आलोचनात्मक सोच क्यों महत्वपूर्ण है?- हिंदी कविता: सोच की शक्ति-

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2025, 08:43:01 PM

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Atul Kaviraje

आलोचनात्मक सोच क्यों महत्वपूर्ण है?-

हिंदी कविता: सोच की शक्ति-

(१) पर क्यों सोच इतनी जरूरी है?
पर क्यों सोच इतनी जरूरी है, क्यों यह हमें राह दिखाती है।
क्यों हर बात पर सवाल करें, क्यों हर दावे को परखें।
यह एक रोशनी है, जो अंधेरों को दूर भगाती है।
पर क्यों सोच इतनी जरूरी है, क्यों यह हमें राह दिखाती है।
(अर्थ: इस चरण में आलोचनात्मक सोच की आवश्यकता और उसके महत्व पर जिज्ञासा व्यक्त की गई है।)

(२) सच को यह पहचानती है
सच को यह पहचानती है, झूठ को यह नकारती है।
सोशल मीडिया के जाल में, यह हमें बचाती है।
कौन सी खबर सही, कौन सी झूठ, यह हमें बताती है।
सच को यह पहचानती है, झूठ को यह नकारती है।
(अर्थ: यह चरण आलोचनात्मक सोच की गलत सूचना को पहचानने की क्षमता का वर्णन करता है।)

(३) सही फैसले लेने को सिखाए
सही फैसले लेने को सिखाए, जब मन हमारा डोलता है।
भावुकता को यह छोड़े, तर्क का साथ यह लेता है।
जिंदगी के हर मोड़ पर, यह हमें सही राह दिखाती है।
सही फैसले लेने को सिखाए, जब मन हमारा डोलता है।
(अर्थ: इस चरण में आलोचनात्मक सोच के बेहतर निर्णय लेने में मदद करने की भूमिका को बताया गया है।)

(४) समस्याओं का हल यह पाए
समस्याओं का हल यह पाए, जब रास्ते सब बंद लगते हैं।
मुश्किलों को यह तोड़कर, नए विचार यह लाती है।
यह एक चाबी है, जो हर ताले को खोलती है।
समस्याओं का हल यह पाए, जब रास्ते सब बंद लगते हैं।
(अर्थ: यह चरण आलोचनात्मक सोच की समस्या-समाधान क्षमता का वर्णन करता है।)

(५) पूर्वाग्रहों को यह हटाए
पूर्वाग्रहों को यह हटाए, जो मन में बैठ गए हैं।
यह हमें निष्पक्ष बनाए, हर बात को समझने को।
यह एक आईना है, जो हमारी कमियाँ दिखाता है।
पूर्वाग्रहों को यह हटाए, जो मन में बैठ गए हैं।
(अर्थ: यह चरण पूर्वाग्रहों से मुक्ति और निष्पक्षता के महत्व को बताता है।)

(६) यह एक स्वतंत्रता है
यह एक स्वतंत्रता है, जो हमें खुद से जोड़ती है।
दूसरों की सोच को नहीं, अपनी राह दिखाती है।
यह एक पंख है, जो हमें ऊँचाई पर उड़ाती है।
यह एक स्वतंत्रता है, जो हमें खुद से जोड़ती है।
(अर्थ: यह चरण आलोचनात्मक सोच से मिलने वाली बौद्धिक स्वतंत्रता और आत्मविश्वास का वर्णन करता है।)

(७) आओ हम सब सीखें
आओ हम सब सीखें, आलोचनात्मक सोच को अपनाएँ।
हर बात को सोचें-समझें, हर सवाल को हम करें।
क्योंकि ज्ञान की यह राह, हमें बेहतर इंसान बनाती है।
आओ हम सब सीखें, आलोचनात्मक सोच को अपनाएँ।
(अर्थ: यह अंतिम चरण आलोचनात्मक सोच को अपनाने और उसके माध्यम से बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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