पार्थिव गणपती पुजन- हिंदी कविता - पार्थिव गणपती की पूजा-🙏✨🎨💧

Started by Atul Kaviraje, August 28, 2025, 02:17:05 PM

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Atul Kaviraje

पार्थिव गणपती पुजन-

हिंदी कविता - पार्थिव गणपती की पूजा-

मिट्टी से बनी है गणपति की मूरत,
सरलता में बसी है एक अद्भुत सूरत।
हाथों से बनाई ये प्यारी सी काया,
जिसमें बसा है भक्ति का साया।
अर्थ: भगवान गणेश की मूर्ति मिट्टी से बनी है, जिसकी सादगी में एक अद्भुत सुंदरता है। अपने हाथों से बनी इस प्यारी मूर्ति में भक्ति का वास है।

धरती की मिट्टी में प्राण डाले हमने,
प्रकृति के कण-कण को पूजा हमने।
ईश्वर का ये रूप है कितना निराला,
जो हमें सिखाता है सत्य और उजाला।
अर्थ: हमने धरती की मिट्टी में प्राण डाले हैं और प्रकृति के हर कण की पूजा की है। भगवान का यह रूप कितना अनोखा है, जो हमें सच्चाई और ज्ञान का मार्ग दिखाता है।

🌿🌍
फूलों से सजाया, दूर्वा से पूजा,
पार्थिव गणेश जैसा कोई न दूजा।
मोदक का भोग, आरती गाई,
खुशियाँ हमारे घर में है लाई।
अर्थ: हमने उन्हें फूलों और दूर्वा से सजाया है। पार्थिव गणेश जैसा कोई दूसरा नहीं। मोदक का भोग लगाकर और आरती गाकर हमने अपने घर में खुशियाँ लाई हैं।

पर्यावरण का तुम देते हो संदेश,
न हो नदी-सागर में कोई क्लेश।
पानी में घुल जाती है तुम्हारी काया,
प्रकृति से जुड़ा है तुम्हारा ये साया।
अर्थ: आप पर्यावरण का संदेश देते हैं, जिससे नदी-सागर में कोई प्रदूषण न हो। आपकी मूर्ति पानी में घुल जाती है, और आपका अस्तित्व प्रकृति से जुड़ा हुआ है।

मन को शांति मिलती है ये पूजा करके,
नकारात्मकता जाती है दिल से हटकर।
हर कण में प्रभु का होता है एहसास,
जब मूर्ति को करते हैं हम खास।
अर्थ: यह पूजा करके मन को शांति मिलती है और नकारात्मकता दूर होती है। जब हम मूर्ति बनाते हैं, तो हमें हर कण में भगवान का एहसास होता है।

गणपति बप्पा मोरया हम गाते हैं आज,
अगले वर्ष फिर आना, रख लेना लाज।
यह विश्वास है हर भक्त के मन में,
आप ही हो हमारे जीवन के धन में।
अर्थ: आज हम "गणपति बाप्पा मोरया" गाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि आप अगले वर्ष फिर से आएं और हमारी लाज रखें। हर भक्त के मन में यह विश्वास है कि आप ही हमारे जीवन की असली दौलत हैं।

विसर्जन का पल जब आता है,
मिट्टी का कण-कण वापस मिल जाता है।
कहता है ये विसर्जन, हर अंत एक नई शुरुआत है,
ये तो बस हमारी आध्यात्मिक मुलाकात है।
अर्थ: जब विसर्जन का समय आता है, तो मिट्टी का हर कण वापस मिल जाता है। यह विसर्जन कहता है कि हर अंत एक नई शुरुआत है, और यह हमारी आध्यात्मिक मुलाकात है।

प्रतीक और इमोजी: 🙏✨🎨💧

🙏 (हाथ जोड़ना): भक्ति और प्रार्थना का प्रतीक।

✨ (चमक): पवित्रता और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक।

🎨 (रंग): मिट्टी से मूर्ति बनाने की कला और रचनात्मकता का प्रतीक।

💧 (पानी की बूंद): विसर्जन और जीवन के चक्र का प्रतीक।

इमोजी सारांश: ये इमोजी पार्थिव गणपति पूजन के भक्ति, रचनात्मकता, और प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाते हैं। ये मूर्ति बनाने की प्रक्रिया से लेकर विसर्जन तक की पूरी भावना को व्यक्त करते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-27.08.2025-बुधवार.
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