आज के पावन पर्व: भक्ति और ज्ञान की त्रिवेणी- हिंदी कविता: संतों की त्रिवेणी-

Started by Atul Kaviraje, August 17, 2025, 11:48:17 AM

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Atul Kaviraje

1-श्री ज्ञानेश्वर महाराज जयंती-आपेगाव, औरंगाबाद-

२-महर्षी नवल जयंती, पुणे-

3-पंत महाराज बाळेकुंद्री जयंती-

आज के पावन पर्व: भक्ति और ज्ञान की त्रिवेणी-

हिंदी कविता: संतों की त्रिवेणी-

(१) आज का दिन है बड़ा पावन
आज का दिन है बड़ा पावन, तीन संतों का हुआ मिलन।
ज्ञान, ध्यान और भक्ति का, है यह सुंदर संगम।
दिल में है श्रद्धा, आँखों में है प्रेम, मन में है समर्पण।
आज का दिन है बड़ा पावन, तीन संतों का हुआ मिलन।
(अर्थ: इस चरण में तीन संतों की जयंती का उल्लेख है, जो ज्ञान, ध्यान और भक्ति का सुंदर संगम है।)

(२) ज्ञानेश्वर ने गीता सुनाई
ज्ञानेश्वर ने गीता सुनाई, ज्ञानेश्वरी में ज्ञान की ज्योत जलाई।
मराठी में सरल करके, हर दिल में भक्ति जगाई।
आपेगाँव की पावन धरती पर, प्रेम की गंगा बहाई।
ज्ञानेश्वर ने गीता सुनाई, ज्ञानेश्वरी में ज्ञान की ज्योत जलाई।
(अर्थ: यह चरण संत ज्ञानेश्वर के ज्ञान और 'ज्ञानेश्वरी' की रचना का वर्णन करता है।)

(३) महर्षि नवल ने राह दिखाई
महर्षि नवल ने राह दिखाई, सहज मार्ग की ज्योति जलाई।
पुणे की धरती पर, ध्यान की अलख जगाई।
बाहरी पूजा छोड़, आत्मा से जुड़ने की शिक्षा दी।
महर्षि नवल ने राह दिखाई, सहज मार्ग की ज्योति जलाई।
(अर्थ: इस चरण में महर्षि नवल के 'सहज मार्ग' ध्यान और आत्म-ज्ञान के संदेश का उल्लेख है।)

(४) पंत महाराज की भक्ति है गहरी
पंत महाराज की भक्ति है गहरी, गुरु महिमा गाते रहे हर घड़ी।
बाळेकुंद्री की धरती से, प्रेम का संदेश फैलाया।
वैराग्य और समर्पण का, जीवन हमें सिखाया।
पंत महाराज की भक्ति है गहरी, गुरु महिमा गाते रहे हर घड़ी।
(अर्थ: यह चरण पंत महाराज बाळेकुंद्री के भक्ति और गुरु महिमा के संदेश का वर्णन करता है।)

(५) अलग-अलग हैं राहें
अलग-अलग हैं राहें, पर मंजिल है एक ही।
भक्ति, ज्ञान और ध्यान से, मिलती है शांति की।
संतों ने यह हमें सिखाया, जीवन का सार यही।
अलग-अलग हैं राहें, पर मंजिल है एक ही।
(अर्थ: इस चरण में तीनों संतों के मार्गों की समानता और उनके अंतिम लक्ष्य का वर्णन है।)

(६) त्याग और सेवा का जीवन
त्याग और सेवा का जीवन, उन्होंने हमें सिखाया।
दूसरों की भलाई में ही, ईश्वर को पाया।
सादा जीवन, उच्च विचार, यही है उनका संदेश।
त्याग और सेवा का जीवन, उन्होंने हमें सिखाया।
(अर्थ: यह चरण संतों के त्याग और निस्वार्थ सेवा के महत्व पर जोर देता है।)

(७) आओ हम सब मिलकर मनाएँ
आओ हम सब मिलकर मनाएँ, इस पावन दिवस को।
इन संतों के दिखाए मार्ग पर, हम सब मिलकर चलें।
जीवन में शांति और प्रेम का, हम सब मिलकर दीप जलाएँ।
आओ हम सब मिलकर मनाएँ, इस पावन दिवस को।
(अर्थ: यह अंतिम चरण हमें तीनों संतों की जयंती को मिलकर मनाने और उनके दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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