बेरोज़गारीची समस्या- कविता: "बेरोज़गारी की कहानी"-🏙️➡️🚶➡️😢➡️📚📜❌💼➡️💡🧑‍💻

Started by Atul Kaviraje, August 12, 2025, 03:13:25 PM

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Atul Kaviraje

बेरोज़गारीची समस्या-

कविता: "बेरोज़गारी की कहानी"-

चरण 1:
शहरों की ओर बढ़ते क़दम,
गाँवों में बंजर हुए श्रम।
नौकरी की तलाश में भटकते,
जीवन की राहों में अटकते।
अर्थ: लोग रोज़गार की तलाश में गाँव छोड़कर शहरों की तरफ़ जा रहे हैं, जबकि गाँव में काम की कमी है। वे नौकरी ढूंढते-ढूंढते जीवन की राह में फँस गए हैं।

चरण 2:
डिग्री की भरमार है पास में,
सपनों की उड़ान है आकाश में।
पर काम की कमी का है रोना,
पड़ा है हर युवा को सोना।
अर्थ: युवाओं के पास उच्च शिक्षा की डिग्रियाँ हैं और बड़े सपने हैं, लेकिन काम न मिलने के कारण उन्हें निराशा और ख़ालीपन का सामना करना पड़ रहा है।

चरण 3:
कृषि की हालत भी है खस्ता,
उद्योग भी ढीले हैं, सस्ता।
बाज़ार में मंदी की है लहर,
बढ़ा रही है जीवन का कहर।
अर्थ: कृषि और उद्योगों की स्थिति भी अच्छी नहीं है, जिससे रोज़गार कम हो रहे हैं। बाज़ार में मंदी के कारण यह समस्या और भी गंभीर हो गई है।

चरण 4:
घर की उम्मीदों का है बोझ,
बेबसी में हर दिन है खोज।
परिवार का पेट है भरना,
बेरोज़गारी से है डरना।
अर्थ: युवाओं पर अपने परिवार की उम्मीदों का बोझ है। हर दिन वे बेबसी में कोई काम ढूंढने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने परिवार का पेट भरना है।

चरण 5:
कौशल विकास की अलख जगाओ,
स्वरोज़गार को हम अपनाओ।
नई तकनीक को अपनाएँ हम,
अपनी पहचान खुद बनाएँ हम।
अर्थ: हमें कौशल विकास पर ध्यान देना चाहिए और सिर्फ़ नौकरी ढूंढने के बजाय अपना काम शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए।

चरण 6:
सरकार भी करे कुछ प्रयास,
दे युवाओं को नई आस।
उद्योगों को दे प्रोत्साहन,
बने देश का यह वरदान।
अर्थ: सरकार को भी रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, जिससे युवा निराश न हों।

चरण 7:
चलो मिलकर यह प्रण लें हम,
बेरोज़गारी को करें अब कम।
शिक्षा को बनाएँ रोज़गारोन्मुखी,
बने देश का हर युवा सुखी।
अर्थ: हम सबको मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि शिक्षा को ऐसा बनाएँ कि वह रोज़गार दिलाने वाली हो, ताकि हमारे देश का हर युवा ख़ुश और सफल हो सके।

[सारांश] : 🏙�➡️🚶➡️😢➡️📚📜❌💼➡️💡🧑�💻➡️💪🇮🇳

--अतुल परब
--दिनांक-12.08.2025-मंगळवार.
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