पर्युषण पर्वारंभ - पंचमी पक्ष (जैन) 🙏✨- पर्युषण की महिमा ✨🙏-

Started by Atul Kaviraje, August 22, 2025, 11:17:17 AM

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Atul Kaviraje

पर्युषण पर्वारंभ- पंचमी पक्ष- जैन-

पर्युषण पर्वारंभ - पंचमी पक्ष (जैन) 🙏✨-

पर्युषण की महिमा ✨🙏-

(एक सुंदर अर्थपूर्ण सीधीसादी सरल तुकबंदी के साथ)

१. पर्युषण का पर्व आया, मन में भक्ति जगाए,
आत्म-शुद्धि के पथ पर, हमको यह ले जाए।
दसलक्षण के गुणों को, जीवन में हम उतारें,
अंदर के विकारों को, हम मिलकर सब मारें।
अर्थ: पर्युषण का पर्व आया है जो मन में भक्ति जगाता है। यह हमें आत्म-शुद्धि के रास्ते पर ले जाता है। हमें दसलक्षण के गुणों को अपनाना चाहिए और अंदर की बुराइयों को खत्म करना चाहिए।

२. क्षमा का भाव मन में, हर क्रोध को मिटाए,
अभिमान की दीवारें, पल भर में गिराए।
सत्य और संयम का, दीपक जलाते जाएँ,
जीवन की हर राह पर, हम निर्मल बनते जाएँ।
अर्थ: क्षमा की भावना से हर क्रोध दूर होता है और अभिमान की दीवारें गिर जाती हैं। हमें सत्य और संयम का पालन करना चाहिए, जिससे हम जीवन के हर रास्ते पर शुद्ध होते जाएँ।

३. तप की अग्नि में तपकर, खुद को हम तपाएँ,
भूख और प्यास से लड़कर, कर्मों को हम जलाएँ।
त्याग और दान से, मन को पवित्र करें,
लोभ की हर भावना से, हम दूर रहें।
अर्थ: तपस्या की आग में खुद को तपाना चाहिए। भूख और प्यास सहकर अपने कर्मों को जलाना चाहिए। त्याग और दान करके मन को शुद्ध करना चाहिए और लोभ से दूर रहना चाहिए।

४. हर जीव पर दया कर, अहिंसा को अपनाएँ,
कंद-मूल को छोड़ कर, जीवों को हम बचाएँ।
पानी को भी छानकर, हर बूँद को पिएँ,
प्राणी-कल्याण के लिए, हर पल हम जिएँ।
अर्थ: हर जीव पर दया करनी चाहिए और अहिंसा का पालन करना चाहिए। कंद-मूल (जमीन के नीचे की सब्जियां) न खाकर जीवों को बचाना चाहिए। पानी छानकर पीना चाहिए और हर पल जीव-कल्याण के लिए जीना चाहिए।

५. मंदिर में प्रवचन सुन, ज्ञान का सागर पाएँ,
स्वाध्याय और ध्यान से, खुद को हम सजाएँ।
आत्मा की गहराइयों में, हम झाँकते जाएँ,
सच्ची शांति के लिए, हम खुद में ही पाएँ।
अर्थ: मंदिर में प्रवचन सुनकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। स्वाध्याय और ध्यान से खुद को बेहतर बनाना चाहिए। हमें अपनी आत्मा के अंदर झाँकना चाहिए, क्योंकि सच्ची शांति हमारे अंदर ही है।

६. संवत्सरी का दिन, सबसे बड़ा वरदान,
'मिच्छामि दुक्कड़म्' कहके, हर गलती का हो निदान।
पुरानी सभी कड़वाहट, मन से हम मिटाएँ,
नए रिश्तों को फिर से, प्यार से हम बनाएँ।
अर्थ: संवत्सरी का दिन एक बड़ा वरदान है। 'मिच्छामि दुक्कड़म्' कहकर हम अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगते हैं। मन से पुरानी कड़वाहट मिटाकर नए रिश्तों को प्यार से बनाना चाहिए।

७. हे जिनवर, हमें देना, शुद्ध आचरण का ज्ञान,
मोक्ष की राह पर चलना, यही है सबसे महान।
सदा रहे मन पवित्र, और आत्मा में प्रेम,
पर्युषण का यह पर्व, सबसे बड़ा है धर्म।
अर्थ: हे भगवान महावीर, हमें शुद्ध आचरण का ज्ञान दो। मोक्ष के मार्ग पर चलना ही सबसे महान है। हमारा मन हमेशा पवित्र रहे और आत्मा में प्रेम हो, क्योंकि पर्युषण का यह पर्व ही सबसे बड़ा धर्म है।

इमोजी सारांश: 💖 (भक्ति), 🧘�♀️ (ध्यान), 🌟 (पवित्रता), 💎 (गुण), 🌱 (शाकाहार), 🙏 (क्षमा), 🤝 (मेल-मिलाप), ✨ (दिव्यता)

--अतुल परब
--दिनांक-21.08.2025-गुरुवार.
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