आचार्य शांतिसागर महाराज पुण्यतिथि: त्याग, तपस्या और शांति का पर्व 🙏-

Started by Atul Kaviraje, August 26, 2025, 11:32:26 AM

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Atul Kaviraje

शांतीसागर महाराज पुण्यतिथी-कुंठलगिरी, पुणे-

आचार्य शांतिसागर महाराज पुण्यतिथि: त्याग, तपस्या और शांति का पर्व 🙏-

शांतिसागर: शांति का सागर (कविता) 📜-

1.
पुण्यतिथि है आज, शांति के सागर की,
आत्मा ने पाई मुक्ति, भव-बंधन के पार की।
पुण्य भूमि कुंथलगिरी, पावन हुई आज फिर,
तप की गाथा गूंजे, और उठे भक्ति की लहर।

2.
अहिंसा का मार्ग, तुमने जग को सिखाया,
अपरिग्रह का मंत्र, हर दिल में समाया।
सांसारिक मोह से, तुमने खुद को बचाया,
आत्मा को शुद्ध कर, मुक्ति का दीप जलाया।

3.
मौन तुम्हारा ध्यान, वाणी से था गहरा,
तुम्हारे दर्शन से, हर चेहरा था निखरा।
ज्ञान की गंगा बहाकर, तुमने जगाया हर मन,
तुम ही थे वो सूर्य, जिसने दिया नया जीवन।

4.
दिगंबर परंपरा को, तुमने फिर से जिलाया,
ज्ञान की मशाल को, तुमने फिर से उठाया।
आपके त्याग ने ही, सबको राह दिखाई,
आपके बिना जैन धर्म की, यात्रा थी अधूरी।

5.
पुणे की धरती पर, तुम्हारी याद है खास,
हर भक्त के दिल में, तुम्हारा ही है वास।
तुम्हारे आदर्शों पर, हम सब चलने वाले,
आपके उपदेशों से, हम हैं संभलने वाले।

6.
आज मंदिरों में, हर जगह है शांति,
नभ में गूंजती है, तुम्हारी पुण्य की क्रांति।
अश्रु भरी आँखों से, तुमको करते हैं नमन,
हे आचार्य, तुमको हमारा शत-शत वंदन।

7.
हे शांति के सागर, हमको भी ऐसी शक्ति दो,
आपके जैसी साधना और आत्म-भक्ति दो।
हम भी करें त्याग, और बनें सच्चे इंसान,
यह ही है हमारी आज, आपसे दुआ, आपसे गुहार।

प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ
1.
अर्थ: यह चरण आचार्य शांतिसागर की पुण्यतिथि का वर्णन करता है, जिन्होंने मोक्ष प्राप्त किया और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गए। कुंथलगिरी की पवित्र भूमि उनकी तपस्या की कहानियों से गूंजती है और इस अवसर पर भक्तों के मन में भक्ति की लहरें उठती हैं।

2.
अर्थ: इस चरण में उनकी मुख्य शिक्षाओं का उल्लेख है। उन्होंने दुनिया को अहिंसा का मार्ग सिखाया और अपरिग्रह (आवश्यकता से अधिक न रखना) का मंत्र हर दिल में बसाया। उन्होंने सांसारिक मोह से खुद को दूर रखकर आत्मा की शुद्धि का मार्ग दिखाया।

3.
अर्थ: यह उनकी मौन साधना और उसके प्रभाव को दर्शाता है। उनका मौन उनकी वाणी से भी गहरा था, और उनके दर्शन से लोगों के चेहरे पर एक नई चमक आ जाती थी। उन्होंने ज्ञान की गंगा बहाकर हर मन को जगाया, और उनके जीवन ने लोगों को एक नया जीवन दिया।

4.
अर्थ: यह उनके सबसे बड़े योगदान का वर्णन करता है - दिगंबर जैन परंपरा को पुनर्जीवित करना। उनके त्याग ने ही सबको सही राह दिखाई, और उनके बिना इस परंपरा की यात्रा अधूरी थी।

5.
अर्थ: यह चरण पुणे के भक्तों के लिए उनके विशेष महत्व को दर्शाता है। पुणे की धरती पर उनकी यादें खास हैं, और हर भक्त के दिल में उनका वास है। उनके आदर्शों पर चलकर और उनके उपदेशों से ही भक्त जीवन में सही मार्ग पर चल रहे हैं।

6.
अर्थ: यह पुण्यतिथि के दिन के माहौल का वर्णन करता है। आज मंदिरों में हर जगह शांति है और आकाश में उनकी पुण्य की क्रांति की गूँज सुनाई देती है। भक्त आँसुओं से भरी आँखों से उन्हें नमन करते हैं और उन्हें बार-बार वंदन करते हैं।

7.
अर्थ: अंतिम चरण एक प्रार्थना है। भक्त आचार्य से उनके जैसी साधना और आत्म-भक्ति की शक्ति मांगते हैं। वे यह भी प्रार्थना करते हैं कि वे भी त्याग कर सकें और उनके बताए मार्ग पर चलकर एक सच्चे इंसान बन सकें।

इमोजी सारांश:
🎶 भजन और कीर्तन
💧 कुंथलगिरी
🧘�♂️ तपस्या
✨ दिव्य उपस्थिति
❤️ प्रेम और करुणा
🙏 प्रार्थना और समर्पण

--अतुल परब
--दिनांक-25.08.2025-सोमवार.
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