हिंदी कविता: अश्वत्थ मारुति पूजन-

Started by Atul Kaviraje, August 17, 2025, 11:45:39 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

अश्वत्थ मारुती पूजन-

हिंदी कविता: अश्वत्थ मारुति पूजन-

(१) आज का दिन है बड़ा निराला
आज का दिन है बड़ा निराला, पीपल संग मारुति को पूजा।
ज्ञान की छाँव में, शक्ति का वास, हर दिल में है भक्ति का उजियाला।
शनिदेव भी खुश होते हैं, जो हनुमान को पूजते हैं।
आज का दिन है बड़ा निराला, पीपल संग मारुति को पूजा।
(अर्थ: इस चरण में शनिवार के दिन पीपल और हनुमान जी के एक साथ पूजन का महत्व बताया गया है।)

(२) पीपल की परिक्रमा करते हैं
पीपल की परिक्रमा करते हैं, जल चढ़ाकर हम प्रणाम करते हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास है, हम सारे पापों को हरते हैं।
पवित्रता और शांति का एहसास है, जीवन को हम संवारते हैं।
पीपल की परिक्रमा करते हैं, जल चढ़ाकर हम प्रणाम करते हैं।
(अर्थ: यह चरण पीपल के पेड़ की पवित्रता और परिक्रमा करने के लाभों का वर्णन करता है।)

(३) राम-राम जपते हैं भक्त
राम-राम जपते हैं भक्त, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
ज्ञान, बल और विद्या मांगते हैं, मन की सारी बाधाओं को हरते हैं।
शक्ति और साहस मिलता है, हर मुश्किल से हम लड़ते हैं।
राम-राम जपते हैं भक्त, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं।
(अर्थ: इस चरण में हनुमान चालीसा का पाठ करने और उनसे मिलने वाली शक्ति और साहस का उल्लेख है।)

(४) बूंदी और गुड़ का भोग लगाएँ
बूंदी और गुड़ का भोग लगाएँ, हनुमान को हम मनाएँ।
तुलसी की पत्ती भी चढ़ाएँ, अपनी सारी मुरादें पाएँ।
प्रसाद बाँटकर खुशियाँ फैलाएँ, सबका जीवन मंगलमय बनाएँ।
बूंदी और गुड़ का भोग लगाएँ, हनुमान को हम मनाएँ।
(अर्थ: यह चरण पूजा के दौरान चढ़ाए जाने वाले प्रसाद और प्रसाद बांटने के महत्व को दर्शाता है।)

(५) प्रकृति का भी सम्मान करें
प्रकृति का भी सम्मान करें, हम पेड़-पौधों को नमन करें।
पीपल का यह वरदान है, जो जीवन को ऑक्सीजन दे।
हमारा कर्तव्य है, हरियाली को बढ़ाएँ, धरती को स्वर्ग बनाएँ।
प्रकृति का भी सम्मान करें, हम पेड़-पौधों को नमन करें।
(अर्थ: इस चरण में पीपल के पेड़ के वैज्ञानिक महत्व और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया है।)

(६) भक्ति का यह मार्ग है सीधा
भक्ति का यह मार्ग है सीधा, दिल से ही भगवान मिलते हैं।
निस्वार्थ सेवा और समर्पण से, हम जीवन को सफल करते हैं।
हनुमान जी से हम सीखें, कैसे हम कर्तव्य निभाते हैं।
भक्ति का यह मार्ग है सीधा, दिल से ही भगवान मिलते हैं।
(अर्थ: यह चरण निस्वार्थ सेवा और भक्ति के महत्व पर जोर देता है।)

(७) मन में बस एक ही आस है
मन में बस एक ही आस है, कृपा मिले हनुमान की खास है।
कल्याण हो हर इंसान का, यह पर्व एक विश्वास है।
आओ सब मिलकर मनाएँ, हनुमान की भक्ति में रम जाएँ।
मन में बस एक ही आस है, कृपा मिले हनुमान की खास है।
(अर्थ: यह अंतिम चरण भगवान हनुमान से आशीर्वाद की प्रार्थना करता है और इस पर्व के माध्यम से सभी के कल्याण की कामना करता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
===========================================