पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर पुण्यतिथी- तारखेप्रमाणे-कविता-

Started by Atul Kaviraje, August 14, 2025, 11:36:35 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर पुण्यतिथी- तारखेप्रमाणे-

पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर: कविता-

चरण १
अहिल्याबाई, नाम तुम्हारा, श्रद्धा से हम गाते हैं,
मातुश्री हो तुम हमारी, हृदय में तुम्हें बिठाते हैं।
तुम्हारे न्याय, धर्म और त्याग को, हम सब शीश झुकाते हैं,
तुम्हारा जीवन ही ज्योति है, जिससे हम राह पाते हैं।
(अर्थ: हे अहिल्याबाई, हम श्रद्धा से आपका नाम लेते हैं। आप हमारी माँ के समान हैं, जिन्हें हम अपने हृदय में बसाते हैं। हम आपके न्याय, धर्म और त्याग के आगे शीश झुकाते हैं। आपका जीवन हमारे लिए एक प्रकाश है, जो हमें सही मार्ग दिखाता है।)

चरण २
काशी-विश्वनाथ का मंदिर, तुमने फिर से बनवाया,
सोमनाथ का गौरव तुमने, फिर से जग में फैलाया।
हर तीर्थ पर धर्मशालाएँ, घाट और कुएँ बनवाए,
दूर-दूर से भक्त जन आए, जल से प्यास बुझाए।
(अर्थ: आपने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और सोमनाथ के गौरव को पुनः स्थापित किया। आपने हर तीर्थस्थल पर धर्मशालाएं और घाट बनवाए, जिससे दूर-दूर से आने वाले भक्तों को सुविधा मिले और वे अपनी प्यास बुझा सकें।)

चरण ३
न्याय की देवी तुम बनी, दरबार में थी तुम बैठती,
हर दीन-दुखी की पीड़ा, तुम धैर्य से थी सुनती।
अन्याय का नाश किया, न्याय का परचम फहराया,
प्रजा के हर आँसू को, तुमने अपने आँचल से पोंछाया।
(अर्थ: आप न्याय की देवी बनीं और दरबार में बैठकर हर गरीब और दुखी व्यक्ति की पीड़ा को सुनती थीं। आपने अन्याय का अंत किया और न्याय की स्थापना की। आपने अपनी प्रजा के हर आँसू को अपने आँचल से पोंछा।)

चरण ४
वीरता की तुम प्रतीक, रण में तुमने तलवार उठाई,
शासन की बागडोर संभालकर, तुमने सबको राह दिखाई।
महिला शक्ति का उदाहरण, तुमने जग में स्थापित किया,
हर नारी को तुमने, मान और सम्मान से भर दिया।
(अर्थ: आप वीरता का प्रतीक थीं, जिसने रणभूमि में तलवार उठाई। आपने शासन की बागडोर संभालकर सबको सही मार्ग दिखाया। आपने महिला शक्ति का उदाहरण पेश किया और हर महिला को सम्मान और गौरव से भर दिया।)

चरण ५
सरलता थी तुम्हारे जीवन की, त्याग तुम्हारा महान था,
राजसी वैभव छोड़ तुमने, प्रजा का दुःख अपनाया था।
सादे वस्त्र पहनकर तुमने, जीवन सादा ही बिताया,
जन-कल्याण की राह पर चलकर, तुमने अपना फर्ज निभाया।
(अर्थ: आपके जीवन में सरलता और त्याग का भाव था। आपने राजसी सुख-सुविधाओं को छोड़कर अपनी प्रजा के दुःख को अपनाया। सादे वस्त्र पहनकर आपने सादा जीवन व्यतीत किया और जनता के कल्याण के मार्ग पर चलकर अपना कर्तव्य पूरा किया।)

चरण ६
आज पुण्यतिथि पर तुम्हारी, हम सब तुम्हें याद करते हैं,
आपके आदर्शों पर चलने का, संकल्प हम करते हैं।
आपका नाम अमर रहेगा, जब तक धरती और आकाश है,
आपके पुण्य कार्यों की गाथा, हर पल हमारे पास है।
(अर्थ: आज आपकी पुण्यतिथि पर हम सब आपको याद करते हैं और आपके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं। आपका नाम तब तक अमर रहेगा जब तक यह धरती और आकाश है, और आपके महान कार्यों की कहानी हमेशा हमारे साथ रहेगी।)

चरण ७
अहिल्याबाई, एक नाम नहीं, एक युग की पहचान हो,
धर्म, कर्म, न्याय और त्याग की, तुम सच्ची पहचान हो।
तुम्हारी कीर्ति की रोशनी, युगों-युगों तक फैलेगी,
हर दिल में तुम जिंदा रहोगी, जब तक साँसें चलेगी।
(अर्थ: अहिल्याबाई सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक युग की पहचान हैं। आप धर्म, कर्म, न्याय और त्याग की सच्ची प्रतीक हैं। आपकी कीर्ति की रोशनी युगों-युगों तक फैलेगी और आप हर दिल में तब तक जीवित रहेंगी, जब तक साँसें चलती रहेंगी।)

--अतुल परब
--दिनांक-13.08.2025-बुधवार.
===========================================