जैन संवस्तरी-पंचमी पक्ष- जैन संवत्सरी: आत्म-शुद्धि का महापर्व 🙏-

Started by Atul Kaviraje, August 29, 2025, 06:20:45 PM

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Atul Kaviraje

जैन संवस्तरी-पंचमी पक्ष-

जैन संवत्सरी: आत्म-शुद्धि का महापर्व 🙏-

संवत्सरी पर एक सुंदर कविता-

पहला चरण:
पर्युषण का अंतिम दिन आया,
संवत्सरी का पावन पर्व लाया।
आत्म-शुद्धि का समय है ये,
मन की शांति का वरदान है ये।

अर्थ: पर्यूषण पर्व का अंतिम दिन आ गया है, जो अपने साथ संवत्सरी का पवित्र पर्व लेकर आया है। यह आत्म-शुद्धि का समय है और मन की शांति का वरदान है।

दूसरा चरण:
आज करेंगे प्रतिक्रमण,
भूलेंगे सारे दुख और बंधन।
जो पाप किया है जाने-अनजाने,
उसका करेंगे हम पश्चात्ताप।

अर्थ: आज हम प्रतिक्रमण करेंगे और सारे दुख और बंधन भूल जाएंगे। जो भी पाप हमने जाने-अनजाने में किया है, उसका हम हृदय से पश्चात्ताप करेंगे।

तीसरा चरण:
हाथ जोड़कर कहेंगे हम,
'मिच्छामी दुक्कड़म्' का मंत्र हम।
क्षमा करो हर प्राणी को,
जो दुख दिया है हमने तुमको।

अर्थ: हाथ जोड़कर हम 'मिच्छामी दुक्कड़म्' का मंत्र कहेंगे। हम हर उस प्राणी से क्षमा मांगते हैं, जिसे हमने कभी भी दुख पहुंचाया है।

चौथा चरण:
संबंधों की सुलझेगी गाँठ,
सुलझेगी हर मन की बात।
नए सिरे से शुरुआत होगी,
जीवन में फिर से शांति आएगी।

अर्थ: इस पर्व से रिश्तों की उलझनें सुलझेंगी और मन की हर बात साफ हो जाएगी। हम जीवन की एक नई शुरुआत कर सकेंगे, जिससे हमारे जीवन में फिर से शांति लौट आएगी।

पांचवाँ चरण:
उपवास की है ये तपस्या,
मन पर नियंत्रण की है परीक्षा।
शरीर की शुद्धि के साथ-साथ,
आत्मा भी हो जाती है पवित्र।

अर्थ: यह उपवास एक तपस्या है और मन पर नियंत्रण की एक परीक्षा है। शरीर को शुद्ध करने के साथ-साथ हमारी आत्मा भी पवित्र हो जाती है।

छठा चरण:
जैन धर्म का है ये सार,
क्षमा ही है जीवन का आधार।
अहिंसा का ये है संदेश,
प्रेम का ही हो हर जगह आवेश।

अर्थ: यह पर्व जैन धर्म का सार है, क्योंकि क्षमा ही जीवन का आधार है। यह अहिंसा का संदेश देता है, और यह सिखाता है कि हर जगह प्रेम की भावना होनी चाहिए।

सातवाँ चरण:
बीता साल हुआ है समाप्त,
नए साल की हो शुरुआत।
क्षमा-वीरों का ये पर्व,
देता है जीवन को नया गौरव।

अर्थ: पिछला साल समाप्त हो गया है और एक नए साल की शुरुआत हो रही है। क्षमा करने वाले वीरों का यह पर्व हमारे जीवन को एक नई गरिमा प्रदान करता है।

--अतुल परब
--दिनांक-28.08.2025-गुरुवार.
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