वनों की कटाई पर कविता-🌲🌍🔥

Started by Atul Kaviraje, August 12, 2025, 03:08:00 PM

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Atul Kaviraje

वनों की कटाई और उसका पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव-

वनों की कटाई पर कविता-

१. हरे-भरे जंगल थे प्यारे,
प्रकृति के थे ये दुलारे।
लेकिन लालच ने उनको काटा,
धरती का हरियाला आँचल बाँटा।

अर्थ: हमारे जंगल हरे-भरे और प्यारे थे, वे प्रकृति के बहुत प्रिय थे। लेकिन मानव के लालच ने उन्हें काट दिया, जिससे धरती का हरा-भरा आँचल बँट गया है।

२. पेड़-पौधे थे धरती की शान,
शुद्ध हवा थी उनकी पहचान।
अब धुआँ और धूल है छाई,
जीवन पर है ये आफ़त आई।

अर्थ: पेड़-पौधे धरती की शान थे और शुद्ध हवा उनकी पहचान थी। अब चारों ओर धुआँ और धूल छाई है, जिससे हमारे जीवन पर एक बड़ी मुसीबत आ गई है।

३. पक्षियों के थे ये घोंसले,
जानवरों के थे ये आशियाने।
सबके घर उजड़ गए,
नन्हे परिंदे उड़ गए।

अर्थ: जंगल पक्षियों के घोंसले और जानवरों के घर थे। लेकिन अब उनके घर उजड़ गए हैं और छोटे-छोटे पक्षी उड़ गए हैं।

४. बारिश होती थी समय पर,
मौसम था सुंदर हर पहर।
अब सूखे की है आहट,
गर्मी से है हर ओर घबराहट।

अर्थ: पहले समय पर बारिश होती थी और मौसम हर समय सुंदर होता था। अब सूखे का डर है और गर्मी से हर जगह घबराहट है।

५. मिट्टी की थी मजबूत पकड़,
पानी का था अच्छा प्रबंधन।
अब बाढ़ का है खतरा बड़ा,
भूस्खलन का भी डर है खड़ा।

अर्थ: पेड़ों की जड़ों से मिट्टी की पकड़ मजबूत थी और पानी का प्रबंधन अच्छा था। अब बाढ़ का खतरा बढ़ गया है और भूस्खलन का डर भी है।

६. 🌲🌍🔥
चलो मिलकर पेड़ लगाएं,
इस धरती को फिर से बचाएं।
एक पेड़, एक जीवन है,
ये ही हमारा कर्तव्य है।

अर्थ: आओ मिलकर पेड़ लगाएं और इस धरती को फिर से बचाएं। एक पेड़ एक जीवन के समान है और इसे बचाना हमारा कर्तव्य है।

७. वनों को हम बचाएंगे,
अपना भविष्य उज्ज्वल बनाएंगे।
प्रकृति की करेंगे सेवा,
यही है हमारी सच्ची देवा।

अर्थ: हम वनों को बचाएंगे और अपना भविष्य उज्ज्वल बनाएंगे। प्रकृति की सेवा करना ही हमारा सच्चा कर्तव्य है।

--अतुल परब
--दिनांक-12.08.2025-मंगळवार.
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