आर्थिक मंदी क्यों आती है?- हिंदी कविता: मंदी की कहानी-

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 08:40:20 PM

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Atul Kaviraje

आर्थिक मंदी क्यों आती है?-

हिंदी कविता: मंदी की कहानी-

(१) पर क्यों पहिया थम जाता है?
पर क्यों पहिया थम जाता है, क्यों बाजार सूना लगता है।
क्यों लोग काम छोड़ते, क्यों हर सपना टूटता है।
यह मंदी का साया है, जो धीरे-धीरे आता है।
पर क्यों पहिया थम जाता है, क्यों बाजार सूना लगता है।
(अर्थ: इस चरण में मंदी के दौरान होने वाले आर्थिक ठहराव और बेरोजगारी पर जिज्ञासा व्यक्त की गई है।)

(२) मांग जब कम हो जाती है
मांग जब कम हो जाती है, तो उत्पादन भी घटता है।
कंपनियाँ घाटे में जातीं, मुनाफा कहाँ मिलता है।
यह एक श्रृंखला है, जो सबको नुकसान पहुँचाती है।
मांग जब कम हो जाती है, तो उत्पादन भी घटता है।
(अर्थ: यह चरण मांग में कमी और उसके प्रभाव से होने वाली मंदी को बताता है।)

(३) बुलबुले जब भी फटते हैं
बुलबुले जब भी फटते हैं, तो बाजार में हड़कंप मचता है।
निवेशकों का पैसा, मिट्टी में मिल जाता है।
यह एक धोखा है, जो सबको परेशान करता है।
बुलबुले जब भी फटते हैं, तो बाजार में हड़कंप मचता है।
(अर्थ: इस चरण में संपत्ति बुलबुलों के फटने और उसके वित्तीय प्रभावों का वर्णन है।)

(४) बैंकों पर जब विश्वास नहीं
बैंकों पर जब विश्वास नहीं, तो पैसा कहाँ से आएगा।
कोई भी अब उधार नहीं लेगा, तो धंधा कैसे चलेगा।
यह एक डर है, जो सबको कमजोर करता है।
बैंकों पर जब विश्वास नहीं, तो पैसा कहाँ से आएगा।
(अर्थ: यह चरण वित्तीय संकट और लोगों के विश्वास में कमी के प्रभाव को बताता है।)

(५) नीतियों की होती है गलती
नीतियों की होती है गलती, जब सरकार कठोर होती है।
ज्यादा कर और कम खर्च, विकास को रोक देती है।
यह एक दुष्चक्र है, जो देश को पीछे धकेलती है।
नीतियों की होती है गलती, जब सरकार कठोर होती है।
(अर्थ: यह चरण मंदी के पीछे सरकारी नीतियों की भूमिका का उल्लेख करता है।)

(६) मंदी एक चक्र है
मंदी एक चक्र है, जो जीवन में आता-जाता है।
कभी तेजी का दौर, कभी ठहराव आ जाता है।
यह अर्थव्यवस्था का स्वभाव है, जो हमें सबक सिखाता है।
मंदी एक चक्र है, जो जीवन में आता-जाता है।
(अर्थ: यह चरण मंदी को एक चक्रीय आर्थिक प्रक्रिया के रूप में बताता है।)

(७) आओ हम सब समझें
आओ हम सब समझें, इस मंदी को हम पहचानें।
समझदारी से काम लें, और सही कदम उठाएँ।
क्योंकि हर मुश्किल का हल है, अगर हम प्रयास करें।
आओ हम सब समझें, इस मंदी को हम पहचानें।
(अर्थ: यह अंतिम चरण हमें मंदी को समझने और उसके प्रभाव से निपटने के लिए प्रेरित करता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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