हम बूढ़े क्यों होते हैं?- हिंदी कविता: जीवन का सफर-

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 08:33:42 PM

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Atul Kaviraje

हम बूढ़े क्यों होते हैं?-

हिंदी कविता: जीवन का सफर-

(१) पर क्यों जीवन ढलता है?
पर क्यों जीवन ढलता है, पर क्यों शरीर बदलता है।
बचपन की वह दौड़, अब क्यों धीरे-धीरे चलता है।
चेहरे की वह रौनक, अब क्यों कम होती जाती है।
पर क्यों जीवन ढलता है, पर क्यों शरीर बदलता है।
(अर्थ: इस चरण में बचपन से बुढ़ापे तक जीवन और शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर जिज्ञासा व्यक्त की गई है।)

(२) कोशिकाएँ थक जाती हैं
कोशिकाएँ थक जाती हैं, लड़ना छोड़ देती हैं।
जो दिन-रात काम करतीं, अब आराम चाहती हैं।
टेलोमेयर्स की यह कहानी, हमें यही बताती है।
कोशिकाएँ थक जाती हैं, लड़ना छोड़ देती हैं।
(अर्थ: यह चरण कोशिकाओं की जीर्णता और टेलोमेयर्स के छोटे होने के वैज्ञानिक कारण को बताता है।)

(३) जीनों का यह खेल है सारा
जीनों का यह खेल है सारा, जो हमें बुढ़ापे की ओर ले जाता है।
कुछ जीन हमें जीवन देते, कुछ जल्दी थकाते हैं।
विज्ञान की यह खोज, इस रहस्य को समझाती है।
जीनों का यह खेल है सारा, जो हमें बुढ़ापे की ओर ले जाता है।
(अर्थ: इस चरण में बुढ़ापे की प्रक्रिया में आनुवंशिकी और जीन की भूमिका का वर्णन है।)

(४) हार्मोनल परिवर्तन भी होते हैं
हार्मोनल परिवर्तन भी होते हैं, जो हमारी शक्ति को छीनते हैं।
जवानी की वह ऊर्जा, अब धीरे-धीरे कम होती है।
यह एक प्राकृतिक चक्र है, जो जीवन को पूर्ण करता है।
हार्मोनल परिवर्तन भी होते हैं, जो हमारी शक्ति को छीनते हैं।
(अर्थ: यह चरण बुढ़ापे में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों और उनके प्रभावों का उल्लेख करता है।)

(५) जीवनशैली का है यह असर
जीवनशैली का है यह असर, जो हमें जल्दी थकाता है।
खराब खाना, कम नींद, यह हमें बीमार बनाता है।
स्वस्थ जीवन जीना, बुढ़ापे को दूर भगाता है।
जीवनशैली का है यह असर, जो हमें जल्दी थकाता है।
(अर्थ: इस चरण में बुढ़ापे पर जीवनशैली के प्रभाव और स्वस्थ रहने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।)

(६) बुढ़ापा कोई बीमारी नहीं
बुढ़ापा कोई बीमारी नहीं, यह तो जीवन का हिस्सा है।
यह ज्ञान और अनुभव का, एक सुंदर अध्याय है।
इसे हम स्वीकार करें, इसका सम्मान करें।
बुढ़ापा कोई बीमारी नहीं, यह तो जीवन का हिस्सा है।
(अर्थ: यह चरण बुढ़ापे को एक बीमारी के बजाय जीवन के एक स्वाभाविक हिस्से के रूप में बताता है।)

(७) आओ हम मिलकर यह सीखें
आओ हम मिलकर यह सीखें, जीवन को हम पूरा जीएँ।
स्वस्थ रहें, खुश रहें, और बुढ़ापे का स्वागत करें।
हर पल का आनंद लें, हर पल को हम खास बनाएँ।
आओ हम मिलकर यह सीखें, जीवन को हम पूरा जीएँ।
(अर्थ: यह अंतिम चरण हमें स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने और बुढ़ापे को सकारात्मक रूप से स्वीकार करने के लिए प्रेरित करता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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