बंजारा तिज विसर्जन- हिंदी कविता: बंजारा तीज-

Started by Atul Kaviraje, August 17, 2025, 11:52:27 AM

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Atul Kaviraje

बंजारा तिज विसर्जन-

हिंदी कविता: बंजारा तीज-

(१) दस दिनों का उपवास हुआ पूरा
दस दिनों का उपवास हुआ पूरा, तीज का पर्व आया।
ज्वार के दाने टोकरी में, सेजो हमने उगाया।
अब समय है विसर्जन का, खुशियों का है गीत गाया।
दस दिनों का उपवास हुआ पूरा, तीज का पर्व आया।
(अर्थ: इस चरण में दस दिवसीय उपवास के अंत और ज्वार के बीजों को उगाने की प्रक्रिया का वर्णन है।)

(२) रंग-बिरंगे परिधान पहनकर
रंग-बिरंगे परिधान पहनकर, बंजारा युवतियाँ आईं।
पैरों में घुँघरू की छम-छम, दिल में उमंग समाई।
घेर नृत्य की धुन पर, सबने मिलकर खुशी मनाई।
रंग-बिरंगे परिधान पहनकर, बंजारा युवतियाँ आईं।
(अर्थ: यह चरण बंजारा युवतियों के पारंपरिक परिधानों और उनके खुशी भरे नृत्य का वर्णन करता है।)

(३) सेजो को लेकर निकलें गाँव से
सेजो को लेकर निकलें गाँव से, जयकारें गूंज उठी।
नदी की ओर चले कदम, हर चेहरे पर है एक नई चमक।
जीवन के नए सफर की, हर दिल में है एक नई उम्मीद।
सेजो को लेकर निकलें गाँव से, जयकारें गूंज उठी।
(अर्थ: इस चरण में 'सेजो' को जुलूस के रूप में गाँव से बाहर ले जाने और नए जीवन की आशा का वर्णन है।)

(४) जल में किया विसर्जन
जल में किया विसर्जन, प्रकृति को नमन किया।
धरती और पानी को, हमने प्रेम से भरा।
यह परंपरा सिखाती है, हर कण में है भगवान बसा।
जल में किया विसर्जन, प्रकृति को नमन किया।
(अर्थ: यह चरण 'सेजो' के विसर्जन की प्रक्रिया और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देता है।)

(५) कामनाएँ हैं दिल में
कामनाएँ हैं दिल में, अच्छा वर मिले, सुखी जीवन मिले।
मेहंदी और चूड़ियों की खनक, वैवाहिक जीवन को सँवारे।
माता पार्वती और शिव का, आशीर्वाद सदा मिले।
कामनाएँ हैं दिल में, अच्छा वर मिले, सुखी जीवन मिले।
(अर्थ: इस चरण में अविवाहित लड़कियों की कामनाओं और माता पार्वती-शिव से आशीर्वाद मांगने का उल्लेख है।)

(६) यह सिर्फ एक पर्व नहीं है
यह सिर्फ एक पर्व नहीं है, यह है हमारी पहचान।
हमारी संस्कृति की धरोहर, और हमारी शान।
यह हमें सिखाती है, प्रेम और भाईचारे का पाठ।
यह सिर्फ एक पर्व नहीं है, यह है हमारी पहचान।
(अर्थ: यह चरण बंजारा तीज के सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने की भूमिका पर जोर देता है।)

(७) आओ हम सब मिलकर मनाएँ
आओ हम सब मिलकर मनाएँ, इस पावन त्योहार को।
अपनी जड़ों से जुड़े रहें, अपनी परंपराओं को सँवारें।
यह उत्सव है जीवन का, हर दिल में है प्रेम और खुशी।
आओ हम सब मिलकर मनाएँ, इस पावन त्योहार को।
(अर्थ: यह अंतिम चरण सभी को मिलकर इस त्योहार को मनाने और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।)

--अतुल परब
--दिनांक-16.08.2025-शनिवार.
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