अश्वत्थ मारुति पूजन: एक भक्तिपूर्ण पर्व- दिनांक: 16 अगस्त, शनिवार-🌳🙏🪔✨🥣🕉️

Started by Atul Kaviraje, August 17, 2025, 11:45:06 AM

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Atul Kaviraje

अश्वत्थ मारुती पूजन-

अश्वत्थ मारुति पूजन: एक भक्तिपूर्ण पर्व-

दिनांक: 16 अगस्त, शनिवार
विषय: अश्वत्थ मारुति पूजन
लेख का प्रकार: भक्तिपूर्ण, विवेचनात्मक, विस्तृत

अश्वत्थ मारुति पूजन, भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का एक अनूठा और पवित्र पर्व है। यह विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा मनाया जाता है जो भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। इस पूजन में पीपल के पेड़ (अश्वत्थ वृक्ष) और भगवान हनुमान (मारुति) का एक साथ पूजन किया जाता है। यह परंपरा हनुमान जी की शक्ति, समर्पण और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

1. अश्वत्थ मारुति पूजन का महत्व
हिंदू धर्म में, पीपल के पेड़ को देव वृक्ष माना गया है। इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास स्थल माना जाता है। वहीं, भगवान हनुमान को भगवान शिव का ११वां रुद्रावतार माना जाता है। अश्वत्थ मारुति पूजन में इन दोनों शक्तिशाली प्रतीकों का संगम होता है, जिससे भक्तों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।

2. पूजन की विधि
यह पूजन मुख्य रूप से शनिवार के दिन किया जाता है। भक्तजन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं। वे पीपल के पेड़ के पास जाकर उसकी परिक्रमा करते हैं और जल अर्पित करते हैं। इसके बाद, पीपल के पेड़ के नीचे भगवान हनुमान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है।

3. मंत्र और स्तोत्र
पूजा के दौरान भक्त "ॐ श्री हनुमते नमः" और "अश्वत्थ मारुति स्तोत्र" का जाप करते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ भी इस पूजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन मंत्रों और स्तोत्रों के जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

4. प्रसाद और अर्पण
पूजन के बाद, भक्त भगवान हनुमान को गुड़, चना, बूंदी के लड्डू और तुलसी का पत्ता अर्पित करते हैं। इन चीजों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। माना जाता है कि इन चीजों को अर्पित करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

5. प्रकृति का सम्मान
अश्वत्थ मारुति पूजन प्रकृति के प्रति सम्मान का भी एक उदाहरण है। पीपल का पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से फाइकस रेलिगियोसा (Ficus religiosa) कहा जाता है, रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। इस पूजन के माध्यम से हम प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझते हैं।

6. आरोग्य और शांति
ऐसा माना जाता है कि इस पूजन से कई तरह के शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं। हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता कहा गया है। उनकी पूजा से भक्तों को बल, बुद्धि, विद्या और साहस की प्राप्ति होती है। पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से भी मन शांत होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

7. शनिवार का विशेष महत्व
शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित है। ज्योतिष के अनुसार, भगवान हनुमान की पूजा करने से शनि देव के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसलिए, अश्वत्थ मारुति पूजन शनिवार के दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पूजन उन लोगों के लिए भी लाभदायक है जिनकी कुंडली में शनि का दोष है।

8. सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
यह पूजन भक्तों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक सद्भाव और भाईचारा बढ़ता है। कई गांवों और कस्बों में लोग मिलकर इस पूजा का आयोजन करते हैं। यह परंपरा हमारी धार्मिक आस्थाओं को मजबूत करती है और आने वाली पीढ़ियों को हमारे संस्कारों से जोड़ती है।

9. भक्ति का संकल्प और संदेश
अश्वत्थ मारुति पूजन हमें यह संदेश देता है कि भक्ति केवल मंदिर तक सीमित नहीं है। हम प्रकृति में भी भगवान का वास देख सकते हैं। यह पूजन हमें निस्वार्थ सेवा, समर्पण और कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा देता है, ठीक उसी तरह जैसे हनुमान जी ने भगवान राम की सेवा की थी।

10. आधुनिक युग में अश्वत्थ मारुति पूजन
आज के व्यस्त जीवन में भी, लोग इस पूजन के लिए समय निकालते हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग इस पर्व से जुड़े संदेश और चित्र साझा करते हैं। यह दर्शाता है कि हमारी पुरानी परंपराएं आज भी जीवित हैं और लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रतीक और इमोजी:

पीपल का पेड़ 🌳: पवित्रता, ज्ञान, प्रकृति

हनुमान जी 🙏: शक्ति, समर्पण, भक्ति

दीपक 🪔: प्रकाश, ज्ञान, सकारात्मकता

तिलक ✨: पवित्रता, आशीर्वाद

गुड़-चना 🥣: सादगी, प्रसाद

मंदिर 🕉�: आस्था, आध्यात्मिकता

इमोजी सारांश:
🌳🙏🪔✨🥣🕉�

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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