंभ ध्वजारोहण से होता है, जिसके बाद मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान, मुख्य देवता की पालकी यात्रा निकाली जाती है, जिसे पूरे गांव में घुमाया जाता है। भक्तगण पारंपरिक लोकगीतों और भजनों के साथ पालकी का अनुसरण करते हैं। 🚶�♀️🚶�♂️

5. "गाडा" उत्सव का आकर्षण 🚜
इस यात्रा का एक विशेष आकर्षण "गाडा" (बैलगाड़ी) उत्सव है। रंग-बिरंगे फूलों और कपड़ों से सजी हुई बैलगाड़ियों की एक विशाल रैली निकाली जाती है, जिसमें सैकड़ों बैलगाड़ियाँ भाग लेती हैं। यह महाराष्ट्र की ग्रामीण संस्कृति का एक शानदार उदाहरण है। 🐂🌸

6. दहीहंडी का आयोजन 🏺
यात्रा के दौरान, दहीहंडी का भी आयोजन किया जाता है, जो भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण कराता है। युवा लड़के और लड़कियाँ मानव पिरामिड बनाकर दही से भरी हांडी को तोड़ने का प्रयास करते हैं। यह एक ऊर्जा और उल्लास से भरा कार्यक्रम होता है। 💪

7. सांस्कृतिक कार्यक्रम और लोकनृत्य 💃🕺
यात्रा के दौरान, कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। पारंपरिक लोकनृत्य, जैसे लेझिम, गोंधळ और कोल्हापुरी लोकनृत्य, भक्तों का मनोरंजन करते हैं। ये कार्यक्रम स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। 🎶

8. भक्तों की श्रद्धा और मन्नतें 🙏
हजारों की संख्या में भक्त नांदणी की यात्रा में भाग लेने आते हैं। कई भक्त अपनी मन्नतें पूरी होने पर देवता को आभार व्यक्त करने के लिए पैदल आते हैं या कठोर व्रत रखते हैं। लोग श्रीफल (नारियल) और फूल चढ़ाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। 🥥

9. यात्रा का सामाजिक महत्त्व 🤝
यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह गांव के लोगों को एक साथ लाती है। यह उत्सव सामाजिक एकता, भाईचारा और सहयोग को मजबूत करता है। विभिन्न समुदायों के लोग मिलकर इस यात्रा का सफल आयोजन करते हैं। 🧑�🤝�🧑

10. भोजन और प्रसाद 🍲
यात्रा के दौरान, भक्तों के लिए विशेष रूप से महाप्रसाद (भंडारा) का आयोजन किया जाता है। दाल-चावल, भाकरी और कई पारंपरिक मिठाइयां प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं। लोग पंक्ति में बैठकर एक साथ भोजन करते हैं, जो समानता का संदेश देता है। 😋

Emoji सारांश: 📍🏞�🔱🗓�📜🚜🐂🌸🏺💪💃🕺🎶🙏🥥🤝🧑�🤝�🧑🍲😋

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-10.08.2025-रविवार.
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