न्यायिक प्रणाली में सुधार: लंबित मामलों का बोझ और समाधान-'न्याय की पुकार'-

Started by Atul Kaviraje, August 30, 2025, 02:07:13 PM

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Atul Kaviraje

न्यायिक प्रणाली में सुधार: लंबित मामलों का बोझ और समाधान-

हिंदी कविता - 'न्याय की पुकार'-

1. पहला चरण
अदालत की दीवारों में, गूंज रही एक पुकार,
लंबित मामलों का है, भारी बोझ अपार।
न्याय की राह पर, है ये अँधकार,
हर पीड़ित को, है तेरा इंतज़ार।

अर्थ: यह पद अदालतों में लंबित मामलों के बोझ को दर्शाता है और बताता है कि न्याय की राह में अंधेरा है और हर पीड़ित न्याय का इंतजार कर रहा है।

2. दूसरा चरण
न्यायाधीशों की कमी है, कम है उनका बल,
कैसे निपटें लाखों मामले, है ये बड़ा सवाल।
फाइलों के बोझ तले, है ये बेहाल,
जनता का विश्वास, कहीं न हो खंडन।

अर्थ: इस पद में न्यायाधीशों की कमी और उनके ऊपर काम के बोझ का वर्णन है, जो न्यायिक प्रणाली पर भारी दबाव डाल रहा है।

3. तीसरा चरण
प्रक्रिया है लंबी, और जटिल है राह,
तारीख पे तारीख, है बस यही चाह।
वकीलों की फीस में, हो जाए धन का स्वाहा,
गरीबों को मिलती, नहीं है पनाह।

अर्थ: यह पद न्याय प्रक्रिया की जटिलता और अनावश्यक देरी का वर्णन करता है, जिससे आम जनता को आर्थिक और मानसिक परेशानी होती है।

4. चौथा चरण
टेक्नोलॉजी को अपनाओ, लाओ डिजिटल क्रांति,
ई-कोर्ट से हो जाए, न्याय में शांति।
ऑनलाइन सुनवाई से, हो जाए मन की भ्रांति,
बच जाए समय, हो जाए सुख की प्राप्ति।

अर्थ: यह पद न्याय प्रणाली में प्रौद्योगिकी के उपयोग का सुझाव देता है, जैसे ई-कोर्ट और ऑनलाइन सुनवाई, ताकि प्रक्रिया तेज हो सके।

5. पांचवां चरण
मध्यस्थता का रास्ता, अपनाओ प्यारे,
आपसी सुलह से, हों सब किनारे।
लोक अदालतें भी, करती हैं न्यारे,
बचाती हैं समय, मिटाती हैं अँधियारे।

अर्थ: इस पद में वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के तरीकों का महत्व बताया गया है, जो मामलों को कोर्ट के बाहर सुलझाने में मदद करते हैं।

6. छठा चरण
कानूनी शिक्षा में, हो नया सुधार,
नैतिकता का पाठ, हो हर बार।
वकील भी करें, न्याय का प्रचार,
हो जाए देश में, न्याय का विस्तार।

अर्थ: यह पद कानूनी शिक्षा में सुधार और वकीलों की नैतिकता पर जोर देता है, ताकि न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाया जा सके।

7. सातवां चरण
न्यायपालिका, सरकार, और हम सब,
मिलकर करें इस चुनौती का सामना अब।
हर नागरिक को मिले, त्वरित न्याय का सब,
सशक्त राष्ट्र का हो, ये ही है तब।

अर्थ: यह पद सभी हितधारकों, जैसे कि न्यायपालिका, सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करने का आह्वान करता है, ताकि प्रत्येक नागरिक को त्वरित न्याय मिल सके।

--अतुल परब
--दिनांक-29.08.2025-शुक्रवार.
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