हिंदी कविता: ब्रह्मांड का रहस्य-🌌🔭💫🕰️🪐🔮💯

Started by Atul Kaviraje, August 13, 2025, 05:18:17 PM

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Atul Kaviraje

ब्रह्मांड का विस्तार: "मुझे यकीन नहीं होता!"

हिंदी कविता: ब्रह्मांड का रहस्य

चरण 1:
अनंत गगन में फैला तुम,
निरंतर बढ़ता जाता तुम।
ना कोई आदि, ना कोई अंत,
कैसा यह विस्तार, अद्भुत, अनंत।
अर्थ: यह कविता ब्रह्मांड की विशालता और उसके लगातार विस्तार को दर्शाती है। यह उसके असीम होने पर सवाल उठाती है।
🖼�: 🌌

चरण 2:
दूर-दूर की गैलेक्सी,
भागती जाती हैं दूर-दूर।
हबल ने जब देखा तुम्हें,
रह गया वह भी हैरान।
अर्थ: यह हबल की खोज और रेडशिफ्ट सिद्धांत का जिक्र करता है, जिससे पता चला कि आकाशगंगाएं हमसे दूर जा रही हैं।
🖼�: 🔭🌠

चरण 3:
एक शक्ति है जो खींचती,
नहीं, नहीं, धक्का मारती।
डार्क एनर्जी कहते उसे,
ब्रह्मांड को फैलाती हर दिशा में।
अर्थ: यह ब्रह्मांड के विस्तार के पीछे की रहस्यमय शक्ति, डार्क एनर्जी, का वर्णन करता है।
🖼�: 💫

चरण 4:
समय की रफ्तार भी बढ़ती,
जगह की दूरी भी बढ़ती।
हर पल एक नया सफर,
कैसे समझें यह पूरा सफर?
अर्थ: यह बताता है कि समय और स्थान दोनों ही ब्रह्मांड के विस्तार के साथ-साथ बदल रहे हैं, जिससे यह समझना मुश्किल हो जाता है।
🖼�: 🕰�

चरण 5:
सूर्य, तारे, ग्रह सभी,
अपनी-अपनी जगह पर हैं।
पर फिर भी क्यों सब दूर जाते,
यह रहस्य है बहुत गहरा।
अर्थ: यह उस विरोधाभास को दिखाता है कि ब्रह्मांड में खगोलीय पिंड अपनी जगह पर स्थिर रहते हुए भी एक दूसरे से दूर जा रहे हैं।
🖼�: ☀️🪐

चरण 6:
क्या होगा अंत तुम्हारा?
क्या तुम बनोगे एक बड़ा शून्य?
या फिर सिकुड़ जाओगे वापस?
रहस्य है, भविष्य है अभी भी अज्ञात।
अर्थ: यह ब्रह्मांड के संभावित भविष्य के बारे में सवाल उठाता है, जैसे कि बिग फ्रीज या बिग रिप।
🖼�: 🔮

चरण 7:
हे ब्रह्मांड, तुम हो अद्भुत,
तुम्हारा रहस्य है सबसे अद्भुत।
तुम हो जीवन का आधार,
तुम पर है ज्ञान का विस्तार।
अर्थ: यह कविता का निष्कर्ष है, जो ब्रह्मांड की अद्भुत प्रकृति और ज्ञान के लिए उसके महत्व को उजागर करता है।
🖼�: 💯✨

इमोजी सारांश: 🌌🔭💫🕰�🪐🔮💯

--अतुल परब
--दिनांक-13.08.2025-बुधवार.
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