पार्थिव गणपती पुजन-1-🌿🌍🙏✨♻️

Started by Atul Kaviraje, August 28, 2025, 02:33:42 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

पार्थिव गणपती पुजन-

आज 27 अगस्त, बुधवार को, हम सब मिलकर पार्थिव गणपती पूजन का पावन पर्व मना रहे हैं। "पार्थिव" शब्द का अर्थ है "पृथ्वी से बना हुआ"। यह पूजा प्रकृति और आध्यात्मिकता के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है। मिट्टी से बनी गणपति की मूर्ति की पूजा करना न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है। यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि भगवान को उनके सबसे शुद्ध और प्राकृतिक रूप में स्वीकार करना कितना महत्वपूर्ण है।

पार्थिव गणपती पूजन: एक भक्तिपूर्ण और विवेचनात्मक लेख-

1. पार्थिव गणपती का अर्थ और महत्व
"पार्थिव" शब्द का अर्थ है पृथ्वी या मिट्टी। पार्थिव गणपति पूजन का तात्पर्य मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्ति की पूजा करना है।

पृथ्वी तत्व से जुड़ाव: यह पूजा हमें प्रकृति और पृथ्वी तत्व के साथ हमारे गहरे संबंध की याद दिलाती है, जिससे हमारा शरीर बना है। यह दर्शाता है कि सृष्टि का हर कण ईश्वर का ही रूप है।

पुण्य फल की प्राप्ति: शास्त्रों के अनुसार, मिट्टी से बनी गणपति की पूजा करने से भक्तों को विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है।

2. पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ
पार्थिव गणपति पूजन की परंपरा सदियों पुरानी है।

पौराणिक कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वयं माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से मिट्टी की गणेश मूर्ति बनाकर उसमें प्राण फूँके थे।

ऋषि-मुनियों द्वारा पूजा: प्राचीन काल में ऋषि-मुनि भी पार्थिव गणपति की स्थापना कर उनकी पूजा करते थे, ताकि वे अपने तप और साधना में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकें।

3. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
पार्थिव गणेश जी की पूजा में प्राकृतिक और सात्विक वस्तुओं का उपयोग होता है।

मूर्तिकरण: सबसे पहले, पवित्र मिट्टी (जैसे तालाब या नदी की मिट्टी) से गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है।

सामग्री: पूजा के लिए दूर्वा घास, लाल गुड़हल के फूल, सिंदूर, मोदक, शमी के पत्ते और धूप-दीप का उपयोग किया जाता है।

4. पार्थिव मूर्ति बनाने की विधि
पार्थिव मूर्ति बनाना एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है।

पवित्र मिट्टी: मूर्ति बनाने के लिए स्वच्छ और पवित्र मिट्टी का ही प्रयोग किया जाता है।

आध्यात्मिक भावना: मूर्ति बनाते समय, भक्तगण गणेश जी का स्मरण करते हैं और मन में भक्ति का भाव रखते हैं। यह प्रक्रिया स्वयं में एक ध्यान के समान है।

5. पूजा विधि और अनुष्ठान
पार्थिव गणपति की पूजा विधि सरल और भक्तिपूर्ण होती है।

प्राण प्रतिष्ठा: सबसे पहले, मंत्रों के उच्चारण के साथ मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

षोडशोपचार पूजा: इसके बाद, 16 चरणों वाली षोडशोपचार पूजा की जाती है, जिसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, वस्त्र, अलंकरण, नैवेद्य और आरती शामिल हैं।

मोदक का भोग: गणेश जी को मोदक का भोग लगाया जाता है, जिसे बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

प्रतीक और इमोजी: 🌿🌍🙏✨♻️

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.08.2025-बुधवार.
===========================================