लोग बदलाव का विरोध क्यों करते हैं?- हिंदी कविता: पर क्यों बदलाव का डर है?-

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 08:27:59 PM

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Atul Kaviraje

लोग बदलाव का विरोध क्यों करते हैं?-

हिंदी कविता: पर क्यों बदलाव का डर है?-

(१) पर क्यों बदलाव का डर है, पर क्यों मन में बेचैनी है?
यह जीवन तो एक धारा है, जो हर पल बहती रहती है।
पर क्यों हम रुक जाते हैं, जब नई राह हमें मिलती है?
पर क्यों बदलाव का डर है, पर क्यों मन में बेचैनी है?
(अर्थ: इस चरण में बदलाव के प्रति भय और मन की बेचैनी के बारे में जिज्ञासा व्यक्त की गई है।)

(२) अज्ञात का डर मन में बसा
अज्ञात का डर मन में बसा, कल क्या होगा ये पता नहीं।
सुरक्षा की यह झूठी दीवार, हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
यह डर है एक पहेली, जो हमें भ्रमित करती है।
अज्ञात का डर मन में बसा, कल क्या होगा ये पता नहीं।
(अर्थ: यह चरण अज्ञात के डर और उससे मिलने वाली असुरक्षा की भावना का वर्णन करता है।)

(३) पुरानी आदतें हैं मीठी
पुरानी आदतें हैं मीठी, नया सीखना पड़ता है।
आलस की यह चादर, हमें सोने को कहती है।
पर जब तक तोड़ें न इसे, सफलता कहाँ मिलती है?
पुरानी आदतें हैं मीठी, नया सीखना पड़ता है।
(अर्थ: इस चरण में पुरानी आदतों और आलस्य के कारण बदलाव का विरोध करने की प्रवृत्ति का उल्लेख है।)

(४) जब विश्वास नहीं होता
जब विश्वास नहीं होता, तो मन में संदेह आता है।
नेतृत्व की बातों पर, मन में सवाल उठता है।
बिना भरोसे के कहाँ, कोई राह बनती है?
जब विश्वास नहीं होता, तो मन में संदेह आता है।
(अर्थ: यह चरण नेतृत्व पर विश्वास की कमी के कारण होने वाले विरोध का वर्णन करता है।)

(५) पहचान खोने का है डर
पहचान खोने का है डर, यह भी एक बड़ा कारण है।
जो सालों से किया है काम, वह आज एक सपना है।
पर जो बदलता नहीं, वह कहाँ आगे बढ़ता है?
पहचान खोने का है डर, यह भी एक बड़ा कारण है।
(अर्थ: यह चरण बदलाव के कारण व्यक्तिगत पहचान खोने के डर को बताता है।)

(६) बदलाव तो है जीवन का नियम
बदलाव तो है जीवन का नियम, यह कुदरत भी बताती है।
मौसम, दिन और रात, हर पल बदलती रहती है।
जो स्वीकार करे इसे, वही तो आगे बढ़ता है।
बदलाव तो है जीवन का नियम, यह कुदरत भी बताती है।
(अर्थ: इस चरण में बदलाव को जीवन का एक प्राकृतिक नियम बताया गया है।)

(७) आओ हम सब मिलकर सीखें
आओ हम सब मिलकर सीखें, इस डर को हम दूर करें।
बदलाव को एक मौका दें, नए रास्तों पर चलें।
हर कदम पर नया ज्ञान, हर कदम पर नया सवेरा।
आओ हम सब मिलकर सीखें, इस डर को हम दूर करें।
(अर्थ: यह अंतिम चरण बदलाव को स्वीकार करने और नए अवसरों का लाभ उठाने की प्रेरणा देता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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