मंगला गौरी पूजन: भक्ति और सौभाग्य का पर्व- 19 अगस्त, 2025-🌺📿🔱🙏✨

Started by Atul Kaviraje, August 20, 2025, 11:24:32 AM

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Atul Kaviraje

मंगला गौरी पूजन-

मंगला गौरी पूजन: भक्ति और सौभाग्य का पर्व-

आज 19 अगस्त, 2025, मंगलवार का दिन है, और इस शुभ दिन पर हम मंगला गौरी पूजन का पवित्र पर्व मना रहे हैं। यह व्रत सावन के महीने में हर मंगलवार को किया जाता है और यह माता पार्वती को समर्पित है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करना है। अविवाहित लड़कियाँ भी योग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।

मंगला गौरी पूजन का महत्व और विधि
नाम और महत्व:

मंगला गौरी माता पार्वती का ही एक रूप हैं। 'मंगल' का अर्थ शुभ और 'गौरी' माता पार्वती को दर्शाता है।

इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य, लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और सद्भाव को बढ़ाता है।

पौराणिक कथा:

इस व्रत का संबंध एक पौराणिक कथा से है, जिसमें एक व्यापारी की पुत्री के जीवन से जुड़ी घटना का वर्णन है।

व्यापारी की पुत्री को श्राप था कि उसकी मृत्यु युवावस्था में ही हो जाएगी।

उसने मंगला गौरी का व्रत किया और माता पार्वती की कृपा से उसे लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिला।

यह कथा दर्शाती है कि इस व्रत में कितनी शक्ति है।

पूजा की विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ।

चौकी पर माता गौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

पूजा के लिए 16 मालाएँ, 16 प्रकार के फूल, 16 चूड़ियाँ, 16 सुपारी, और 16 तरह की मिठाइयाँ लें।

पूजा-सामग्री:

लाल वस्त्र, सिंदूर, कुमकुम, हल्दी, मेहंदी।

सोलह (16) की संख्या में श्रृंगार सामग्री।

फल, मिठाई, सूखे मेवे और पान के पत्ते।

मंत्र और पूजा:

माता गौरी का ध्यान करते हुए "ॐ गौरी शंकराय नमः" या "सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।।" मंत्र का जाप करें।

मंगला गौरी की आरती करें और व्रत कथा सुनें।

पूजा के बाद सभी 16 सामग्रियों को किसी ब्राह्मण को दान करें।

भोजन और व्रत के नियम:

व्रत के दिन केवल फलाहार ही करना चाहिए।

नमक और अन्न का सेवन नहीं किया जाता।

व्रतधारी एक समय ही भोजन कर सकते हैं।

आध्यात्मिक लाभ:

यह व्रत मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा देता है।

यह महिलाओं को सशक्त और आत्मविश्वासी बनाता है।

परिवार में खुशियाँ और समृद्धि आती है।

सामाजिक महत्व:

यह व्रत महिलाओं को एक साथ आने और भक्ति के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जुड़ने का अवसर देता है।

यह हमारी सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने में मदद करता है।

आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता:

आज के व्यस्त जीवन में, यह व्रत हमें अपने रिश्तों को महत्व देने और परिवार के लिए समय निकालने का एक कारण देता है।

यह हमें हमारी परंपराओं और आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़े रखता है।

सारांश:

मंगला गौरी पूजन श्रद्धा, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक है।

यह व्रत हमें सिखाता है कि भक्ति और विश्वास से जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।

यह दिन हमें त्याग और समर्पण का संदेश देता है।

प्रतीकात्मकता और इमोजी
देवी पार्वती का चेहरा: माता पार्वती, शक्ति और प्रेम की प्रतीक।

त्रिशूल: भगवान शिव का प्रतीक, शक्ति और संरक्षण।

लाल साड़ी: सौभाग्य और विवाह का प्रतीक।

हाथ जोड़ना: भक्ति और सम्मान।

लाल चूड़ियाँ: सुहागिन होने की निशानी।

इमोजी सारांश: 🌺📿🔱🙏✨

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-19.08.2025-मंगळवार.
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