🙏 बालमुकुंद बालावधूत जयंती: कोल्हापूर की आध्यात्मिक चेतना 🙏-🙏💖✨🎶🕊️

Started by Atul Kaviraje, August 25, 2025, 10:37:36 AM

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Atul Kaviraje

बालमुकुंद बालावधूत जयंती-कोल्हापूर-

🙏 बालमुकुंद बालावधूत जयंती: कोल्हापूर की आध्यात्मिक चेतना 🙏-

बालमुकुंद बालावधूत पर एक सुंदर कविता-

चरण 1
आज है कोल्हापूर की धरती, भक्ति से भरी।
बालावधूत महाराज की जयंती, हर दिल में बसी।
अंबाबाई की कृपा, उनके मुख पर खिली।
साधना और प्रेम की, हर राह उनसे मिली।

अर्थ: आज कोल्हापूर की धरती भक्ति से भरी हुई है, क्योंकि बालावधूत महाराज की जयंती हर दिल में बसी है। महालक्ष्मी की कृपा उनके चेहरे पर दिखाई देती थी, और उनसे ही हमें साधना और प्रेम की हर राह मिली।

चरण 2
तन से वे अवधूत, मन से निराकार।
दुनिया के मोह से, थे वे बिलकुल पार।
साधना की आग में, वे खुद ही जल गए।
प्रेम की गंगा बनकर, हर ओर बह गए।

अर्थ: शरीर से वे अवधूत थे, यानी सांसारिक बंधनों से मुक्त, और मन से निराकार यानी ईश्वर के स्वरूप। वे दुनिया के मोह से पूरी तरह से परे थे। उन्होंने साधना की आग में खुद को जलाकर प्रेम की गंगा बनकर हर ओर बह गए।

चरण 3
ना कोई बड़ा था, ना कोई छोटा।
सबको दिया प्रेम, हर रिश्ता था अनमोल।
अहंकार को मिटाकर, करुणा का बीज बोया।
अपने हर भक्त को, उन्होंने अपना बनाया।

अर्थ: उन्होंने कभी किसी में बड़ा या छोटा होने का भेद नहीं किया। उन्होंने सभी को प्रेम दिया और हर रिश्ते को अनमोल माना। उन्होंने अहंकार को मिटाकर करुणा का बीज बोया और अपने हर भक्त को अपना बना लिया।

चरण 4
जब भी कोई दुख में, उनको पुकारता।
उनकी कृपा का हाथ, उसको मिल जाता।
चिंता और पीड़ा, सब दूर हो जाती।
उनकी एक झलक से, जीवन में शांति आती।

अर्थ: जब भी कोई दुख में उनको याद करता, उनकी कृपा का हाथ उसको मिल जाता। उनकी एक झलक से जीवन की चिंता और पीड़ा दूर हो जाती और मन में शांति आती।

चरण 5
जयंती का ये दिन, है भक्ति का प्रतीक।
आओ सब मिलकर, उनके आदर्शों पर टिकें।
जीवन में सादगी, और प्रेम को अपनाएं।
अपने हर कर्म से, उनकी राह दिखाएं।

अर्थ: यह जयंती का दिन भक्ति का प्रतीक है। आओ सब मिलकर उनके आदर्शों पर अटल रहें। हम अपने जीवन में सादगी और प्रेम को अपनाएं, और अपने हर कर्म से उनकी राह दिखाएं।

चरण 6
कोल्हापूर की मिट्टी, आज भी गुनगुनाती है।
महाराज की वो गाथा, सबको सुनाती है।
उनकी वो वाणी, कानों में गूँजती है।
हर भक्त के मन में, वो आज भी बसती है।

अर्थ: कोल्हापूर की धरती आज भी महाराज की गाथा गुनगुनाती है और सबको सुनाती है। उनकी वाणी आज भी हमारे कानों में गूँजती है और हर भक्त के मन में वे आज भी बसते हैं।

चरण 7
हे गुरुवर, आपको हमारा, यह श्रद्धा का दीप।
सदा हमारे दिल में, बनकर रहना समीप।
ज्ञान के सागर से, हमें भरते रहना।
आपके चरणों में, हमें हमेशा शरण देना।

अर्थ: हे गुरुवर, यह दीपक हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। हमारी यही कामना है कि आप हमेशा हमारे दिल के करीब रहें। हमें अपने ज्ञान के सागर से भरते रहें और हमें हमेशा अपने चरणों में शरण दें।

संक्षेप: 🙏💖✨🎶🕊�

--अतुल परब
--दिनांक-24.08.2025-रविवार.
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