पर्युषण पर्वIरंभ-चतुर्थी पक्ष-जैन- 'पर्युषण का पावन पर्व'-

Started by Atul Kaviraje, August 21, 2025, 11:27:28 AM

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Atul Kaviraje

पर्युषण पर्वIरंभ-चतुर्थी पक्ष-जैन-

'पर्युषण का पावन पर्व'-

पद १:
पर्युषण का पर्व आया, लेकर आत्म-ज्ञान,
जैन धर्म के अनुयायी, करें सबका कल्याण।
आठ दिनों की तपस्या, मन को करे वो शांत,
भूलकर सारे वैर-भाव, पाएं हम विश्रांत।
अर्थ: पर्युषण पर्व आत्म-ज्ञान लेकर आया है। जैन धर्म के अनुयायी सबका कल्याण करते हैं। आठ दिनों की तपस्या से मन शांत होता है, और सारे वैर-भाव भूलकर हमें शांति मिलती है।

पद २:
क्षमा, मार्दव और आर्जव, उत्तम हो स्वभाव,
सत्य, शौच और संयम से, दूर हो सब दुराभाव।
ब्रह्मचर्य और तप से, मिले सच्ची शक्ति,
पर्युषण पर्व है, ये तो सच्ची भक्ति।
अर्थ: इस पर्व में क्षमा, मार्दव (नम्रता) और आर्जव (सरलता) जैसे उत्तम स्वभाव अपनाए जाते हैं। सत्य, पवित्रता और संयम से सभी बुरे विचार दूर होते हैं। ब्रह्मचर्य और तप से सच्ची शक्ति मिलती है, यही सच्ची भक्ति है।

पद ३:
सामायिक और प्रतिक्रमण, पापों को धोए,
स्वाध्याय से ज्ञान का दीपक, मन में जो बोए।
अहिंसा का पालन कर, हर जीव को बचाए,
पर्युषण पर्व है, ये तो राह दिखाए।
अर्थ: सामायिक और प्रतिक्रमण से पाप धुल जाते हैं। स्वाध्याय से ज्ञान का दीपक मन में जलता है। अहिंसा का पालन करके हर जीव की रक्षा होती है, यह पर्व हमें सही राह दिखाता है।

पद ४:
मंदिरों में प्रवचन हो, गूंजे जयकार,
आकिंचन्य और त्याग से, हो सबका उद्धार।
दुनियादारी छोड़कर, आत्मा को पहचान,
सच्चा सुख वही है, जिसमें है अभिमान।
अर्थ: मंदिरों में प्रवचन होते हैं और जयकार गूंजती है। आकिंचन्य (अपरिग्रह) और त्याग से सबका उद्धार होता है। बाहरी दुनिया को छोड़कर हमें अपनी आत्मा को पहचानना चाहिए। सच्चा सुख वही है, जिसमें अभिमान नहीं होता।

पद ५:
मिच्छामी दुक्कड़म् कहकर, सब से क्षमा मांगो,
छोटी-बड़ी हर गलती, आज ही तुम जानो।
क्षमा ही है सच्चा धर्म, सबसे बड़ा उपकार,
पर्युषण पर्व है, ये तो प्रेम का सार।
अर्थ: 'मिच्छामी दुक्कड़म्' कहकर सब से क्षमा मांगें। अपनी छोटी-बड़ी हर गलती को पहचानें। क्षमा ही सच्चा धर्म है और सबसे बड़ा उपकार है। पर्युषण पर्व प्रेम का सार है।

पद ६:
उपवास की है शक्ति, तन मन हो निर्मल,
कठोर तपस्या से, पाए जीवन में बल।
मोह माया का बंधन, आज ही तुम छोड़ो,
आत्मा को मोक्ष के, मार्ग से तुम जोड़ो।
अर्थ: उपवास की शक्ति से तन और मन निर्मल होते हैं। कठोर तपस्या से जीवन में बल मिलता है। मोह और माया के बंधन को आज ही छोड़ दें और आत्मा को मोक्ष के मार्ग से जोड़ें।

पद ७:
पर्युषण पर्व है, ये तो एक अवसर,
खुद को सुधारने का, बनने का बेहतर।
ज्ञान, तप और त्याग से, जीवन को सजाओ,
हर जीव के प्रति, करुणा तुम दिखाओ।
अर्थ: पर्युषण पर्व एक अवसर है, खुद को सुधारने और बेहतर बनने का। ज्ञान, तप और त्याग से अपने जीवन को सजाओ और हर जीव के प्रति करुणा दिखाओ।

--अतुल परब
--दिनांक-20.08.2025-बुधवार.
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