गुलाब बाबा यात्रा-काटेल, गोकुळाष्टमी महायात्रा-नार्वे-गोवा-✨💖🌹🎶🎉💃🥥🙏

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 12:03:01 PM

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Atul Kaviraje

१-जन्माष्टमी और गुलाब बाबा यात्रा-काटेल, जिल्हा-बुलढाणा-

2-गोकुळाष्टमी महायात्रा-सप्तकोटीश्वर मंदिर-नार्वे-गोवा-

जन्माष्टमी की सुंदर तुकबंदी वाली हिंदी कविता-

१. पहला चरण:
कान्हा का जन्म हुआ आज,
गूँजे प्रेम की मधुर आवाज़।
माखनचोर, बंसी की धुन,
सुनकर झूमे हर मन का साज।
(अर्थ: आज भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है, चारों ओर प्रेम की मधुर ध्वनि गूँज रही है। माखनचोर कृष्ण की बंसी की धुन सुनकर हर किसी का मन आनंद से झूम उठता है।)
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२. दूसरा चरण:
गोकुल में सब खुशियों से झूमें,
राधा संग गोपियाँ भी घूमें।
नटखट कान्हा की लीलाएं,
देख हर कोई उनको चूमें।
(अर्थ: गोकुल गाँव में सभी लोग खुशियाँ मना रहे हैं। राधा और अन्य गोपियाँ भी कृष्ण के साथ नाच रही हैं। कृष्ण की नटखट लीलाओं को देखकर सभी उन्हें प्यार करते हैं।)
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३. तीसरा चरण:
मंदिरों में सजे कृष्ण पालना,
फूलों से महक रहा है हर कोना।
झूला झूलाए सब ग्वाल-बाल,
आज तो बस प्रेम का ही रोना।
(अर्थ: मंदिरों में भगवान कृष्ण का पालना सजाया गया है। पूरा वातावरण फूलों की सुगंध से महक रहा है। सभी ग्वाल-बाल मिलकर कृष्ण को झूला झुला रहे हैं। आज का दिन केवल प्रेम और भक्ति के आँसुओं का है।)
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४. चौथा चरण:
दही-हांडी का देखो खेल,
मटकी फोड़ें सब मिलकर मेल।
ऊपर चढ़े, नीचे फिसलें,
जीत की हो रही है रेलमपेल।
(अर्थ: दही-हांडी का खेल चल रहा है। सभी मिलकर मटकी फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कोई ऊपर चढ़ता है तो कोई नीचे फिसल जाता है, पर जीतने की होड़ लगी है।)
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५. पांचवा चरण:
बाँसुरी की मीठी धुन पर,
नाचे मोर और थिरके मन।
यमुना के तट पर रास रचाए,
मनमोहक कान्हा सावन।
(अर्थ: कृष्ण की मधुर बाँसुरी की धुन पर मोर नाच रहे हैं और सभी का मन आनंदित हो रहा है। वे यमुना नदी के किनारे रासलीला कर रहे हैं। कृष्ण का यह रूप सावन के महीने की तरह मन को मोह लेता है।)
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६. छठा चरण:
गुलाब बाबा की यात्रा चली,
प्रेम की चादर आज फैली।
सप्तकोटीश्वर मंदिर में,
नारियल से भरा हर एक थैली।
(अर्थ: गुलाब बाबा की यात्रा शुरू हो गई है, जिससे चारों ओर प्रेम का वातावरण फैल गया है। सप्तकोटीश्वर मंदिर में भक्तों के पास नारियल से भरी थैलियाँ हैं।)
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७. सातवां चरण:
जन्माष्टमी का पावन पर्व,
देता जीवन में नया गर्व।
कृष्ण भक्ति में मन रंगे,
भक्ति ही है सबसे बड़ा धर्म।
(अर्थ: जन्माष्टमी का पावन पर्व हमें अपने जीवन में एक नया गौरव प्रदान करता है। हमारा मन कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाता है, क्योंकि भक्ति ही सबसे बड़ा धर्म है।)
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इमोजी सारांश: ✨💖🌹🎶🎉💃🥥🙏

--अतुल परब
--दिनांक-15.08.2025-शुक्रवार.
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